तीर्थ गोपीकॉन कंपनी MD महेश कुम्भानी पर अधिकारी मेहरबान, बिना बैलेंसशीट देखे दे दिए 950 करोड़ के टेंडर

मप्र जल निगम लिमिटेड में 184 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी से 950 करोड़ के ठेके में शामिल तीर्थ गोपीकॉन कंपनी के एमडी महेश कुम्भानी और गौरव धाकड़ को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।

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Sanjay Gupta
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मप्र जल निगम लिमिटेड में 184 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी के जरिए 950 करोड़ के काम का ठेका लेने में उलझी तीर्थ गोपीकॉन कंपनी के एमडी और फाउंडर महेश कुम्भानी सीबीआई में गिरफ्तार हो गए हैं। उनके साथ ही एक निजी व्यक्ति जो बैंक और कंपनी के बीच में फर्जी बैंक गारंटी की सांठगांठ करता था गौरव धाकड़ को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया है।

उधर उज्जैन नगर निगम ने भी कंपनी द्वारा 2.92 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी के जरिए करोड़ों का अमृत 2.0 का ठेका लेने पर एफआईआर कराई है। लेकिन, इस पूरे मामले में तीर्थ गोपीकॉन कंपनी के साथ अधिकारियों की सांठगांठ की आशंका तेज हो गई है। सीबीआई की जांच में अब अधिकारी भी उलझ सकते हैं। 

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कंपनी ने 453 करोड़ की जमीन का सौदा कर मारा

तीर्थ गोपीकान कंपनी ने मार्च-अप्रैल 2024 में ही मप्र की सबसे महंगी रियल एस्टेट डील में से एक इंदौर स्मार्ट सिटी के साथ की। कुक्कुट केंद्र की जमीन 453 करोड़ में खरीदने का सौदा किया जिसमें 3 साल में पूरी राशि देना थी। इसके लिए 9.50 करोड़ की बैंक गारंटी रखी, अब यह भी संदिग्ध है। कंपनी जिस जल निगम के ठेके में 184 करोड़ की बैंक गारंटी कांड में उलझी है, इसकी कीमत 950 करोड़ थी। कंपनी ने इंदौर में कई सारे प्रोजेक्ट लिए और सीएम के गृह जिले उज्जैन में भी ठेके लिए। 

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क्यों अधिकारियों की सांठगांठ की आशंका

इस पूरे मामले में जिन भी विभागों में कंपनी के ठेके लिए वहां के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध होती जा रही है। कारण कि किसी ने भी तीर्थ गोपीकॉन कंपनी की एक बार भी बैलेंस शीट देखने की भी कोशिश नहीं की। कंपनी के नेटवर्थ, कमाई, शेयर मूल्य, प्राफिट पर ही नजर डाल लेते तो कंपनी की असलियत खुल जाती। 

कंपनी की टर्नओवर मार्च 2023 में 104 करोड़, मार्च 2024 में 68 करोड़ और मार्च 2025 में केवल 50 करोड़ था। वहीं वह सौदे कर रहा 450 करोड़ के। कंपनी का प्राफिट मार्च 2023 में 12 करोड़, मार्च 2024 में 8 करोड़ और मार्च 2025 में मात्र 3.32 करो़ड़ रुपए था। कंपनी का कुल नेटवर्थ 172 करोड़ रुपए है और इसके बाद शेयर पूंजी के नाम पर कुछ करोड़ है, कुल मिलाकर पूरी नेटवर्थ 200-225 करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं है।

कंपनी के शेयर अप्रैल 2024 में आईपीओ से लिस्ट हुआ। इसका अधिकतम मूल्य सितंबर 2024 में गया और यह 774 रुपए प्रति शेयर था। लेकिन फर्जी बैंक गारंटी के बाद और कंपनी की पोल खुलने के बाद यह केवल  64 रुपए प्रति शेयर हो गए हैं। यानी सरकारी विभागों के पास यह भी विकल्प नहीं है कि कुछ ऊंच-नीच होने पर वह शेयर गिरवी रख या अन्य संपत्ति निकालकर राशि भी वसूल सकें। 

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वित्तीय जानकारों ने शेयर से दूरी बनाने की सलाह दी

