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मप्र जल निगम में 188 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी देकर 950 करोड़ के काम लेने वाली इंदौर की तीर्थ गोपीकॉन कंपनी को लेकर सीबीआई की जांच में बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। सीबीआई की यह रिपोर्ट का हिस्सा द सूत्र के पास एक्सक्लूसिव मौजूद है। इस कंपनी ने हाल ही में इंदौर में अभी तक का सबसे बड़ा रियल स्टेट सौदा 453 करोड़ का स्मार्ट सिटी कंपनी इंदौर के साथ किया था। लेकिन इसमें अभी तक एक किश्त भी नहीं दी। इस सौदे के लिए रखी गई 9.50 करोड़ की गारंटी भी संदिग्ध है। सीबीआई रिपोर्ट में गोपीकान के एमडी महेश कुम्भानी के पूरे सरकारी ठेके लेने के खेल को उजागर किया गया है।
फर्जी बैंक गारंटी के जरिए 85 करोड़ कमाए
सीबीआई ने अपनी जांच में बताया है कि कंपनी के प्रमुख महेश कुम्भानी ने फर्जी बैंक गारंटी के जरिए सरकारी ठेके लिए और सौदे किए हैं। कंपनी द्वारा इन गारंटियों के जरिए 85 करोड़ की कमाई की गई है। फर्जी बैंक गारंटी बनवाने के लिए और इसका झूठा सत्यापन कराने के लिए पूरा रैकेट सक्रिय है और इसी में यह गोपीकान जुड़े हुए हैं।
जल निगम को दी गई गारंटी बनवाने के लिए कंपनी ने 1 करोड़ का भुगतान इस मामले में मध्यस्थ राहुल गुप्ता को किया था। इस गारंटी के सत्यापन का काम गौरव धाकड़ व अन्य लोग मिलकर करते थे। इसके लिए जब संबंधित विभाग से ईमेल द्वारा बैंक गारंटी के सत्यापन की जानकारी मांगी जाती थी, तब मिलते-जुलते नाम के डोमेन वाले ईमेल अकाउंट बनाकर इसका सत्यापन संबंधित विभाग को भेज दिया जाता था। इसके बदले में राशि का भुगतान किया जाता था।
स्मार्ट सिटी इंदौर के कई ठेके फर्जी बैंक गारंटी से लिए
कुक्कुट विकास केंद्र की जमीन को हाल ही में टेंडर के जरिए गोपीकान ने 453 करोड़ में किया, लेकिन अभी तक इसकी एक भी किश्त नहीं भरी। बदले में 9.5 करोड़ की बैंक गारंटी दी है, जो संदिग्ध है, भले ही अधिकारी बोल रहे हैं कि इसका सत्यापन वह कर चुके हैं। लेकिन सीबीआई जांच अलग कहती है। सीबीआई का कहना है कि कंपनी द्वारा केवल जल निगम नहीं बल्कि कई मौकों पर इंदौर स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन लिमिटेड को भी फर्जी बैंक गारंटी दी गई है। साथ ही राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम लिमिटेड, जयपुर में भी फर्जी गारंटी के जरिए काम लिए गए हैं।
इस तरह 1 करोड़ में फर्जी सत्यापन कराया
सीबीआई ने तीर्थ गोपीकान कंपनी के प्रमुख महेश कुम्भानी के इस तर्क को सिरे से खारिज किया कि उन्हें बैंक गारंटी के नकली होने की जानकारी नहीं थी और ना ही वह इसे चेक करने के विशेषज्ञ थे। इस पर सीबीआई ने कहा है कि वह उस कंपनी के एमडी हैं, जिनके पास वित्तीय विशेषज्ञों की कोई कमी नहीं है। पहले वह एयू स्मॉल फायनेंस लिमिटेड, केनरा बैंक, एचडीएफसी बैंक से बैंक गारंटी लेते थे। पंजाब नेशनल बैंक में उसका कोई खाता नहीं है, जहां से जल निगम के लिए फर्जी बैंक गारंटी जारी हुई।
गारंटी की पुष्टि के लिए जल निगम ने पीएनबी को मेल किए, जिसके जवाब में अलग-अलग डोमेन से ईमेल मिले, जो पीएनबी के मूल डोमेन से मिलते-जुलते थे। यह नकली मेल आईडी फिरोज खान ने नकली बनाई थी। यह मेल प्रिंट राहुल गुप्ता को दिए। गोविंद चंद्र हंसदा बागुईहाटी शाखा के वरिष्ठ प्रबंधक और गुप्ता मिले हुए थे।
इसके बदले में गुप्ता के खाते से हंसदा के पास 7.55 लाख और राकेश जागीरदार के खाते से हंसदा को एक लाख ट्रांसफर किए गए। गोविंद धाकड़ ने बैंक गारंटी के सत्यापन की जिम्मेदारी ली, इस दौरान उसके अन्य केस में जेल जाने पर तीर्थ गोपीकान ने गुप्ता से बात की। गुप्ता को 1 करोड़ दिए गए।
