मध्य प्रदेश में साइबर ठगों का बढ़ता जाल, फर्जी कॉल सेंटर का खुलासा

मध्य प्रदेश में साइबर ठगों के द्वारा चलाए जा रहे फर्जी कॉल सेंटरों के नेटवर्क का खुलासा हुआ है, जिसमें गुजरात, राजस्थान और दिल्ली की गैंग सक्रिय है। ये ठग हर तीन से छह महीने में अपना ठिकाना बदलते रहते हैं...

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Sandeep Kumar
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मध्य प्रदेश में साइबर ठगों के द्वारा फर्जी कॉल सेंटर चलाने का मामला सामने आया है, जहां गुजरात, राजस्थान और दिल्ली की गैंग ने राज्य के बड़े शहरों में अपना ठिकाना बना लिया है। पुलिस की सख्ती और सतर्कता के बावजूद ठग अपने ठिकानों को लगातार बदलकर लोगों को धोखा देने में लगे हैं। इस बार पुलिस ने भोपाल, इंदौर और जबलपुर जैसे शहरों के आसपास कई गुप्त ठिकाने उजागर किए हैं। हाल ही में भवानीमंडी में ठगों की गैंग पकड़ी गई, जिसकी जड़े मंदसौर के गरोठ तक फैली हुई थीं। इन ठगों ने ऐशबाग में एक फर्जी कॉल सेंटर चला रखा था, जिसे वे पेशेवर ऑफिस के रूप में पेश कर रहे थे ताकि पुलिस की नजरों से बच सके।

ठिकाने बदल रहे फर्जी कॉल सेंटर संचालक

पुलिस के मुताबिक, फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाली गैंग हर तीन से छह महीने में अपना लोकेशन बदल देती है। इस गैंग का पहला ठिकाना भवानीमंडी था, जो राजस्थान और मध्य प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित है। इसके बाद, यह गैंग मंदसौर के गरोठ में भी कई महीनों तक सक्रिय रही। वर्तमान में, जुलाई 2024 से, यह गैंग शामगढ़ में अपना नया ठिकाना बना चुकी है। ठग अपने इस ठिकाने को लगातार बदलते रहते हैं ताकि पुलिस उनकी पहचान न कर सके।

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ठगों का प्रोफेशनल नेटवर्क

इन फर्जी कॉल सेंटरों में ठगों ने प्रोफेशनल कर्मचारियों को भी रखा हुआ है। इन कर्मचारियों को ठगी करने के बदले वेतन के तौर पर 15,हजार से 50,हजार रुपए तक दिए जाते हैं। इसके अलावा, कॉल पर ज्यादा लोगों को फंसाने पर कर्मचारियों को इंसेंटिव भी दिया जाता है। इस तरीके से ठग अपनी ठगी की योजना को और भी व्यवस्थित तरीके से चला रहे हैं।

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पुलिस की मिलीभगत का खुलासा

मध्य प्रदेश पुलिस की एक और चौंकाने वाली भूमिका इस मामले में सामने आई है। भोपाल के ऐशबाग थाना क्षेत्र में पुलिस की मिलीभगत भी उजागर हुई है। जांच के दौरान पता चला कि आरोपियों को बचाने के लिए ऐशबाग पुलिस ने 25 लाख रुपए में सौदा किया था। इस सौदे के तहत, एएसआइ पवन रघुवंशी को 5 लाख रुपए की घूस के साथ गिरफ्तार किया गया। इसके बाद, पुलिस ने ऐशबाग टीआई राजेंद्र गढ़वाल, दो एएसआई मनोज कुमार और पवन रघुवंशी और प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र सिंह को सस्पेंड कर दिया। साथ ही, एफआईआर दर्ज की गई है।

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ठगी के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई

हालांकि, पुलिस ने ठगों और उनकी गैंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, लेकिन यह मामला और पुलिस की मिलीभगत साबित करता है कि ठगों का नेटवर्क कितना मजबूत और संगठित हो चुका है। पुलिस अब इस गैंग की पूरी साजिश को उजागर करने में जुटी है, ताकि ऐसे साइबर ठगों पर कड़ी कार्रवाई की जा सके। पुलिस ने इस मामले में और अधिक गिरफ्तारियों की संभावना जताई है और इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रखने का भरोसा दिलाया है।

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