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Photograph: (THESOOTR)
BHOPAL. सिंगरौली कलेक्टर गौरव बेनल की सूझबूझ से एक बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ में आया। एक युवक ने खुद को मुख्य सचिव बताकर कलेक्टर को फोन किया और डीएमएफ फंड से संबंधित कार्य तत्काल कराने का दबाव बनाया। कलेक्टर को शक हुआ, और उन्होंने पूरी चालाकी से जाल बिछाकर आरोपी को गिरफ्तार करवा लिया।
फर्जी मुख्य सचिव का जाल
कलेक्टर के शासकीय मोबाइल पर दो दिन पहले एक व्हाट्सऐप संदेश आया। संदेश भेजने वाले ने खुद को “मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन” बताया और डीएमएफ फंड से जुड़ा काम तुरंत निपटाने का आदेश दिया।
शंका होने पर आईएएस गौरव बेनल ने पूरी जांच शुरू की और योजनाबद्ध तरीके से आरोपी को पकड़ने की रणनीति बनाई। उन्होंने तुरंत पुलिस अधीक्षक को सूचित किया, जिससे यह फर्जीवाड़ा सामने आ गया।
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कलेक्ट्रेट में गिरफ्तारी
सोमवार को आरोपी सचिन्द्र तिवारी और आईबी के सब इंस्पेक्टर वाल्मीकि प्रसाद मिश्रा कलेक्ट्रोरेट पहुंचे। जैसे ही दोनों कलेक्टर के कक्ष में पहुंचे, पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि यह पूरी साजिश सचिन कुमार मिश्रा ने रची थी, जो भोपाल से गिरफ्तार हुआ। जांच में पता चला कि आरोपी भोपाल का रहने वाला है और कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट है।
पिता-पुत्र की साजिश का खुलासा
जांच में यह पता चला कि आईबी के सब इंस्पेक्टर वाल्मीकि मिश्रा और उनके बेटे सचिन मिश्रा ने मिलकर डीएमएफ फंड से संबंधित टेंडर कार्य में हस्तक्षेप के लिए फर्जी कॉल करने की साजिश बनाई थी। पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया और उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया।
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डीएमएफ फंड क्या होता है?
डीएमएफ (District Mineral Foundation) एक गैर-लाभकारी ट्रस्ट है जो खनन प्रभावित इलाकों में बनाया जाता है। इसका उद्देश्य खनन से प्रभावित लोगों के विकास और पुनर्वास के लिए कार्य करना है। यह फंड खदान पट्टेदारों से मिलने वाली रॉयल्टी का एक हिस्सा होता है, जिसे जिले में विकास कार्यों के लिए खर्च किया जाता है।
तीन आरोपी चढ़े पुलिस के हत्थे...
वैढ़न पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया-
- सचिन मिश्रा (24 वर्ष), निवासी भोपाल
- आईबी सब इंस्पेक्टर वाल्मीकि प्रसाद मिश्रा
- सहयोगी सचिन्द्र तिवारी, निवासी वैढ़न
तीनों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
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पुलिस जांच जारी...
- पुलिस के अनुसार, बीपी मिश्रा और सचिन्द्र तिवारी डीएमएफ फंड से जुड़े कार्य करवाने के इरादे से कलेक्ट्रेट पहुंचे थे।
- थाना वैढ़न में मामला अपराध क्रमांक 1161/2025 के तहत दर्ज किया गया है।
- इसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 204, 319 और आईटी एक्ट की धारा 66(D) लगाई गई हैं।
- फिलहाल, पुलिस पूरे फर्जीवाड़े की गहराई से जांच कर रही है।
कलेक्टर की सतर्कता बनी मिसाल
इस पूरे प्रकरण में कलेक्टर गौरव वैनल की सतर्कता प्रशासनिक तंत्र के लिए मिसाल बन गई है। उन्होंने समय रहते न केवल फर्जीवाड़े को रोका, बल्कि डीएमएफ फंड जैसे संवेदनशील मामले में संभावित भ्रष्टाचार की कोशिश को भी नाकाम कर दिया।
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