मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के अंजड़ नगर में आयोजित सांसद समाधान शिविर में एक किसान का दुख और परेशानियों का खुलासा हुआ। ग्राम आवली के किसान विश्वविजय गिरी गोस्वामी अपनी शिकायतों की माला पहनकर शिविर में पहुंचे। इस शिविर में सांसद गजेंद्र सिंह पटेल, राजपुर एसडीएम जितेंद्र पटेल, अंजड़ तहसीलदार बबली बर्डे और अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। गोस्वामी ने आरोप लगाया कि पटवारी ने उनकी खेती का गलत सीमांकन कर दिया, जिसके बाद से उनका पड़ोसी उन्हें परेशान कर रहा है।
पटवारी पर धोखा देने का आरोप
विश्वविजय गिरी गोस्वामी ने आरोप लगाया कि उन्होंने कई बार कलेक्टर की जनसुनवाई, एसडीएम कार्यालय, तहसीलदार कार्यालय और सीएम हेल्पलाइन में अपनी शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन कहीं से कोई समाधान नहीं मिला। उन्होंने बताया कि पटवारी को भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन वही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर रहा। गोस्वामी का कहना है कि शिकायतों के बावजूद पटवारी सिर्फ एक बार उनके खेत पर गया और इसने उनकी समस्याओं को अनदेखा किया।
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प्रशासन के प्रति नाराजगी
शिविर में गोस्वामी ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि प्रशासन और सरकारी अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते हैं, लेकिन असल में कोई समाधान नहीं होता। उनके मुताबिक, इस प्रकार के समाधान शिविरों का कोई फायदा नहीं है। ये केवल लोगों को गुमराह करने के लिए आयोजित किए जाते हैं। गोस्वामी ने कहा कि उनकी शिकायतों को लेकर कई बार पटवारी बदल चुके हैं, लेकिन कोई भी पटवारी उनकी समस्या का समाधान नहीं कर रहा।
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किसान की निराशा
विश्वविजय गोस्वामी ने यह भी कहा कि वह अब सांसद समाधान शिविर में कोई शिकायत लेकर नहीं जाएंगे। उन्होंने पूरी तरह से निराश होकर कहा कि यह उनका अंतिम प्रयास था। गोस्वामी का कहना था कि वह अब आगे कहीं भी शिकायत नहीं करेंगे और किसी से कोई उम्मीद नहीं रखते। उन्होंने यह भी बताया कि उनका भाई भी दो साल से परेशान है और पटवारी तथा बाबू उन्हें परेशान कर रहे हैं। पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा भी उन्हें नहीं मिल रहा, जिससे उनकी परेशानियों में और इज़ाफा हुआ है।
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शिविर के सफलता पर सवाल !
किसान गोस्वामी की शिकायत ने एक बार फिर सवाल उठाए हैं कि क्या ऐसे समाधान शिविर वास्तव में जन समस्याओं का समाधान कर रहे हैं या सिर्फ एक दिखावा हैं। जब तक किसानों की समस्याओं का वास्तविक समाधान नहीं होता, तब तक ऐसे शिविरों का उद्देश्य पूरा नहीं हो सकता। प्रशासन की कार्यशैली और नागरिकों के प्रति संवेदनशीलता पर सवाल उठाने वाले इस मामले ने सरकार और प्रशासन को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
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