MP News : मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के गांव उंडवा रहने वाले गज्जू कालिया के परिवार की धार्मिक यात्रा इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। करीब 20 साल पहले, परिवार ने हिंदू धर्म को छोडक़र ईसाई पद्धति से जीवन जीना शुरू कर दिया था। इस बदलाव की शुरुआत उस समय हुई जब गज्जू की पत्नी गंभीर रूप से बीमार हुईं और चर्च जाकर दीया जलाना शुरू किया। धीरे-धीरे पूरा परिवार चर्च से जुड़ गया और ईसाई रीति-रिवाजों को अपनाने लगा।
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बहू की पहल बनी परिवर्तन की वजह
एक माह पहले इस परिवार में बेटे की शादी हुई। नई बहू जब घर आई, तो उसने देखा कि उसके ससुराल में पूजा-पाठ चर्च के अनुसार हो रहा है, ना कि पारंपरिक हिंदू तरीके से। इससे वह चौंक गई और अपने मायके में यह बात साझा की और इसके बाद बहू ने ससुराल पक्ष से चर्चा की और उन्हें मूल धर्म यानी हिंदू धर्म में लौटने के लिए प्रेरित किया। बहू का मानना था कि धर्म केवल पूजा का तरीका नहीं, बल्कि जीवन का संस्कार है, जो पीढिय़ों को जोड़ता है।
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गांव के वरिष्ठों की भूमिका
इस मुद्दे को लेकर चार गांवों के तड़वियों और बुजुर्गों की पंचायत बुलाई गई। इन वरिष्ठ नागरिकों ने परिवार को समझाया कि उनकी जड़ें हिंदू संस्कृति में हैं, और उनकी घर वापसी सामाजिक और आत्मिक दोनों स्तरों पर उचित है।
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सामाजिक सुझाव भी लिए
गज्जू कालिया ने बताया, "हमने बहू की भावना को समझा और समाज के सुझावों के बाद फिर से हिंदू धर्म में वापसी करने का निर्णय लिया। अब बहू भी परिवार के साथ खुशी से रह रही है।"
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धर्मांतरण से जुड़ी सामाजिक चुनौतियां :-
- -धर्मांतरण के बाद सामाजिक दूरी बन जाती है
- -रीति-रिवाजों में बदलाव से नई पीढ़ी भ्रमित हो सकती है
- -घर वापसी समाज को फिर से जोडऩे का प्रयास है
- धर्म परिवर्तन | ईसाई धर्म