कंपनी की हालत यह है कि अब शेयर बाजार के जानकार इसके शेयर से दूरी रखने की सलाह दे रहे हैं। कंपनीके शुद्ध लाभ में एक साल में ही 63 फीसदी कमी (8 करोड़ से 3 करोड़ हो गई) हो चुकी है। राजस्व में 26 फीसदी की कमी (68 करोड़ से 50 करोड़) हो चुकी है। 

स्मार्ट सिटी के सौदे से यह सपने दिखाए कंपनी ने

कंपनी ने अपने शेयर के दाम उछालने के लिए यह सपने दिखाए कि उसके पास स्मार्ट सिटी इंदौर का 453 करोड़ का सौदा हाथ आ गया है जिससे वह भविष्य में 1875 करोड़ का राजस्व कमाएगा। कुल मिलाकर कंपनी का पूरा खेल यही रहा है कि वह फर्जी बैंक गारंटी के जरिए और फर्जी सौदों के जरिए अपनी कंपनी की नेटवर्थ अधिक दिखाने में लगा रहा. जिससे शेयर की कीमत भी बढ़े और इसके जरिए वह विविध बैंकों से भारी लोन भी उठा सके। सीबीआई जांच के बाद कंपनी के शेयर का मार्केट कैप 90 फीसदी तक कम हो चुका है। 

तीर्थ गोपीकान ने 184 करोड़ की गारंटी में ऐसे किया खेल

इस पूरे मामले में कंपनी ने जमकर खेल किया है। कंपनी ने फर्जी बैंक गांरटी खुद बनवाई और खुद ही ठेका निरस्त का नोटिस मिलने पर थाने में पहुंच गई और हाईकोर्ट में अपील कर दी। कंपनी को 950 करोड़ से ज्यादा का जल निगम का टेंडर मिला थी । इसके लिए उसने पीएनबी कोलकाता की नार्थ 24 परगना ब्रांच की बैंक गारंटी 184 करोड़ की दी।

यह बैंक गारंटी 20 मार्च 2023 की थी। 25 अप्रैल 2025 को कंपनी को जल निगम से नोटिस मिला कि यह बैंक गारंटी फर्जी है। इसी बीच जब कंपनी को इसकी भनक लगी तो उसने रावजी बाजार इंदौर थाने में एक शिकायत करा दी कि कुछ बैंक वालों ने मिलकर उसके साथ ठगी की और बैंक गारंटी का खेल किया।

वहीं साथ ही कंपनी होशियारी दिखाते हुए ठेका बचाने के लिए हाईकोर्ट चली गई। लेकिन हाईकोर्ट ने वहां बड़ा मामला देखते हुए सीबीआई से अज्ञात के खिलाफ केस रजिस्टर्ड कर इस पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए।  सीबीआई ने नौ मई को इस मामले में अज्ञात के खिलाफ 420, 467, 468 औऱ 120 बी धारा में केस दर्ज कर जांच की और कोलकाता से दो को गिरप्तार भी किया। जब इन आरोपियों से पूछताछ की तो फिर सीबीआई ने कंपनी के आफिस पर भी छापा मारा।

कंपनी के आफिस से और भी फर्जी गारंटी मिली

इसके बाद सीबीआई ने बैंक अधिकारियों से पूछताछ के बाद कंपनी के आफिस में भी छापा मारा और यहां पर 87.88 लाख की एक और बैंक गारंटी मिली जो कंपनी ने इसी बैंक से जारी करवाई थी और यह उज्जैन नगर निगम को अमृत 2.0 के टेंडर के एवज में बताई थी। कंपनी को जब उज्जैन  निगम ने नोटिस दिया तो कंपनी फिर कोर्ट गई और कहा कि मूल गांरटी सीबीआई से वापस दिलवाए लेकिन इस पर सीबीआई ने बताया कि यह गारंटी संदिग्ध है और जांच चल रही है। इसी बीच उज्जैन निगमयायुक्त अभिलाष मिश्रा ने इस गांरटी की जांच कराई और फर्जी निकली।

