एमपी सरकार हवाई यात्रा पर रोजाना खर्च कर रही 21 लाख से ज्यादा, एक घंटे का रेट 5 लाख रुपए

मध्य प्रदेश सरकार का विमान और हेलीकॉप्टर किराया रोज बढ़ता जा रहा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार सरकार हर दिन 21 लाख रुपए खर्च कर रही है। विमान किराया बढ़ने के कारण राज्य का कर्ज बढ़ रहा है, वहीं विपक्ष सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहा है।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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BHOPAL. मध्य प्रदेश सरकार का हवाई यात्रा पर खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार सरकार के विमान और हेलीकॉप्टर किराए पर प्रतिदिन 21 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं। 

यह जानकारी कांग्रेस के दो विधायकों कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल और कांग्रेस विधायक पंकज उपाध्याय के सवालों के जवाब में मिली है। इसके साथ ही, यह तथ्य सामने आया है कि राज्य सरकार का कर्ज पिछले 20 सालों में 16 गुना बढ़ चुका है, जो अब 4.64 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। इस बढ़ते खर्च ने सरकार के आर्थिक हालात पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।

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सीएम मोहन यादव के कार्यकाल में बढ़ा खर्च

मध्य प्रदेश सरकार का विमान और हेलीकॉप्टर किराया तेजी से बढ़ रहा है। सरकारी विमान और हेलीकॉप्टर के किराए पर औसतन 21 लाख रुपए प्रतिदिन खर्च हो रहे हैं। यह आंकड़ा मुख्यमंत्री मोहन यादव के कार्यकाल में बढ़ा है साथ ही राज्य पर कर्ज का बोझ भी बढ़ रहा है।

2019 में विमान किराया मात्र 1.63 करोड़ था, जो अब बढ़कर 90.7 करोड़ हो गया है। 2025 तक के आंकड़ों से पता चलता है कि प्रति वर्ष विमान किराए का खर्च 56 गुना बढ़ चुका है। सरकार के अनुसार यह खर्च चार्टर्ड एयरक्राफ्ट की बढ़ती मांग, ईंधन लागत और मेंटेनेंस लागत के कारण बढ़ा है।

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ग्वालियर एयरबेस पर खड़ा सरकारी विमान 

मध्यप्रदेश सरकार का विमान मई 2021 में क्रैश हो गया था और तब से इसे ग्वालियर एयरबेस पर खड़ा किया गया है। न तो विमान की मरम्मत की गई है और न ही नया विमान खरीदा गया है। इसके कारण सरकार को निजी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जिससे खर्चों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

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विपक्षी दलों ने उठाए सवाल 

कांग्रेस पार्टी के विधायक पंकज उपाध्याय और प्रताप ग्रेवाल ने इस बढ़ते खर्च को लेकर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार अपने पुराने विमानों की मरम्मत करती तो यह खर्च बढ़ता नहीं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस खर्च को विकास कार्यों में इस्तेमाल किया जा सकता था।

विपक्षी दलों का कहना है कि राज्य का कर्ज तेजी से बढ़ रहा है और ब्याज का बोझ रिकॉर्ड स्तर पर है। वहीं विपक्ष के बढ़ते एविएशन खर्च को लेकर सवाल और तीखे हो गए हैं।

आखिरकार, मध्य प्रदेश सरकार को अपनी नीतियों पर विचार करने की आवश्यकता है, ताकि सरकारी खर्चों को नियंत्रण में लाया जा सके और अधिक निवेश विकास कार्यों में किया जा सके।

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बढ़ते खर्च और राज्य का कर्ज

मध्य प्रदेश का कर्ज पिछले 20 वर्षों में 16 गुना बढ़कर 4.64 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इस बढ़ते कर्ज के बीच, सरकार के विमान किराए और हेलीकॉप्टर किराए का खर्च राज्य की आर्थिक स्थिति पर असर डाल सकता है। ब्याज की राशि भी हर साल 27,000 करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है।

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