भोपाल के ऐशबाग में 90 डिग्री का मुजस्समा बनाया था। वैसे ही इंदौर में भी दो 90 डिग्री वाले मुजस्समा की डिजाइन बनाने वाले सरकारी ठेकेदार, इंजीनियरों का एक और कारनामा सामने आया है। सात साल से इंदौर में 83 करोड़ की लागत से बन रहे जिला अस्पताल में यह कारनाम हुआ है।
यह किया ठेकेदार, इंजीनियरों ने कांड
हाल ही में अधिकारियों के दौरे के दौरान जब एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) की बात उठी, तो सभी इंजीनियर एक-दूसरे का मुंह ताकते रहे। कारण स्पष्ट था, इंजीनियर और ठेकेदार एसटीपी के लिए जगह चिन्हित करना तो दूर, इसका प्रस्ताव तक नहीं बना पाए थे। इसके बाद अफरा-तफरी मच गई।
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अब बैठक कर प्रस्ताव बनाने के आदेश
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इंदौर के 300 बिस्तर वाले जिला अस्पताल के लिए एसटीपी का प्रस्ताव ही नहीं होने पर बुधवार को CMHO डॉ. माधव हसानी ने इंजीनियर्स की बैठक बुलाई। अस्पताल का निरीक्षण किया गया और इस दौरान इंजीनियरों को एसटीपी का प्रस्ताव बनाने के आदेश दिए गए। साथ ही ठेकेदारों से बात कर अस्पताल काम में तेजी लाने के लिए कहा गया। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. जीएल सोढ़ी व अन्य अधिकारी मौजूद थे।
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2018 से चल रहा है अस्पताल का काम
इस अस्पताल के काम की भी ऐतिहासिक कहानी हो गई है। साल 2018 में जी प्लस थ्री भवन बनाकर 100 बिस्तर के अस्पताल का काम का ठेका हुआ। फिर सरकार बदली काम अटका, फिर सरकार बदली और काम अटका। बार-बार ठेकेदार बदले गए। काम 54 करोड़ में होना था। लेकिन काम अभी भी सुस्त रफ्तार से चल रहा है।
जुलाई 2024 में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने अस्पताल का दौरा किया और काम पर नाराजगी जताई। नई डेडलाइन दी गई कि 8 महीने में काम पूरा हो जाए। लेकिन डेडलाइन भी पूरी नहीं हो पाई। नया प्रस्ताव आया कि अब भवन जी प्लस थ्री नहीं, जी प्लस फाइव बनेगा और यह 300 बिस्तर का होगा। फिलहाल, काम की गति बेहद धीमी है और अधिकारी तथा सरकार ठेकेदारों से हार मान चुके हैं।
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डिप्टी सीएम ने देखा तो दीवारें रिस रही थी
डिप्टी सीएम जुलाई में मानसून सीजन में ही बीते साल अस्पातल दौरे पर आए थे। तब अधूरी बिल्डिंग में पानी रिस रहा था। कारण पूछा तो ठेकेदार बोले अभी काम पूरा नहीं हुआ है। बिल्डिंग का काम कब तक पूरा हो जाएगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं था। फिर कहा गया कि आठ महीने में बिल्डिंग बन जाएगी।
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