उज्जैन निगमायुक्त ने भी कराई कुम्भानी पर एफआईआर

इस मामले में उज्जैन नगर निगम ने सख्त रूख दिखाते हुए कंपनी के एमडी महेश भाई कुम्भानी, प्रमोटर व होल टाइम डायेरक्टर चंद्रिका बेन कुम्भानी, के साथ ही नान एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लव कुम्भानी और पंजाब नेशनल बैंक बागुई हाटी शाखा 24 परगना उत्तर पश्चिम बंगाल के बैंक मैनेजर पर केस दर्ज कराया है। इन सभी पर उज्जैन के माधव नगर थाने में बीएनएस की धारा 318(4), 338, 336 (3), 340 (2) के तहत केस दर्ज किया गया है। इसमें गिरफ्तारी के प्रावधान है। इस केस में भी इनकी गिरफ्तारी होगी।

अमृत 2.0 योजना में 3.79 करोड़ की फर्जी गारंटी

उज्जैन नगर निगम ने अमृत 2.0 योजना के तहत सिटी में वाटर सप्लाय प्रोजेक्ट के काम का टेंडर निकाला था जो मूल रूप से अहमदाबाद की और जिसका इंदौर में भी आफिस है तीर्थ गोपीकान को मिला था। इसके तहत उनसे साल 2023 में 87.88 लाख की और 2.92 करोड़ की दो अलग-अलग बैंक गारंटी दी थी। यह बैंक गारंटी फर्जी निकली है।

बैंक के साथ मिलजुकर कर रहे गारंटी का खेल

इस मामले में सामने आया है कि तीर्थ गोपीकान कंपनी बैंक मैनेजर के साथ मिलकर पूरी सांठगांठ से यह फर्जी बैंक गारंटी हासिल कर रही है। अप्रैल 2023 में कंपनी ने यह टेंडर हासिल किया और फिर अगस्त-सितंबर 2023 में बैंक गारंटी निगम को दी। इसकी निगम ने जांच कराई और बैंक से पूछा तो उन्होंने कहा कि यह सही है। लेकिन जब द सूत्र ने इसके मप्र जल विकास विभाग को 184 करोड़ की बैंक गारंटी देने और सीबीआई द्वारा इस मामले में जांच के दौरान कंपनी के दफ्तर से उज्जैन निगम को दी 87.88 लाख की गारंटी संदिग्ध होने का खुलासा किया तो उज्जैन निगम ने इस मामले की फिर फाइल खोली। साथ ही बैंक प्रबंधन कोलकाता से फिर इसकी जांच शुरू कराई। इसके बाद बैंक प्रबंधन ने जवाब दिया कि इस तरह की कोई भी 87.88 लाख और 2.92 करोड़ की बैंक गारंटी तीर्थ गोपीकान को जारी नहीं की गई है। 

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कंपनी ने फर्जी गारंटी से जमकर लिए सरकारी ठेके

कंपनी मूल रूप से अहमदाबाद (गुजरात) की है। मध्यप्रदेश में इसका आफिस इंदौर में 204, अमर मेट्रो पगनिस पागा इंदौर में हैं। कंपनी के एमडी महेश भाई कुंभानी है, इसमें प्रमोटर व डायरेक्टर चंद्रिकाबेन कुंभानी और नान एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लव कुंभानी है। कंपनी मूल रूप से सरकार के सिविल इंजीनियरिंग वर्क्स के टेंडर लेती है। कंपनी ने इंदौर, उज्जैन, छतरपुर जैसे शहरों में कई प्रोजेक्ट किए हैं। इंदौर में नगर निगम और स्मार्ट सिटी के तहत सराफा प्रोजेक्ट, नाला टैपिंग, एसटीपी प्रोजेक्ट, सरवटे प्रोजेक्ट जैसे कई प्रोजेक्ट किए हैं, उज्जैन में अमृत 2.0 प्रोजेक्ट भी है।

फर्जी गारंटी से ठेके और पेमेंट असल में लेती है कंपनी

कंपनी का यह पूरा दोतरफा खेल है। कंपनी बैंक से सांठगांठ कर फर्जी बैंक गारंटी बनवाती है और फिर काम शुरू कर सरकार से भुगतान लेना शुरू कर देती है। जैसे की जल निगम के 950 करोड़ के ठेके में कंपनी ने 84 करोड़ का भुगतान भी ले लिया। कंपनी हर जगह इसी तरह का खेल करती रही है।

तीर्थ गोपीकॉन सीबीआई इंदौर मध्यप्रदेश अहमदाबाद द सूत्र
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