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BHOPAL. वन विभाग में आदेश पालन को लेकर आपसी खींचतान जारी है। पीसीसीएफ व्हीएन अंबाडे ने वीडियो कांफ्रेंसिंग को पहले दो दिनों तक सीमित करने के निर्देश दिए। लेकिन मुख्यालय के कई शाखा प्रमुखों ने आदेश को दरकिनार कर लगातार बैठकें जारी रखीं। इससे विभाग में दो धड़ों की चर्चा और गहरी होती दिख रही है।
वन बल प्रमुख व्हीएन अंबाडे ने 1 नवंबर को आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया कि अधिकारी अलग-अलग समय पर वीडियो कांफ्रेंस करते हैं। इससे मैदानी अफसरों का समय बर्बाद होता है। उन्हें फील्ड में काम करने का पर्याप्त समय नहीं मिलता। यह मैदानी निगरानी व्यवस्था में बाधक है।
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सप्ताह के पहले दो दिन करें तय
वन बल प्रमुख अंबाडे ने आदेश में सुझाव दिया कि वीडियो कांफ्रेंस सप्ताह के पहले दो दिन तय किए जाएं। इससे मैदानी अधिकारियों, खासकर डीएफओ, को सहूलियत होगी। उन्हें अपने क्षेत्र में भ्रमण का पूरा समय मिल सकेगा।
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शाखा प्रमुखों ने आदेश को किया नजरअंदाज
हैरत की बात यह कि विभाग प्रमुख के आदेश को मुख्यालयस्तर पर ही नजरअंदाज कर दिया गया। प्रस्तावित वन मेला को लेकर मप्र राज्य लघु वनोपज संघ के कार्यकारी संचालक प्रफुल्ल फुलझरे ने 21 नवंबर, शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंस बुलाई। इसमें क्षेत्रीय वन मंडलाधिकारियों यानी डीएफओ को भी जोड़ा गया।
इसके बाद संघ की ही प्रबंध संचालक समिता राजौरा ने बुधवार 26 नवंबर का दिन अगली वीसी के लिए चुना। इसमें संघ की जिला यूनियन्स से लंबित वसूली व पेसा कानून से जुड़े विषय पर बात हुई। बैठक में क्षेत्रीय डीएफओ को भी जोड़ा गया।
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कार्ययोजना शाखा प्रमुख ने भी नहीं माना आदेश
इस मामले में पीसीसीएफ वर्किंग प्लान मनोज अग्रवाल भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने भी वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में बदलने के विषय पर बुधवार,26 नवंबर को ही एक और वीडियो कांफ्रेंस की। इस तरह, बुधवार को क्षेत्रीय वन मंडल अधिकारियों का पूरा दिन वीडियो कांफ्रेंस में ही गुजर गया।
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दो धड़ों में बंटे आईएफएस
वन विभाग में आला अफसर के आदेश की नाफरमानी पहली बार नहीं हो रही है। पहले भी तवानगर, नर्मदापुरम वनमंडल में सागवान के 1300 वृक्षों की अवैध कटाई पर डीएफओ और अफसरों की जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए गए थे। अब तक इसका पालन नहीं हो सका। नर्मदापुरम विधायक डॉ. सीतासरण शर्मा ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचना दी, लेकिन इसे मान्य नहीं किया गया। इस पर चर्चा नहीं हो सकी।
पीसीसीएफ ने जारी किया रिमाइंडर लेट
सूत्रों के मुताबिक,वन विभाग के अधिकारी दो धड़ों में बंटे हैं। एक धड़ा सीधे मंत्रालय के इशारे पर काम कर रहा है। इसके चलते वन बल प्रमुख के आदेश लगातार नजरअंदाज किए जा रहे हैं। पीसीसीएफ का सेवाकाल फरवरी में पूरा होगा। उनके आदेशों की नाफरमानी की यह भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। इस संबंध में पीसीसीएफ अंबाडे ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को रिमांइडर पत्र जारी किया गया है।
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