अब कोई भी लीज पर ले सकेगा 'जंगल', बिगड़े वनों को संवारने सरकार का नया प्लान

मध्य प्रदेश में 95 लाख हेक्टेयर जंगल हैं, लेकिन इनमें से 37 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र में पेड़ों का घनत्व बहुत कम है। सरकार के पास इसे सुधारने के लिए फंड नहीं है, इसलिए प्राइवेट कंपनियों अथवा निवेशकों को शामिल करने का फैसला किया गया है।

author-image
Ravi Kant Dixit
एडिट
New Update
forest-ownership-redevelopment
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

भोपाल. मध्य प्रदेश सरकार ने बिगड़े हुए जंगलों को फिर हरा-भरा बनाने के लिए नई योजना पेश की है। इसके तहत, निजी निवेशकों को 60 साल की लीज पर जंगल सौंपे जाएंगे, जिससे वे इन क्षेत्रों का पुनर्विकास कर सकें। इससे जलाऊ लकड़ी, इमारती लकड़ी, औषधीय पौधों, कार्बन क्रेडिट और अन्य वन उत्पादों से मुनाफा कमाया जा सकेगा। इस कमाई का 50 फीसदी हिस्सा निवेशकों को मिलेगा। 30 प्रतिशत राशि वन विकास निगम को जाएगी और 20 फीसदी पैसा स्थानीय वन समितियों को मिलेगा। 
दरअसल, मध्यप्रदेश में 95 लाख हेक्टेयर जंगल हैं, लेकिन इनमें से 37 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र 'बिगड़े वन' की श्रेणी में आते हैं। यानी यहां पेड़ों का घनत्व बहुत कम है। सरकार के पास इन जंगलों को सुधारने के लिए फंड नहीं है, इसलिए प्राइवेट कंपनियों अथवा निवेशकों को शामिल करने का फैसला किया गया है।

बिगड़े वन क्या होते हैं?

बिगड़े वन वे जंगल होते हैं, जहां पेड़ों की घनत्व दर 0.4 से कम होता है, यानी ये अपेक्षाकृत कम घने होते हैं। ऐसे वनों के पुनर्विकास के लिए सरकार निजी निवेशकों को आकर्षित कर रही है। इसके लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी पीपीपी मॉडल अपनाया गया है, जिसके तहत बिगड़े हुए जंगलों को 60 साल की लीज पर दिया जाएगा।

यह खबर भी पढ़ें... मेट्रो प्रोजेक्ट और विकास के नाम पर काटे जा रहे पेड़ को दी श्रद्धांजलि, भोपाल में हरियाली घटने से बढ़ा तापमान

कैसे होगा जंगल सुधारने का काम?

  • इलाके का चयन ऐसे होगा
    कम से कम 10 हेक्टेयर की जमीन पर पुनर्विकास होगा। अगर कोई क्षेत्र 10 हेक्टेयर से छोटा है तो आसपास के जंगलों को मिलाकर 10 हेक्टेयर या उससे बड़ा इलाका बनाया जाएगा। अगर किसी खदान वाली जगह पर पेड़ लगाना संभव नहीं है तो आसपास की उपयुक्त जमीन पर पौधे लगाए जाएंगे। वन विभाग डिजिटल नक्शा बनाएगा, ताकि जंगल की वर्तमान स्थिति और सुधार की जरूरतों को समझा जा सके।
  • गांव वालों की सहमति जरूरी
    जंगल लगाने से पहले गांव की आमसभा में प्रस्ताव रखा जाएगा। वहां के लोग सहमत होंगे, तभी योजना लागू होगी। गांव वालों को योजना की पूरी जानकारी दी जाएगी और स्थानीय वन समितियों को इसमें शामिल किया जाएगा। इस योजना के तहत निवेशक, वन समिति और वन विकास निगम के बीच समझौता (MoU) किया जाएगा, इसमें सभी की जिम्मेदारियों और अधिकारों को तय किया जाएगा।

भविष्य में क्या-क्या?

समझौते (MoU) पर भविष्य में बनने वाले नए नियमों का असर नहीं होगा।  60 साल तक कार्बन क्रेडिट का अधिकार निवेशकों के पास रहेगा। स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। केवल देशी प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे, विदेशी (Exotic) पेड़ों की अनुमति नहीं होगी। निवेशकों या कंपनियों को एक साल के भीतर काम शुरू करना अनिवार्य होगा। दो साल के भीतर जंगल को दोबारा हरा-भरा बनाना होगा। तीनों पक्ष मिलकर इसकी निगरानी और मूल्यांकन करेंगे। 

यह खबर भी पढ़ें... इंदौर की मिलों को सिटी फॉरेस्ट बनाने की मांग,  पर्यावरण प्रेमियों ने बनाई मानव श्रृंखला

किसे कितना फायदा?

  • 50% हिस्सा निवेशकों को मिलेगा।
  • 30% सरकार को मिलेगा।
  • 20% स्थानीय वन समितियों को दिया जाएगा।

कार्बन क्रेडिट से भी होगी कमाई

निवेशकों को कार्बन क्रेडिट बेचने का अधिकार मिलेगा। गांव की वन समितियों को भी 10 फीसदी कार्बन क्रेडिट का लाभ मिलेगा। जंगल से मिलने वाले उत्पादों की नीलामी की जाएगी। लकड़ी और औषधीय पौधों को नीलामी (बोली) के जरिए बेचा जाएगा। यदि कोई निवेशक इसे खरीदना चाहता है तो उसे पूरे जंगल के उत्पाद खरीदने होंगे। यदि सरकार की कोई एजेंसी इस योजना में भाग लेती है तो उसे सरकार के ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम के तहत विशेष लाभ दिए जाएंगे।

यह खबर भी पढ़ें... मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर वन अधिकारियों के तबादले, यहां देखें पूरी लिस्ट

पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों को फायदा

प्रकृति प्रेमी इस प्रोजेक्ट को अच्छा मानते हैं। वरिष्ठ अध्येता एवं पर्यावरण प्रेमी सुरेंद्र दांगी कहते हैं, इस परियोजना से पर्यावरण के साथ गांव वालों को भी फायदा होगा। महत्वपूर्ण यही है कि यह प्रोजेक्ट धरातल पर सही ढंग से लागू हो। क्योंकि जब तक यह अच्छे से नहीं उतरेगा, कुछ फायदा नहीं होगा। हां, सरकार की मंशा अच्छी है। अब इसे अच्छे से लागू भी करना चाहिए। इससे जंगल फिर हरे-भरे होंगे। जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद मिलेगी। गांव वालों को नए रोजगार और आय के साधन मिलेंगे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।

यह खबर भी पढ़ें... हरियाली पर कुल्हाड़ी और कब्जा, MP में 371 वर्ग किमी जंगल घटा

हरियाली MP News सरकार Jungle MP govt जंगल forest एमपी न्यूज mp news hindi mp forest