इंदौर में 453 करोड़ का सौदा होगा रद्द, 184 करोड़ की फर्जी गारंटी पर तीर्थ गोपीकॉन कंपनी के एमडी गिरफ्तार

इंदौर में 453 करोड़ रुपए का रियल एस्टेट सौदा रद्द हो सकता है। साथ ही, तीर्थ गोपीकान कंपनी के एमडी महेश कुम्भानी को 184 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी के मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया है।

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Sanjay Gupta
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मप्र जल निगम लिमिटेड में 184 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी के जरिए 950 करोड़ के काम का ठेका लेने में उलझी तीर्थ गोपीकान कंपनी के एमडी और फाउंडर महेश कुम्भानी को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। उनके साथ ही एक निजी व्यक्ति, जो बैंक और कंपनी के बीच में फर्जी बैंक गारंटी की सांठगांठ करता था। गौरव धाकड़ को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। इसके पहले सीबीआई इस मामले में बैंक से जुड़े तीन लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी थी।

इंदौर का 453 करोड़ का सौदा रद्द होना तय

तीर्थ गोपीकान कंपनी के फर्जीवाड़े एक-एक कर खुल रहे हैं। हाल ही में इसने इंदौर में स्मार्ट सिटी से कुक्कुट केंद्र की जमीन 453 करोड़ रुपए में खरीदने का सौदा किया था। इसके पहले किश्त भरनी थी लेकिन उसने अभी तक नहीं भरी है। उसे स्मार्ट सिटी इंदौर से नोटिस मिल चुके हैं। वहीं अब इसके द्वारा स्मार्ट सिटी में भी सौदे के लिए दी गई 9.50 करोड़ की बैंक गारंटी की जांच शुरू हो गई है। यह भी संदिग्ध बताई जा रही है क्योंकि यह भी पश्चिम बंगाल के उसी 24 परगना जिले की पंजाब नेशनल बैंक से बताई जा रही है, जिससे बाकी फर्जी बैंक गारंटी बनवाई गई।

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तीर्थ गोपीकान का कितना बड़ा खेल

इस पूरे मामले में कंपनी ने जमकर खेल किया है। कंपनी ने फर्जी बैंक गारंटी खुद बनवाई। खुद ही ठेका निरस्त का नोटिस मिलने पर थाने में पहुंच गई और हाईकोर्ट में अपील कर दी। कंपनी को 950 करोड़ से ज्यादा का जल निगम का टेंडर मिला था। इसके लिए उसने पीएनबी कोलकाता की नॉर्थ 24 परगना ब्रांच की बैंक गारंटी 184 करोड़ की दी। यह बैंक गारंटी 20 मार्च 2023 की थी। 25 अप्रैल 2025 को कंपनी को जल निगम से नोटिस मिला कि यह बैंक गारंटी फर्जी है।

इसी बीच जब कंपनी को इसकी भनक लगी तो उसने रावजी बाजार इंदौर थाने में एक शिकायत करा दी कि कुछ बैंक वालों ने मिलकर उसके साथ ठगी की और बैंक गारंटी का खेल किया। वहीं साथ ही कंपनी होशियारी दिखाते हुए ठेका बचाने के लिए हाईकोर्ट चली गई। लेकिन हाईकोर्ट ने वहां बड़ा मामला देखते हुए सीबीआई से अज्ञात के खिलाफ केस रजिस्टर्ड कर इस पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए। सीबीआई ने नौ मई को इस मामले में अज्ञात के खिलाफ 420, 467, 468 और 120 बी धारा में केस दर्ज कर जांच शुरू की और कोलकाता से दो को गिरफ्तार भी किया। जब इन आरोपियों से पूछताछ की तो फिर सीबीआई ने कंपनी के ऑफिस पर भी छापा मारा।

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कंपनी के ऑफिस से और भी फर्जी गारंटी मिली

इसके बाद सीबीआई ने बैंक अधिकारियों से पूछताछ के बाद कंपनी के ऑफिस में भी छापा मारा और यहां पर 87.88 लाख की एक और बैंक गारंटी मिली, जो कंपनी ने इसी बैंक से जारी करवाई थी। यह उज्जैन नगर निगम को अमृत 2.0 के टेंडर के एवज में बताई थी। कंपनी को जब उज्जैन निगम ने नोटिस दिया तो कंपनी फिर कोर्ट गई और कहा कि मूल गारंटी सीबीआई से वापस दिलवाए, लेकिन इस पर सीबीआई ने बताया कि यह गारंटी संदिग्ध है और जांच चल रही है। इसी बीच उज्जैन निगमायुक्त अभिलाष मिश्रा ने इस गारंटी की जांच कराई और फर्जी निकली।

उज्जैन निगमायुक्त ने भी कराई कुम्भानी पर एफआईआर

इस मामले में उज्जैन नगर निगम ने सख्त रुख दिखाते हुए कंपनी के एमडी महेश भाई कुम्भानी, प्रमोटर व होल टाइम डायरेक्टर चंद्रिका बेन कुम्भानी, के साथ ही नॉन एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लव कुम्भानी और पंजाब नेशनल बैंक बागुई हाटी शाखा 24 परगना उत्तर पश्चिम बंगाल के बैंक मैनेजर पर केस दर्ज कराया है। इन सभी पर उज्जैन के माधव नगर थाने में बीएनएस की धारा 318(4), 338, 336 (3), 340 (2) के तहत केस दर्ज किया गया है। इसमें गिरफ्तारी के प्रावधान है। इस केस में भी इनकी गिरफ्तारी होगी।

