अपात्र डिप्लोमा सर्टिफिकेट पर नियुक्ति से उलझी एनएचएम की नेत्र सहायक भर्ती

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की भर्तियों से भी विवादों का गहरा गठजोड़ है। साल 2023 में हुई नेत्र सहायक (ऑप्थेल्मिक असिस्टेंट) भर्ती का मामला एनएचएम की गलती से डेढ़ साल से कोर्ट में अटका हुआ है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की भर्तियों से भी विवादों का गहरा गठजोड़ है। साल 2023 में हुई नेत्र सहायक (ऑप्थेल्मिक असिस्टेंट) भर्ती का मामला एनएचएम की गलती से डेढ़ साल से कोर्ट में अटका हुआ है। गलती करने वाले अधिकारी बेफिक्र अपनी नौकरी कर रहे हैं और पात्र अभ्यर्थी अपनी नियुक्ति की गुहार लगाते भटक रहे हैं। 

दरअसल जिलों में नेत्र सहायकों के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए अक्टूबर 2023 में एनएचएम द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया गया था। भर्ती परीक्षा के लिए एमपी ऑनलाइन के जरिए आवेदन जमा कराए गए थे। इसमें नेत्र सहायक एवं ऑप्टोमेट्रिक्ट या रिफ्रेशनिस्ट डिप्लोमाधारियों द्वारा आवेदन किए गए थे। जबकि इस भर्ती के लिए नेत्र सहायक डिप्लोमा ही मान्य था। ऑनलाइन परीक्षा में पहले चरण पर दस्तावेजों की स्क्रूटनी में चूक हुई और ऑप्टोमेट्रिक्ट या रिफ्रेशनिस्ट डिप्लोमाधारियों के आवदेन भी स्वीकार कर लिए गए। 

अफसरों की चूक से फस गया पेंच  

यही से भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी शुरू हुई। जिला स्तर पर सीएमएचओ ने भी नेत्र सहायक के पदों पर भर्ती में डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के अंतर को अनदेखा कर दिया। कुछ जिलों ने दोनों डिप्लोमा सर्टिफिकेट के असमंजस के संबंध में एनएचएम से मार्गदर्शन मांग लिया। इसके जवाब में एनएचएम द्वारा ऑप्थेल्मिक टेक्नोलॉजी डिप्लोमा सर्टिफिकेट ही मान्य किया।

एनएचएम के निर्देश से पहले ही कई जिलों में ऑप्टोमेट्रिक्ट डिप्लोमाधारियों को नियुक्ति दी जा चुकी थी। इस वजह से मामला विवाद में पड़ गया। चयन समिति ने अपनी गलती को दबाते हुए नियुक्ति निरस्त की तो अभ्यर्थी कोर्ट पहुंच गए। 

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हाईकोर्ट के निर्देशों की अनदेखी

करीब डेढ़ साल से इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में चल रही है। हाईकोर्ट द्वारा इस मामले के निपटारे के लिए एनएचएम को दी गई 45 दिन की अवधि भी बीत चुकी है। इसके बावजूद अधिकारी समाधान में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। बार-बार एनएचएम के चक्कर काट रहे अभ्यर्थियों का आरोप है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से ही नियुक्ति प्रक्रिया में चूक हुई है।

जिला स्तर पर नियुक्ति से पहले स्पष्ट निर्देश जारी नहीं किए जाने से अपात्र डिप्लोमाधारियों की भर्ती की गई थी। हाईकोर्ट द्वारा एनएचएम को 45 दिन में इसके निराकरण के निर्देश दिए गए थे। अधिकारियों निर्देशा को अनदेखा कर हाईकोर्ट की अवमानना की है। 

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आवेदनों की स्क्रूटनी में ही गड़बड़ी

एनएचएम और सीएमएचओ स्तर पर नियुक्ति प्रक्रिया में हुई गलती पर अधिकारी पर्दा डाल रहे हैं। एनएचएम अधिकारी डॉ.अंशुल उपाध्याय का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया एमपी ऑनलाइन के माध्यम से हुई थी। इस व्यवस्था में दस्तावेजों की स्क्रूटनी नहीं की गई थी।

इस वजह से ऑप्टोमेट्रिक्ट डिप्लोमा सर्टिफिकेट भी मान्य कर लिए गए। जिला स्तर पर सीएमएचओ की चयन समिति ने भी ऑप्टोमेट्रिक्ट डिप्लोमा को ऑप्थेल्मिक टेक्नीशियन के समकक्ष मान्यता दी। इसी वजह से गड़बड़ी हुई है। 

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अमान्य डिप्लोमाधारियों को दी नियुक्ति

मध्य प्रदेश में नेत्र सहायक के लिए ऑप्थेल्मिक टेक्नीशियन डिप्लोमा ही मान्य है। इस पद के लिए ऑप्टोमेट्रिक्ट डिप्लोमाधारी योग्य नहीं है। एनएचएम द्वारा इस संबंध में जिलों को मार्गदर्शन भी भेजा गया था।

कुछ जिलों में गलत डिप्लोमा सर्टिफिकेट में आधार पर नियुक्ति दी गई थी लेकिन बाद में उन्हें पद से पृथक किया जा चुका  है। हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी होने और निर्णय आने के बाद खाली पदों पर प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी जाएगी। 

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गलती के बावजूद जिम्मेदारों पर रहम

एनएचएम की नेत्र सहायक भर्ती में अधिकारियों द्वारा घोर लापरवाही बरती गई। अनिवार्यता को नजरअंदाज कर अमान्य डिप्लोमाधारियों को पहले परीक्षा में शामिल किया गया, फिर नियुक्ति भी दे दी गई। नियुक्ति से पहले डिप्लोमा सर्टिफिकेट की जांच कराई गई न ही उसकी वैधता को परखा गया।

एनएचएम और सीएमएचओ स्तर पर नियुक्ति प्रक्रिया में चूक होने की बात तो अधिकारी स्वीकार कर रहे हैं लेकिन डेढ़ साल बाद भी किसी पर न तो कार्रवाई की गई और न ही किसी से जवाब तलब किया गया है। इससे एनएचएम की भर्तियों में अधिकारी स्तर पर बरती जाने वाली मनमानी उजागर हो रही है। 

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