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Photograph: (the sootr)
BHOPAL. धांधली के सहारे सरकारी नौकरी हथियाने वाले सैकड़ों लोग सलाखों के पीछे पहुंचे हैं। एक ओर योग्य अभ्यर्थी भर्तियों के लिए परेशान हैं तो दूसरी और जिम्मेदार अधिकारी हेराफेरी के सहारे अपात्रों को नौकरी दे रहे हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश एसटीएफ की जांच में 100 से ज्यादा शिक्षक, डॉक्टर और इंजीनियरों के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। अब मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम में संविदा भर्ती में धांधली सामने आई है।
अपात्रों को नौकरी देने के लिए न केवल फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया गया बल्कि पर्यटन विकास निगम की चयन समिति ने भी फर्जीवाड़े को नजरअंदाज कर नियुक्ति का रास्ता खोल दिया। मामला डेढ़ साल तक जांच में दबाए रखने के बाद अब कार्रवाई के नाम पर कुछ लोगों को नोटिस जारी कर फर्जीवाड़ा का पटाक्षेप करने की कोशिशें तेज हो गई हैं।
सवाल उठने पर भी कर ली भर्ती
मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा अपने संस्थानों के लिए अलग- अलग पदों पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था। 2 फरवरी 2023 को जारी विज्ञापन के आधार पर अभ्यर्थियों ने इन संविदा पदों पर अपनी दावेदारी आवेदन के माध्यम से पेश की थी। जिसके बाद दस्तावेजों का सत्यापन कराते हुए चयन समिति ने भर्ती की प्रक्रिया को पूरा किया था।
इस नियुक्ति प्रक्रिया पर शुरूआत से ही सवाल उठाए गए लेकिन चयन समिति द्वारा इन्हें अनदेखा कर दिया गया। अधिकारियों की चुप्पी को देखते हुए भर्ती प्रक्रिया की जानकारी हासिल करने के लिए सूचना के अधिकार का सहारा लिया गया था।
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डेढ़ साल से फाइलों में बंद जांच
दरअसल पर्यटन विकास निगम द्वारा फरवरी 2023 में स्वागत अधिकारी और फ्रंट ऑफिस असिस्टेंट (एफएओ) के 19 पदों पर भर्ती निकाली थी। इन पदों पर भर्ती के लिए सैकड़ों अभ्यर्थियों ने आवेदन जमा किए जिसके बाद इनकी स्क्रूटनी की गई। भर्ती प्रक्रिया के तहत मेरिट तैयार की गई जिसके बाद चयनित अभ्यर्थियों का रिटर्न टेस्ट और इंटरव्यू हुआ।
प्रक्रिया के इन चरणों के बाद चुने गए अभ्यर्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन कराते हुए नियुक्ति दी गई थी। नियुक्ति के बाद पांच लोगों की भर्ती में धांधली के आरोप सामने आने पर पर्यटन विकास निगम द्वारा जांच के आदेश दिए गए लेकिन यह जांच डेढ़ साल बाद भी पूरी नहीं हो पाई है।
जांच के नाम पर केवल नोटिस जारी
पर्यटन विकास निगम में संविदा पदों पर भर्ती पर सवाल उठाए जाने के बाद जांच के नाम पर चयनित अभ्यर्थियों को नोटिस भेजे गए। अभ्यर्थियों ने इसके जवाब दिए और फिर जांच ठंडे बस्ते में चली गई।
शिकायतकर्ता द्वारा ईडब्ल्युएस कोटे में सुरक्षित पद पर गलत नियुक्ति के आरोप लगाए गए थे लेकिन इस पर केवल जांच का दिखावा किया गया। यही वजह है कि अब तक जांच का कोई नतीजा ही सामने नहीं आया है। इस मामले में ईडब्ल्युएस कोटे के पद पर भर्ती के लिए फर्जी सर्टिफिकेट बनवाने की भी जांच नहीं कराई गई।
आय अधिक फिर कैसे बना EWS
शिकायतकर्ता ने पांच पदों पर भर्ती में हेराफेरी की शिकायत की थी। स्वागत अधिकारी के पद पर नियुक्ति के लिए फर्जी ईडब्ल्युएस सर्टिफिकेट बनाए जाने पर पर्यटन विकास निगम से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल की गई। इस जानकारी ने भर्ती में हुई धांधली को उजागर कर दिया है।
स्वागत अधिकारी के पद पर नियुक्ति के लिए अभ्यर्थी सुखसागर अवस्थी द्वारा ईडब्ल्युएस सर्टिफिकेट जमा कराया गया था। जबकि इस दौरान वे निगम द्वारा ओरछा में संचालित बेतवा रिट्रीट में बैंक्वेट मैनेजर थे और उन्हें 20 हजार रुपए मासिक वेतन मिल रहा था। वहीं उनके पिता बद्रीप्रसाद अवस्थी निगम की ग्वालियर स्थित तानसेन रेसीडेंसी में 50 हजार रुपए मासिक की नौकरी कर रहे थे। इस मासिक वेतन के बावजूद उन्हें ईडब्ल्युएस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जा सकता।
पहले नियुक्ति फिर बनवाया सर्टिफिकेट :
सूचना के अधिकार के तहत सामने आए दस्तावेजों में सुख सागर अवस्थी का ईडब्ल्युएस सर्टिफिकेट भी है। इस पर जारी करने की तारीख 14 फरवरी 2023 दर्ज है। वहीं उन्हें स्थायी निवासी प्रमाण पत्र 10 फरवरी को जारी किया गया था। जबकि जिन दस्तावेजों के आधार पर सर्टिफिकेट बनवाया गया वे मई 2023 में बनवाए गए थे।
इस आधार पर अवस्थी के सर्टिफिकेट की जांच की मांग भी की गई लेकिन निगम ने इस पर गंभीरता ही नहीं दिखाई। केवल पांचों अभ्यर्थियों को शो कॉज नोटिस जारी किया है। वहीं चयन समिति से दस्तावेजों की जांच पर कोई सवाल किया गया न ही किसी पर कार्रवाई प्रस्तावित की गई है।
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भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी पर मांगा अभिमत
पर्यटन विकास निगम के प्रबंध संचालक डॉ.इलैया राजा टी. का कहना है भर्ती में गड़बड़ी की जांच के लिए समिति बनाई गई है। गड़बड़ी किस स्तर पर हुई या प्रक्रिया में किसी प्रकार की त्रुटि रही है, इस संबंध में विधि विभाग से अभिमत मांगा है। विधि विभाग से आने वाले मत के आधार पर आगे की कार्रवाई तय करेंगे।
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