'मुख्यमंत्री कृषक ब्याज माफी योजना' को ऐसे लगा चूना,हजारों किसानों के फर्जी ऋण दिखा हड़पी करोड़ों की रकम

मध्य प्रदेश के अधिकांश सहकारी बैंक व इनसे जुड़ी समितियां घोटालों के लिए बदनाम हैं। छतरपुर जिला सहकारी बैंक ने सरकार की मुख्यमंत्री कृषक ब्याज माफी योजना में सेंध लगा दी।

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Ravi Awasthi
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भोपाल। 
राज्य सरकार की ऋण माफी और बाद में लाई गई कृषक ब्याज माफी योजना छतरपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के चंद कारिंदों के लिए वरदान साबित हुई। योजना का बेजा फायदा उठाते हुए बैंक के अधिकारी,कर्मचारियों ने करीब तीन हजार किसानों के नाम पर फर्जी ऋण  दिखाया। इस पर ब्याज की करीब 4 करोड़ रुपए की राशि हड़पी और अब अग्रिम जमानत पाकर बेखौफ हैं।

मामला,छतरपुर जिले के ईशानगर थाना क्षेत्र का है। इसके अंतर्गत आने वाली 9 प्राथमिक साख सहकारी समितियों के प्रबंधकों के​ खिलाफ बीते साल एक शिकायत दर्ज कराई गई। इसमें मुख्यमंत्री कृषक ब्याज माफी योजना 2023 में व्यापक पैमाने पर अनियमितता होना बताया गया।

सूत्रों के मुताबिक,पुलिस ने मामले की गहराई से तहकीकात की तो प्रकरण करीब तीन हजार किसानों से जुड़े होना पाए गए। इनके नाम पर योजनान्तर्गत करीब पौने चार करोड़ रुपए की रकम समिति प्रबंधक स्वयं ही हड़प गए। 

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9 सहकारी समितियों में सामने आई घपलेबाजी

घोटाले को रनगुंवा,गहरवार,सलैया,ईशानगर,पंधीकला,गुलगंज,बम्होरी, डिकौली व मऊखेरा सहकारी समितियों में अंंजाम दिया गया। ये सभी जिला केंद्रीय सहकारी बैंक छतरपुर का हिस्सा हैं। पुलिस जांच में 9 आरोपियों के नाम सामने आने पर दो ​आरोपियों को हिरासत में लेने के बाद जेल भेजा गया।

जो हाल ही में जमानत पर जेल से बाहर आ गए। जबकि अन्य सात आरोपी गिरफ्तारी के भय से पहले ही अग्रिम जमानत हासिल करने में सफल रहे।

पुलिस ने आरोपियों से हड़पी गई राशि की रिकवरी नहीं होने का तर्क देकर जमानत दिए जाने का विरोध भी किया,लेकिन वह अपने प्रयास में असफल रही। 

थाने से नोटिस मिलने पर सकते में आए किसान

सूत्रों के अनुसार,आरोपियों ने मृत किसानों को भी नहीं बख्शा। इनके नाम से भी फर्जी ऋण दिखाकर ब्याज की रकम हड़प ली गई। शेष किसानों को भी उनके नाम पर हुए घोटाले का पता उस वक्त चला,जब थाने से नोटिस भेजकर उन्हें बयान के लिए तलब किया गया।

पुलिस का  नोटिस मिलने से एक नहीं दर्जनों गांव में हड़कंप मच गया। भागे-दौड़े किसान जिलों के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से मिले व घोटाले से खुद को अंजान बताते हुए इसकी जांच की मांग की। 

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सरकार चुनाव में व्यस्त हुई और घपलेबाज घोटाले में 

दरअसल,मुख्यमंत्री कृषक ब्याज माफी योजना भी पूर्ववर्ती दो सरकारों के बीच खुद को किसानों का बड़ा हितैषी बताने वाली सियासत से उपजी। साल 2020 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार अपने चुनावी वादे के मुताबिक,किसानों के लिए ऋण माफी योजना लाई।

वह अपने वादे पर पूरी तरह अमल कर पाती। इससे पहले सरकार चली गईं पश्चातवर्ती शिवाराज सरकार में किसानों का कर्ज तो माफ नहीं हुआ,लेकिन इसकी उम्मीद में समय पर ऋण राशि अदा नहीं करने से बड़ी संख्या में किसान डिफाल्टर की श्रेणी में आ गए।

इन्हें इस दाग से उबारने पूर्ववर्ती शिवराज सरकार चुनाव से ठीक पहले यानी साल 2023 के मध्य में मुख्यमंत्री कृषक ब्याज माफी योजना लाई। सरकार ने डिफाल्टर किसानों की करीब दो हजार करोड़ रुपए की ब्याज राशि बैंकों को अदा की।

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घोटाला और व्यापक,इसे दबाने का जतन

सूत्रों के अनुसार,उजागर हुआ मामला सिर्फ एक विकासखंड का है। जबकि इस तरह की गड़बड़ी जिले की अन्य प्राथमिक सहकारी समितियों में हुई,लेकिन जिला केंद्रीय सहकारी बैंक बदनामी से बचने इन मामलों को दबाने में जुट गया है।

ईसागढ़ थाना क्षेत्र का यह मामला सिर्फ कुछ लोगों की जागरूकता के चलते सामने आ सका। मसलन,डिकौली सहकारी समिति में न सिर्फ उक्त योजना में 567 किसानों के नाम पर धांधली हुई,बल्कि आठ किसानों के नाम पर फर्जी किसान क्रेडिट कार्ड तैयार कर समिति प्रबंधक हरिओम अग्निहोत्री ने अपने परिजनों के खातोंं में ट्रांसफर कर दिए।

मामले का खुलासा होने पर यह रकम वापस केंद्रीय सहकारी बैंक के खाते में वापस जमा करवाकर हरिओम की सेवा समाप्त कर दी गईं। हैरत की बात यह कि गबन के इस बड़े मामले के बावजूद बैंक प्रबंधन ने उसके खिलाफ पुलिस थाने में कोई शिकायत दर्ज कराई। इस तरह,हरिओम इस आपराधिक मामले से साफ बच निकला। 

बैंक के जिम्मेदार अधिकारियों ने साधी चुप्पी

प्रकरण में जिला केंद्रीय सहकारी बैंक व सहकारिता विभाग के जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। इस बारे में बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आरएस भदौरिया,बैंक प्रबंधक आनंद मोहन खरे व अन्य से संपर्क साधा गया,लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया।

जबकि ईशागढ़ थाना प्रभारी शैलेंद्र सक्सेना ने कहा कि आरोपियों से रिकवरी नहीं होने के कारण पुलिस की ओर से आरोपियों को जमानत नहीं ​देने का आग्रह भी किया गया,लेकिन सफलता नहीं मिली।

सूत्रों का दावा है कि इस घोटाले की गहन जांच की जाए तो न सिर्फ छतरपुर के अन्य विकासखंडों बल्कि अन्य जिलों में भी इस तरह की गड़बड़ी सामने आने के आसार हैं। इस संबंध में सहकारिता आयुक्त मनोज पुष्प ने कहा कि वह समूचे प्रकरण की गहन जांच कराएंगे। 

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