क्या एमपी में फिर बढ़ेगा बिजली बिल? कंपनियों ने भेजा प्रस्ताव

मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों ने 10.19% बिजली की दर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। ये बढ़ोतरी घाटे की भरपाई के लिए की जा रही है। आयोग फरवरी में इस पर सुनवाई करेगा।

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Anjali Dwivedi
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पांच प्वाइंट में समझें पूरा मामला

  • मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों ने दरों में 10.19 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव दिया है।
  • घाटे की भरपाई के लिए यह वृद्धि की मांग की जा रही है, जो 6 हजार 44 करोड़ रुपए का है।
  • सौर ऊर्जा से राहत मिल रही है, लेकिन बिजली की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव है।
  • कंपनियों ने ऊर्जा प्रभार में 51 पैसे प्रति यूनिट और नियत प्रभार बढ़ाने का प्रपोजल भेजा है।
  • आयोग इस प्रस्ताव पर 24-26 फरवरी को सुनवाई करेगा, बाद में निर्णय लिया जाएगा।

मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियां एक बार फिर से आम उपभोक्ताओं के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। राज्य विद्युत नियामक आयोग (MERC) को साल 2026-27 में बिजली की दर 10.19 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया है।

यह बढ़ोतरी घाटे के आधार पर की जा रही है, जो करीब 6,044 करोड़ रुपए है। यह घाटा नया नहीं है, बल्कि कई सालों से चल रहा है और पहले भी इसे नकारा जा चुका है।

सस्ती कोयला दर का फायदा क्यों नहीं मिला?

भारत सरकार ने जीएसटी में छूट दी थी, खासकर कोयले पर लगने वाला अतिरिक्त शुल्क (Additional charges) खत्म कर दिया था। इस कदम से आम लोगों को राहत मिलने की उम्मीद थी। इसके बावजूद, बिजली कंपनियां दरें बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं। बिजली क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि कंपनियां अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए दरों में बढ़ोतरी चाहती हैं।

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जनसुनवाई से पहले उठ रहे सवाल

मध्य प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग ने इस प्रस्ताव पर 24 फरवरी से जनसुनवाई शुरू करने का फैसला किया है। इस सुनवाई में आम लोग अपनी आपत्तियां 25 जनवरी तक दे सकते हैं। प्रदेश में कुल एक करोड़ 29 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं, जिनके लिए यह वृद्धि एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

बिजली कंपनियों के घाटे की कहानी

बिजली कंपनियों ने घाटे को पूरा करने के लिए 10.19 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। कंपनियों का कहना है कि 2014-15 से 2022-23 के बीच 3,451 करोड़ रुपए की दर वृद्धि का प्रस्ताव अस्वीकार हो गया था, जिस वजह से उन्हें घाटा हो रहा है। इसके अलावा, स्मार्ट मीटर लगाने में 820 करोड़ रुपये और बिजली खरीदने पर करीब 300 करोड़ रुपये का खर्च आया है।

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सौर ऊर्जा से क्यों नहीं मिल रही राहत?

मध्य प्रदेश में सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता अब 5 हजार 781 मेगावाट हो गई है। यह बिजली प्रति यूनिट तीन रुपए से कम दर पर मिल रही है। ऐसे में, बिजली की लागत को कम करना चाहिए था, लेकिन इसके बावजूद दरें बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। बिजली क्षेत्र के जानकार मानते हैं कि कंपनियों का प्रबंधन सही नहीं है और भ्रष्टाचार के कारण यह समस्या बढ़ रही है।

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क्या बदलाव हो सकते हैं?

बिजली कंपनियों ने ऊर्जा प्रभार में औसतन 51 पैसे प्रति यूनिट और नियत प्रभार को प्रति 15 यूनिट 28 रुपए से बढ़ाकर 31 रुपए करने का प्रस्ताव भी दिया है। यह बिजली उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता है।

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर 2028 तक बिजली के दाम नहीं बढ़ाना चाहते। मगर बिजली कंपनियों की याचिका से स्थिति कुछ और ही दिखती है।

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क्या इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जाएगा?

वहीं, जिन 4,800 करोड़ रुपए की वसूली को चुनावों के दौरान स्थगित किया गया था। उसकी भरपाई अभी बाकी है। उपभोक्ताओं से यह राशि वसूली जाएगी या कोई अन्य रास्ता निकाला जाएगा, इस पर भी अभी फैसला नहीं हुआ है।

आयोग इस प्रस्ताव पर 24 फरवरी को जबलपुर, 25 फरवरी को इंदौर और 26 फरवरी को भोपाल में सुनवाई करेगा। उसके बाद ही इस प्रस्ताव पर कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा।

 

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