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अमृत 2.0 योजना में 3.79 करोड़ की फर्जी गारंटी

उज्जैन नगर निगम ने अमृत 2.0 योजना के तहत सिटी में वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट के काम का टेंडर निकाला था, जो मूल रूप से अहमदाबाद की और जिसका इंदौर में भी ऑफिस है, तीर्थ गोपीकान को मिला था। इसके तहत उनसे साल 2023 में 87.88 लाख की और 2.92 करोड़ की दो अलग-अलग बैंक गारंटी दी गई थी। यह बैंक गारंटी फर्जी निकली है।

बैंक के साथ मिलजुल कर कर रहे गारंटी का खेल

इस मामले में सामने आया है कि तीर्थ गोपीकॉन कंपनी बैंक मैनेजर के साथ मिलकर पूरी सांठगांठ से यह फर्जी बैंक गारंटी हासिल कर रही है। अप्रैल 2023 में कंपनी ने यह टेंडर हासिल किया और फिर अगस्त-सितंबर 2023 में बैंक गारंटी निगम को दी। इसकी निगम ने जांच कराई और बैंक से पूछा तो उन्होंने कहा कि यह सही है।

लेकिन जब द सूत्र ने इसके मप्र जल विकास विभाग को 184 करोड़ की बैंक गारंटी देने और सीबीआई द्वारा इस मामले में जांच के दौरान कंपनी के ऑफिस से उज्जैन निगम को दी 87.88 लाख की गारंटी संदिग्ध होने का खुलासा किया तो उज्जैन निगम ने इस मामले की फिर फाइल खोली। साथ ही बैंक प्रबंधन कोलकाता से फिर इसकी जांच शुरू कराई। इसके बाद बैंक प्रबंधन ने जवाब दिया कि इस तरह की कोई भी 87.88 लाख और 2.92 करोड़ की बैंक गारंटी तीर्थ गोपीकान को जारी नहीं की गई है।

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कंपनी ने फर्जी गारंटी से जमकर लिए सरकारी ठेके

कंपनी मूल रूप से अहमदाबाद (गुजरात) की है। मप्र में इसका ऑफिस इंदौर में 204, अमर मेट्रो पगनिस पागा इंदौर में हैं। कंपनी के एमडी महेश भाई कुम्भानी हैं, इसमें प्रमोटर व डायरेक्टर चंद्रिकाबेन कुम्भानी और नॉन एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लव कुम्भानी हैं। कंपनी मूल रूप से सरकार के सिविल इंजीनियरिंग वर्क्स के टेंडर लेती है। कंपनी ने इंदौर, उज्जैन, छतरपुर जैसे शहरों में कई प्रोजेक्ट किए हैं। इंदौर में नगर निगम और स्मार्ट सिटी के तहत सराफा प्रोजेक्ट, नाला टैपिंग, एसटीपी प्रोजेक्ट, सरवटे प्रोजेक्ट जैसे कई प्रोजेक्ट किए हैं, उज्जैन में अमृत 2.0 प्रोजेक्ट भी है।

फर्जी गारंटी से ठेके और पेमेंट असल में लेती है कंपनी

कंपनी का यह पूरा दोतरफा खेल है। कंपनी बैंक से सांठगांठ कर फर्जी बैंक गारंटी बनवाती है और फिर काम शुरू कर सरकार से भुगतान लेना शुरू कर देती है। जैसे कि जल निगम के 950 करोड़ के ठेके में कंपनी ने 84 करोड़ का भुगतान भी ले लिया। कंपनी हर जगह इसी तरह का खेल करती रही है।

केवल तीन करोड़ के प्रॉफिट में कंपनी, ले रही करोड़ों के ठेके

द सूत्र ने कंपनी के पुराने टर्नओवर, प्रॉफिट आदि की बैलेंसशीट भी जांची। इसमें चौकाने वाली बात यह है कि कंपनी का जहां 2024 में टर्नओवर 112 करोड़ और नेट प्रॉफिट करीब 12 करोड़ था, वहीं साल 2025 मार्च की शीट में टर्नओवर मात्र 55 करोड़ और नेट प्रॉफिट मात्र 3.30 करोड़ ही है। इसके बाद भी यह कंपनी 900 करोड़ जैसे बड़े ठेके उठा रही है और इंदौर में 450 करोड़ जैसी राशि की जमीन खरीदी के सौदे कर रही है। इस जमीन की खरीदी के पीछे भी खेल यही था कि इस जमीन के सौदे के कागज दिखाकर अन्य टेंडर और करोड़ों की बैंक गारंटी बैंक से बनवाती और इससे और ठेके उठा लेती। लेकिन अब यह सभी सौदों में कंपनी उलझ गई है।

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