इंदौर में 454 करोड़ का रियल एस्टेट सौदा करने वाली तीर्थ गोपीकॉन कंपनी को नहीं मिलेगी बैंक गारंटी की राशि

इंदौर में 454 करोड़ के रियल एस्टेट सौदे को लेकर तीर्थ गोपीकॉन कंपनी का विवाद चल रहा है। कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन उसे बैंक गारंटी की राशि वापस नहीं मिली।

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Sanjay Gupta
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INDORE. इंदौर में रियल एस्टेट का 454 करोड़ का सौदा करने वाली तीर्थ गोपीकॉन (महेश कुम्भानी) कंपनी का सौदा 'द सूत्र' के खुलासे के बाद स्मार्ट सिटी ने रद्द कर दिया था। अब इस मामले में कंपनी ने हाईकोर्ट का रुख किया है। कंपनी ने याचिका दायर कर करीब 9.5 करोड़ रुपए की अपनी जमा बैंक गारंटी की राशि वापस मांगी है। लेकिन, हाईकोर्ट से उसे झटका लगा है। वहीं, फर्जी बैंक गारंटी केस में कंपनी के एमडी कुम्भानी अभी जेल में हैं। जिला कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद अब उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

द सूत्र के खुलासे के बाद रद्द हुआ था सौदा

कंपनी ने स्मार्ट सिटी की कुक्कुट केंद्र की जमीन का सौदा स्मार्ट सिटी से किया था। इस सौदे से आने वाली राशि से मास्टर प्लान की सड़क बनानी तय हुई थी। लेकिन द सूत्र ने खुलासा किया कि सीबीआई की रिपोर्ट में पता चला कि स्मार्ट सिटी के कई सौदों में दी जाने वाली गारंटी फर्जी हैं।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कंपनी की नेटवर्थ और प्रॉफिट इतना नहीं है कि वह सौदा कर सके। इसके बाद सिटी बोर्ड ने बैठक कर सौदा रद्द किया और बैंक गारंटी जब्त कर ली। इस गारंटी की राशि को पाने के लिए ही कंपनी हाईकोर्ट गई थी।

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हाईकोर्ट ने आदेश में कहा - बिना शर्त थी गारंटी

हाईकोर्ट पहुंची कंपनी ने मांग की थी कि बैंक गारंटी की राशि लौटाई जाए। सौदा गलत तरीके से रद्द हुआ और राशि भी नहीं लौटाई गई। इस पर हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश दे दिया। साथ ही, स्मार्ट सिटी बोर्ड के फैसले पर स्टे से इंकार कर दिया।

कोर्ट ने कहा कि बैंक गारंटी बिना किसी शर्त के दी गई थी और कंपनी ने 30 दिन में पहली किस्त भी नहीं दी। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि बैंक गारंटी की राशि को कैश कराकर स्मार्ट सिटी अलग ब्याज खाते में रखे, जब तक अंतिम फैसला नहीं आता।

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जल निगम की फर्जी 188 करोड़ की गारंटी से उलझे

कंपनी ने मप्र जल निगम में 188 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी देकर 950 करोड़ के काम लिया था। इसी के चलते तीर्थ गोपीकॉन कंपनी चर्चा में आई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने जांच की। इससे चौंकाने वाले खुलासे हुए। सीबीआई की यह रिपोर्ट द सूत्र के पास एक्सक्लूसिव मौजूद है।

सीबीआई ने अपनी जांच में बताया है कि कंपनी के प्रमुख महेश कुम्भानी ने फर्जी बैंक गारंटी के जरिए सरकारी ठेके लिए और सौदे किए हैं। कंपनी ने इन गारंटी के जरिए 85 करोड़ की कमाई की थी। फर्जी बैंक गारंटी बनवाने के लिए और इसका झूठा सत्यापन कराने के लिए पूरा रैकेट सक्रिय है। इसी में यह गोपीकान जुड़े हुए हैं।

जल निगम को दी गई गारंटी बनवाने के लिए कंपनी ने 1 करोड़ रुपए मध्यस्थ राहुल गुप्ता को दिए थे। गारंटी का सत्यापन करने का काम गौरव धाकड़ और अन्य लोग मिलकर करते थे। जब संबंधित विभाग से ईमेल के जरिए बैंक गारंटी के सत्यापन की जानकारी मांगी जाती थी, तब मिलते-जुलते नाम के डोमेन वाले ईमेल अकाउंट बनाकर सत्यापन भेजा जाता था। इसके बदले में राशि का भुगतान किया जाता था।

