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BHOPAL.मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड के गठन का रास्ता लगभग साफ हो गया है। सीएम डॉ.मोहन यादव ने भी भर्ती बोर्ड के गठन को हरी झंडी दे दी है। इसको लेकर पुलिस महकमे में खासी हलचल भी है। अधिकारियों का मानना है बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद बल की कमी का रोना और सालों तक भर्ती नहीं होने के अवरोध से निजात मिल जाएगी।
भर्ती बोर्ड के गठन से प्रदेश में कानून और सुरक्षा व्यवस्था संभालने वाली पुलिस तो फायदा होगा ही युवाओं को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसको लेकर द सूत्र ने पुलिस महकमे में अधिकारियों से भर्ती बोर्ड के गठन के संबंध में विस्तृत चर्चा की तो कई अहम तथ्य सामने आए हैं। वहीं अब तक भर्ती बोर्ड के गठन से पुलिस विभाग को दूर रखे जाने की परतों को भी खोला है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने हाल ही में पुलिस भर्ती बोर्ड के गठन की घोषणा की है। गृह विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे सीएम की इस घोषणा पर गृह विभाग और पुलिस अधिकारियों ने मंत्रणा भी शुरू कर दी है। इसको देखते हुए बहुत जल्द पुलिस भर्ती बोर्ड के अस्तित्व में आने की उम्मीद जताई जा रही है।
वहीं सीएम द्वारा अगले तीन साल में जिन साढ़े 21 हजार पदों पर भर्ती की घोषणा की गई है वह भी बोर्ड के माध्यम से कराने का अनुमान हैं। आखिर क्या है पुलिस भर्ती बोर्ड और इससे पुलिस महकमे को क्या फायदा होगा और रोजगार के अवसर कैसे बढ़ेंगे।
भर्ती के लिए आत्मनिर्भर होगी पुलिस
सबसे पहले पुलिस भर्ती के वर्तमान परिदृश्य पर नजर डालते हैं। अभी पुलिस भर्ती के नाम पर गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय की भूमिका केवल खाली पदों के प्रस्ताव सरकार को भेजने और नियुक्ति करने तक ही सीमित है। इसमें भी शासन स्तर पर ही यह तय होता है कि पुलिस मुख्यालय से जो प्रस्ताव आया है उसके विरुद्ध कितने पदों पर भर्ती की जानी है। यानी पुलिस मुख्यालय की मांग के आधार पर भर्ती हो यह भी उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
वहीं भर्ती की सारी प्रक्रिया ईएसबी और एमपीपीएससी जैसी संस्थाओं के जरिए पूरी कराई जाती है। चूंकि इन संस्थाओं के पास दूसरे विभागों के लिए भर्ती परीक्षाएं कराने का दायित्व होता है इसलिए पुलिस भर्ती में सालों लग जाते हैं। हाल ही में पुलिस आरक्षक भर्ती की प्रक्रिया डेढ़ साल से ज्यादा समय में पूरी हो पाई है और अब भी कुल 7411 पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी है।
बल की कमी से रुका थानों का गठन
अब प्रदेश की कानून और सुरक्षा व्यवस्था संभालने वाले पुलिस विभाग की स्थिति के बारे में समझिए। मध्यप्रदेश की आबादी अब 8.64 करोड़ है। आबादी के आधार पर प्रदेश में थानों की संख्या 1700 होनी चाहिए लेकिन यह आंकड़ा लगभग 900 ही। यानी प्रदेश में अब भी 800 थाने कम है। वहीं पुलिस महकमे की विभिन्न इकाइयां और थानों को चलाने के लिए इंस्पेक्टरों की संख्या 2617 है। इनमें से 286 सशस्त्र पुलिस बल यूनिटों में तैनात हैं।
पुलिस बल की व्यवस्थाओं को संभालने वाले सूबेदारों की संख्या 390 है जबकि सब इंस्पेक्टरों का आंकड़ा 7029 है। जिसमें से 802 सशस्त्र बल इकाइयों में तैनात हैं। यानी पुलिस थानों की कार्रवाई से इनका संबंध नहीं है। प्रदेश के थानों में एएसआई की संख्या 10735 है। प्रधान आरक्षक 20557 हैं तो आरक्षकों की संख्या 5546 है।
30 हजार पदों पर तेज होगी भर्ती
प्रदेश की आबादी के आधार पर बात करें तो करीब 25 हजार आरक्षक और प्रधान आरक्षकों की कमी है। इसके अलावा 100 से ज्यादा इंस्पेक्टर, 1000 से ज्यादा एसआई और 3000 से ज्यादा एएसआई के पद खाली हैं। पुलिस महकमे में लिपिक वर्गीय कर्मचारियों की भी कमी है क्यों सालों से सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पदों पर नियमित भर्ती नहीं हो रही है।
पुलिस के पास खुद के ड्राइवरों का भी टोटा है इस वजह से किसी थाने में निजी तौर पर ड्राइवर की व्यवस्था की जा रही है तो कहीं जनरल ड्यूटी पर तैनात आरक्षक या प्रधान आरक्षक वाहन चालक का दायित्व निभाने मजबूर हैं। इन सभी को मिलाकर देखें तो पुलिसकर्मियों के 30 हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।
