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BHOPAL. प्रदेश में जितनी तेजी से प्राइवेट कॉलेज खुल रहे तो उतनी की तेजी से उनकी मॉनिटरिंग का सिस्टम गड़बड़ा रहा है। प्राइवेट कॉलेज कैसे मान्यता की गाइडलाइन की अनदेखी कर रहे है यह बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी के एक नोटिस से सामने आ गया है। विश्वविद्यालय की इस अधिसूचना में प्राइवेट कॉलेज के प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों की जानकारी चित्र सहित वेबसाइट पर अपलोड करने का उल्लेख। सूची में ऐसे नाम भी हैं जो एक साथ दो-दो कॉलेजों में दर्ज हैं। यानी ये प्रोफेसर-असिस्टेंट प्रोफेसर दो कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं। कॉलेज प्रबंधनों की इसी मनमानी को दुरुस्त करने के लिए विश्वविद्यालय ने वेबसाइट पर अधिसूचना जारी की है।
बीयू की गाइडलाइन जरूरी
बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी भोपाल के आसपास के 8 जिलों के संबद्ध सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में पाठ्यक्रम संचालित करता है। इन सभी प्राइवेट कॉलेजों को बीयू की गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है। भोपाल के अलावा सीहोर, होशंगाबाद, रायसेन, विदिशा, राजगढ़, बैतूल और हरदा जिलों के 159 से ज्यादा कॉलेज बीयू से संबद्ध हैं। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों की ज्यादा संख्या होने के कारण अब उनकी निगरानी कमजोर पड़ गई है। इस वजह से ये कॉलेज संबद्धता की शर्तों की अनदेखी करने लगे हैं। उन्हें उच्च शिक्षा विभाग और यूजीसी की गाइडलाइन की भी परवाह नहीं है। इस स्थिति को देखते हुए बीयू ने कुछ समय पहले प्राइवेट कॉलेजों के शिक्षकों का ब्यौरा मांगा था। इसमें प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसरों के नाम, शैक्षणिक योग्यता के अलावा उनके फोटो भी जुटाए गए हैं। अब इसी ब्यौरे को विश्वविद्यालय प्रबंधन वेबसाइट के जरिए सार्वजनिक कर रहा है।
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प्राइवेट कॉलेजों के 32 प्रोफेसर चिन्हित
बीयू द्वारा लॉ, मैनेजमेंट, फिजिकल और प्रोफेशनल कोर्स संचालित करने वाले प्राइवेट कॉलेजों के 32 प्रोफेसरों को चिन्हित किया है जिनके नाम दो कॉलेजों में दर्ज होने की जानकारी सामने आई है। ऐसे प्रोफेसरों की संख्या सबसे ज्यादा लॉक कॉलेजों में सबसे ज्यादा दर्ज है। इस जानकारी के सामने आने के बाद अब बीयू अपनी संबद्धता के दायरे में आने वाले सभी जिलों के प्राइवेट कॉलेजों के शिक्षकों की बारीकी से पड़ताल कर रहा है। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन ने एक अधिसूचना भी वेबसाइट पर अपलोड की है। इस अधिसूचना के बाद लॉ कॉलेजों में सबसे ज्यादा खलबली नजर आ रही है क्योंकि दूसरे कॉलेजों के प्रोफेसरों के नामों के सहारे ही इन कॉलेजों में बीसीआई की मान्यता के मानदंड पूरे किए जा रहे हैं। बीयू की सख्ती के बाद अब प्राइवेट कॉलेजों ने लिस्ट को रोकने के लिए भी प्रबंधन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
फैकल्टी लिस्ट लगाने का यह है उद्देश्य
बीयू प्रशासन का मानना है कि प्राइवेट कॉलेज संबद्धता नियम पूरा करने के साथ ही एडमिशन में छात्रों को आकर्षित करने फैकल्टी का सहारा लेते हैं। छात्र भी कॉलेज में पर्याप्त संख्या में फैकल्टी होने की स्थिति को देखते हुए एडमिशन लेते हैं। जबकि बाद में पता लगता है कि संबंधित शिक्षक इस कॉलेज में है ही नहीं। वेबसाइट पर इस लिस्ट में फैकल्टी के नाम के साथ फोटो भी होंगे जिससे छात्र संबंधित कॉलेज में एडमिशन से पहले उनके बारे में जान पाएंगे। वहीं शिक्षकों को भी यह पता लग जाएगा कि उनके नाम का उपयोग किसी अन्य कॉलेज में तो नहीं हो रहा। कॉलेज अपनी मान्यता बरकरार रखने, वेतन खर्च से बचने फैकल्टी का फर्जीवाड़ा करते हैं। विवि ने इस लिस्ट में शामिल एक प्रोफेसर-असिस्टेंट प्रोफेसरों के संबंध में दावे-आपत्ति पेश करने कहा है जिनके नाम दो कॉलेजों में दर्ज हैं। इस संबंध में बीयू के कुलगुरु प्रो.सुरेश कुमार जैन का कहना है एक फैकल्टी एक ही कॉलेज में अध्यापन करा सकता है। कॉलेजों को कोड-28 के तहत नियमित फैकल्टी नियुक्त करना जरूरी है। इस संबंध में ब्यौरा जुटाया गया है। कॉलेज प्रबंधन की आपत्तियों के बाद बीयू कार्रवाई करेगा।