स्मार्ट सिटी इंदौर के कई ठेके फर्जी बैंक गारंटी से लिए

सीबीआई की जांच में पता चला कि कंपनी ने सिर्फ जल निगम को नहीं, बल्कि कई बार इंदौर स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन लिमिटेड को भी फर्जी बैंक गारंटी दी है। इसके अलावा, राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम लिमिटेड, जयपुर में भी फर्जी गारंटी से काम किए गए हैं।

सीबीआई ने कहा कि कुम्भानी की कंपनी का पंजाब नेशनल बैंक में कोई खाता नहीं है। यहां से ही जल निगम के लिए फर्जी बैंक गारंटी जारी की गई। गारंटी की पुष्टि के लिए जल निगम ने पीएनबी को मेल किए। इनके जवाब में अलग-अलग डोमेन से ईमेल आए, जो पीएनबी के असली डोमेन से मिलते थे।

यह नकली मेल आईडी फिरोज खान ने बनाई थी। यह मेल प्रिंट राहुल गुप्ता को दिए गए थे। गोविंद चंद्र हंसदा, जो बागुईहाटी शाखा के वरिष्ठ प्रबंधक थे और गुप्ता मिले हुए थे। इसके बदले में गुप्ता के खाते से हंसदा के पास 7.55 लाख और राकेश जागीरदार के खाते से एक लाख ट्रांसफर किए गए। गोविंद धाकड़ ने बैंक गारंटी के सत्यापन की जिम्मेदारी ली थी। इस दौरान, जब वह दूसरे केस में जेल गए, तो तीर्थ गोपीकान ने गुप्ता से बात की। गुप्ता को 1 करोड़ दिए गए।

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स्मार्ट सिटी के सौदे से यह कर रही थी कंपनी

कंपनी ने अपने शेयर की कीमत बढ़ाने के लिए एक दावा करने लगी। दावों में कंपनी ने कहा की उसे स्मार्ट सिटी इंदौर का 454 करोड़ का सौदा मिला है। इससे कंपनी को भविष्य में 1875 करोड़ का राजस्व मिलेगा। असल में, कंपनी का पूरा खेल यही था कि फर्जी बैंक गारंटी और फर्जी सौदों के जरिए अपनी नेटवर्थ को ज्यादा दिखाया जाए। इसका मकसद था शेयर की कीमत बढ़ाना और फिर विभिन्न बैंकों से भारी लोन उठाना। सीबीआई की जांच के बाद कंपनी के शेयर का मार्केट कैप 90 फीसदी तक घट चुका है।

उज्जैन निगमायुक्त ने भी कराई कुम्भानी पर एफआईआर

उज्जैन के निगमायुक्त ने फर्जी बैंक गारंटी के मामले में कंपनी के एमडी महेश कुम्भानी, प्रमोटर और डायरेक्टर चंद्रिका बेन कुम्भानी, नॉन-एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लव कुम्भानी और पंजाब नेशनल बैंक के बागुईहाटी शाखा के बैंक मैनेजर के खिलाफ केस दर्ज कराया है। इन सभी पर उज्जैन के माधव नगर थाने में बीएनएस की धारा 318(4), 338, 336(3), 340(2) के तहत केस दर्ज किया गया है।

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अमृत 2.0 योजना में 3.79 करोड़ की फर्जी गारंटी

उज्जैन नगर निगम ने अमृत 2.0 योजना के तहत वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट का टेंडर निकाला था। यह टेंडर अहमदाबाद की कंपनी तीर्थ गोपीकान को मिला था। इस कंपनी का इंदौर में भी ऑफिस है। इसके तहत 2023 में उन्हें 87.88 लाख और 2.92 करोड़ की दो अलग-अलग बैंक गारंटी दी गई थी। यह बैंक गारंटी फर्जी निकली है।

कंपनी ने फर्जी गारंटी से जमकर लिए सरकारी ठेके

कंपनी मूल रूप से अहमदाबाद (गुजरात) की है। मध्य प्रदेश में इसका ऑफिस इंदौर में 204, अमर मेट्रो पगनिस पागा, इंदौर में स्थित है। कंपनी के एमडी महेश कुम्भानी हैं। इसमें प्रमोटर व डायरेक्टर चंद्रिका बेन कुम्भानी और नॉन-एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर पल्लव कुम्भानी हैं। कंपनी मूल रूप से सरकारी सिविल इंजीनियरिंग वर्क्स के टेंडर लेती है।

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