जल निगम के काम के लिए इस तरह की दी फर्जी गारंटी
सीबीआई ने रिपोर्ट में बताया है कि कंपनी ने जल निगम के भारत जल जीवन मिशन के तहत घर-घर पेयजल सुविधा देने के मिशन के विविध ठेके लेने के लिए फर्जी बैंक गारंटी का इस्तेमाल किया। इसकी कुल कीमत 188.21 करोड़ रुपए थी।
कंपनी ने सागर जिले के काम के लिए तीन बैंक गारंटी दी- कुल कीमत 32.40 करोड़
जबलपुर, मंडला व डिंडोरी में काम के लिए दो बैंक गारंटी दी- कीमत 116.61 करोड़
छतरपुर जिले के लिए तीन बैंक गारंटी दी- कुल कीमत 39.20 करोड़
कंपनी के साथ सरकारी विभागों की मिलीभगत तो नहीं
इस पूरे मामले में जिन भी विभागों में कंपनी के ठेके लिए वहां के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध होती जा रही है। कारण कि किसी ने भी तीर्थ गोपीकॉन कंपनी की एक बार भी बैलेंस शीट देखने की भी कोशिश नहीं की। कंपनी के नेटवर्थ, कमाई, शेयर मूल्य, प्रॉफिट पर ही नजर डाल लेते तो कंपनी की असलियत खुल जाती।
कंपनी की टर्नओवर मार्च 2023 में 104 करोड़, मार्च 2024 में 68 करोड़ और मार्च 2025 में केवल 50 करोड़ था। वहीं उसने सौदा किया 450 करोड़ की जमीन का और जल जीवन के ठेके भी 950 करोड़ के लिए।
कंपनी का प्रॉफिट मार्च 2023 में 12 करोड़, मार्च 2024 में 8 करोड़ और मार्च 2025 में मात्र 3.32 करोड़ रुपए था।
कंपनी का कुल नेटवर्थ 172 करोड़ रुपए है और इसके बाद शेयर पूंजी के नाम पर कुछ करोड़ है, कुल मिलाकर पूरी नेटवर्थ 200-225 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं है।
वित्तीय जानकारों ने शेयर से दूरी बनाने की सलाह दी। कंपनी की हालत यह है कि अब शेयर बाजार के जानकार इसके शेयर से दूरी रखने की सलाह दे रहे हैं। कंपनी के शुद्ध लाभ में एक साल में ही 63 फीसदी कमी (8 करोड़ से 3 करोड़ हो गई) हो चुकी है। राजस्व में 26 फीसदी की कमी (68 करोड़ से 50 करोड़) हो चुकी है।
स्मार्ट सिटी के सौदे से यह सपने दिखाए कंपनी ने
कंपनी ने अपने शेयर के दाम उछालने के लिए यह सपने दिखाए कि उसके पास स्मार्ट सिटी इंदौर का 453 करोड़ का सौदा हाथ आ गया है, जिससे वह भविष्य में 1875 करोड़ का राजस्व कमाएगा। कुल मिलाकर कंपनी का पूरा खेल यही रहा है कि वह फर्जी बैंक गारंटी के जरिए और फर्जी सौदों के जरिए अपनी कंपनी की नेटवर्थ अधिक दिखाने में लगी रही, जिससे शेयर की कीमत भी बढ़े और इसके जरिए वह विविध बैंकों से भारी लोन भी उठा सके। सीबीआई जांच के बाद कंपनी के शेयर का मार्केट कैप 90 फीसदी तक कम हो चुका है।
तीर्थ गोपीकान ने बैंक गारंटी की पोल खुलने पर खुद केस कराया
इस पूरे मामले में कंपनी ने जमकर खेल किया है। कंपनी ने फर्जी बैंक गारंटी खुद बनवाई और खुद ही ठेका निरस्त का नोटिस मिलने पर थाने में पहुंच गई और हाईकोर्ट में अपील कर दी। कंपनी को 950 करोड़ से ज्यादा का जल निगम का टेंडर मिला था। इसके लिए उसने पीएनबी कोलकाता की नॉर्थ 24 परगना ब्रांच की बैंक गारंटी 184 करोड़ की दी। यह बैंक गारंटी 20 मार्च 2023 की थी। 25 अप्रैल 2025 को कंपनी को जल निगम से नोटिस मिला कि यह बैंक गारंटी फर्जी है।
इसी बीच जब कंपनी को इसकी भनक लगी तो उसने रावजी बाजार इंदौर थाने में एक शिकायत करा दी कि कुछ बैंक वालों ने मिलकर उसके साथ ठगी की और बैंक गारंटी का खेल किया। वहीं, कंपनी होशियारी दिखाते हुए ठेका बचाने के लिए हाईकोर्ट चली गई। लेकिन हाईकोर्ट ने वहां बड़ा मामला देखते हुए सीबीआई से अज्ञात के खिलाफ केस रजिस्टर्ड कर इस पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए।