ESB- MPPSC जैसा होगा बोर्ड
भर्ती बोर्ड क्या होता है और कैसे काम करता है। प्रदेश में भर्ती बोर्ड के गठन से पुलिस व्यवस्था में क्या बदलाव आएगा और आखिर क्यों सीएम डॉ. मोहन यादव को इसके गठन की जरूरत महसूस हुई है। यह एक स्वतंत्र इकाई होगी जो खाली पदों को भरने का काम करती है। प्रदेश में फिलहाल कर्मचारी चयन मंडल यानी ईएसबी और मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग यानी एमपीपीएससी ऐसी ही दो संस्थाएं हैं।
यही दोनों संस्थाएं विभागों के लिए भर्ती परीक्षाओं को आयोजन करती हैं। पिछले सालों में ईएसबी की पुलिस से संबंधित भर्ती प्रक्रिया विवादित रही हैं। परीक्षा के आयोजन से लेकर परिणाम घोषित करने में भी ईएसबी को डेढ़ से दो साल का समय लगा है। इन कड़वे अनुभवों को देखते हुए अब भर्ती बोर्ड के गठन की तैयारी तेज हुई है।
नियमित भर्ती से बढ़ेगा बल
भर्ती बोर्ड के गठन के बाद पुलिस महकमे में खाली पदों, सेवानिवृत्ति की संख्या का नियमित विश्लेषण होगा। इससे भर्ती की प्रक्रिया भी नियमित हो पाएगी और पुलिस को पर्याप्त बल मिलता रहेगा। अभी पुलिस महकमे के पास केवल खाली पदों पर भर्ती का प्रस्ताव भेजने का ही अधिकार है, लेकिन बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद सारे अधिकार पुलिस को मिल जाएंगे।
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व्यवस्था में सुधार की उम्मीद
सेवानिवृत्त आईजी सतीश सक्सेना का कहना है कि पुलिस के अपने भर्ती बोर्ड की जरूरत काफी सालों से महसूस की जा रही थी। हालांकि शासन स्तर पर विभिन्न वजहों के चलते बोर्ड के गठन को स्वीकृति नहीं मिली। अब गृह विभाग का दायित्व संभाल रहे सीएम ने भी इस आवश्यकता को समझा है।
जो भर्तियां अभी पांच या दस साल में हो रही हैं वे बोर्ड के गठन के बाद नियमित होने लगेंगी। वहीं आरक्षक, एसआई जैसी भर्तियों के मापदंड भी बदलेंगे-सुधरेंगे। परीक्षा के लिए महीनों का इंतजार नहीं करना होगा और रिजल्ट भी तय अवधि में आ सकेगा। भर्ती घोटाले या परीक्षा संबंधी गड़बड़ियों पर भी रोक लगेगी।
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युवाओं में भी है उत्साह
भर्ती बोर्ड के गठन की घोषणा से जितनी खुशी पुलिस महकमे में है उतना ही उत्साह युवाओं में भी है। सीएम ने बोर्ड के गठन के साथ ही आने वाले तीन साल में साढ़े 21 हजार आरक्षकों की भर्ती की घोषणा की है। यानी हर साल साढ़े 7 हजार पदों पर युवाओं को आरक्षक बनने का मौका मिलेगा।
युवाओं का कहना है अभी पांच या सात साल में ही ऐसी भर्ती होती रही है। एसआई भर्ती साल 2017 के बाद से नहीं हुई है जबकि साल 2023 में हुई आरक्षक भर्ती अब तक पूरी नहीं हो पाई है। इससे उन युवाओं को निराश होना पड़ता है जो सालों तक तगड़ी मेहनत करते हैं लेकिन भर्ती न आने और उम्र अधिक होने से वे बाहर हो जाते हैं।
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इन राज्यों में है पुलिस भर्ती बोर्ड
देश के कई बड़े राज्यों में पुलिस का अपना भर्ती बोर्ड है। पुलिस महकमे का सेटअप दूसरे विभागों से अलग होता है। मैदानी अमले की संख्या दूसरे विभागों से ज्यादा है और इसमें हर माह सैकड़ों कर्मचारी सेवानिवृत्त होते हैं। जबकि भर्ती दूसरे विभागों की तरह ही होती है।
जहां मध्यप्रदेश में अब पुलिस भर्ती बोर्ड के गठन की कवायद शुरू हुई है वहीं 1. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडू, हरियाणा, कर्नाटक और पंजाब सहित कई राज्यों में पहले से पुलिस भर्ती बोर्ड काम कर रहे हैं। ये बोर्ड भी ईएसबी या पीएससी की तरह साधन संपन्न हैं और अपने महकमे में भर्ती की जिम्मेदारी इनके पास है।
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बोर्ड की सफलता के लिए ये जरूरी
- पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और तकनीक आधारित होनी चाहिए।
- भर्ती में योग्यता के साथ-साथ ईमानदारी का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।
- भ्रष्ट प्रवृत्तियों पर सख्त कार्रवाई हो।
- नियमित ऑडिट और निगरानी बोर्ड की विश्वसनीयता बढ़ाएगी।