सीबीआई ने 9 मई को इस मामले में अज्ञात के खिलाफ 420, 467, 468 और 120 बी धारा में केस दर्ज कर जांच की और कोलकाता से दो को गिरफ्तार भी किया। जब इन आरोपियों से पूछताछ की तो फिर सीबीआई ने कंपनी के ऑफिस पर भी छापा मारा।
कंपनी के ऑफिस से और भी फर्जी गारंटी मिली
इसके बाद सीबीआई ने बैंक अधिकारियों से पूछताछ के बाद कंपनी के ऑफिस में भी छापा मारा और यहां पर 87.88 लाख की एक और बैंक गारंटी मिली, जो कंपनी ने इसी बैंक से जारी करवाई थी और यह उज्जैन नगर निगम को अमृत 2.0 के टेंडर के एवज में बताई थी। कंपनी को जब उज्जैन निगम ने नोटिस दिया तो कंपनी फिर कोर्ट गई और कहा कि मूल गारंटी सीबीआई से वापस दिलवाए, लेकिन इस पर सीबीआई ने बताया कि यह गारंटी संदिग्ध है और जांच चल रही है। इसी बीच उज्जैन निगमायुक्त अभिलाष मिश्रा ने इस गारंटी की जांच कराई और यह फर्जी निकली।
उज्जैन निगमायुक्त ने भी कराई कुम्भानी पर एफआईआर
इस मामले में उज्जैन नगर निगम ने सख्त रुख दिखाते हुए कंपनी के एमडी महेश कुम्भानी, प्रमोटर व होल टाइम डायरेक्टर चंद्रिका बेन कुम्भानी, साथ ही नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लव कुम्भानी और पंजाब नेशनल बैंक बागुईहाटी शाखा 24 परगना उत्तर पश्चिम बंगाल के बैंक मैनेजर पर केस दर्ज कराया है। इन सभी पर उज्जैन के माधव नगर थाने में बीएनएस की धारा 318(4), 338, 336 (3), 340 (2) के तहत केस दर्ज किया गया है।
अमृत 2.0 योजना में 3.79 करोड़ की फर्जी गारंटी
उज्जैन नगर निगम ने अमृत 2.0 योजना के तहत सिटी में वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट के काम का टेंडर निकाला था, जो मूल रूप से अहमदाबाद की और जिसका इंदौर में भी ऑफिस है तीर्थ गोपीकान को मिला था। इसके तहत उनसे साल 2023 में 87.88 लाख की और 2.92 करोड़ की दो अलग-अलग बैंक गारंटी दी गई थीं। ये बैंक गारंटी फर्जी निकलीं हैं।
कंपनी ने फर्जी गारंटी से जमकर लिए सरकारी ठेके
कंपनी मूल रूप से अहमदाबाद (गुजरात) की है। मप्र में इसका ऑफिस इंदौर में 204, अमर मेट्रो पगनिस पागा इंदौर में है। कंपनी के एमडी महेश कुम्भानी है, इसमें प्रमोटर व डायरेक्टर चंद्रिकाबेन कुम्भानी और नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लव कुम्भानी हैं। कंपनी मूल रूप से सरकार के सिविल इंजीनियरिंग वर्क्स के टेंडर लेती है।
कंपनी ने इंदौर, उज्जैन, छतरपुर जैसे शहरों में कई प्रोजेक्ट किए हैं। इंदौर में नगर निगम और स्मार्ट सिटी के तहत सराफा प्रोजेक्ट, नाला टैपिंग, एसटीपी प्रोजेक्ट, सरवटे प्रोजेक्ट जैसे कई प्रोजेक्ट किए हैं, उज्जैन में अमृत 2.0 प्रोजेक्ट भी है।
फर्जी गारंटी से ठेके और पेमेंट असल में लेती है कंपनी
कंपनी का यह पूरा दोतरफा खेल है। कंपनी बैंक से सांठगांठ कर फर्जी बैंक गारंटी बनवाती है और फिर काम शुरू कर सरकार से भुगतान लेना शुरू कर देती है। जैसे की जल निगम के 950 करोड़ के ठेके में कंपनी ने 84 करोड़ का भुगतान भी ले लिया। कंपनी हर जगह इसी तरह का खेल करती रही है।
स्मार्ट सिटी बोर्ड इंदौर में यह अधिकारी
स्मार्ट सिटी बोर्ड में चेयरमैन पद पर इंदौर कलेक्टर हैं, तो वहीं निगमायुक्त इसमें एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। एक आईएएस नामिनी डायरेक्टर है, वहीं अतिरिक्त आयुक्त नगरीय प्रशासन से नामिनी डायरेक्टर, ज्वाइंट डायरेक्टर नगरीय प्रशासन से नामिनी डायरेक्टर, टीएंडसीपी इंदौर के ज्वाइंट डायरेक्टर नामिनी डायरेक्टर, एमपीईबी से भी नामिनी डायरेक्टर, सीईओ स्मार्ट सिटी सहित कई अधिकारी बोर्ड में शामिल हैं।
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