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BHOPAL. मध्य प्रदेश के नगरीय निकाय आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं यही हालत भोपाल नगर निगम की है। हर माह नगर निगम अपने कर्मचारियों को वेतन और पेंशन का भी नियमित भुगतान नहीं कर पा रहा है। निगम को अकसर वेतन, भत्तों और पेंशन के भुगतान के लिए सरकार की ओर हाथ फैलाना पड़ रहा है।
इसकी वजह सरकार के ही कुछ विभाग हैं जो नगर निगम का 129 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया है। नगर निगम संपत्तिकर, जलकर की वसूली के लिए आम नागरिकों पर तो दबाव बना लेता है लेकिन इन विभागों पर उसका जोर नहीं चल रहा है।
सालों से करोड़ों रुपए दबाव बैठे इन विभागों को नगरनिगम कई बार नोटिस भेज चुका है। अधिकारी भी लगातार विभागों से संपर्क कर रहे हैं लेकिन बेहिसाब बजट खर्च करने वाले सरकारी महकमे टैक्स जमा करने में टालमटोल कर रहे हैं। इसका खामियाजा नगर निगम के कर्मचारी उठा रहे हैं। इसका असर निगम के दूसरे कामों पर पड़ रहा है।
वसूली 24 करोड़ और खर्च 34 करोड़
भोपाल नगर निगम अपने लगभग 12,400 अस्थायी कर्मचारियों के वेतन पर हर महीने लगभग 13 करोड़ 85 लाख रुपए खर्च करना होता है। इसके अलावा स्थायी कर्मचारियों के वेतन पूर्व कर्मचारियों की पेंशन सहित कुल 34 करोड़ से ज्यादा रुपया खर्च होता है। जबकि निगम को सरकार से चुंगी क्षतिपूर्ति के रूप में हर माह करीब 24 करोड़ रुपए ही मिलते हैं।
इस वजह से नगर निगम को हर माह नियमित वेतन- पेंशन के भुगतान के लिए 10 करोड़ रुपए कम पड़ रहे हैं। इसकी भरपाई के लिए निगम को अकसर दूसरी मदों की राशि खर्च करने की स्थिति में दूसरे काम अटक रहे हैं।
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राज्य-केंद्र के विभागों पर करोड़ों बकाया
नगर निगम में करीब साढ़े 6 लाख आम नागरिक और कारोबारी करदाता के रूप में दर्ज हैं। इनसे मिलने वाले राजस्व से नगर निगम कर्मचारियों के वेतन- पेंशन सहित अन्य कामों का खर्च चलाता है। आर्थिक संकट से उबरने के लिए नगर निगम ने वसूली अभियान शुरू किया है क्योंकि अब तक 50 फीसदी करदाताओं ने जलकर, संपत्तिकर की राशि जमा नहीं कराई है।
इन करदाताओं में प्रदेश और केंद्र सरकार के बड़े विभाग भी शामिल हैं। कर जमा नहीं करने वाले ये विभाग ही नगर निगम का 129 करोड़ रुपए दबाए बैठे हैं। यदि ये राशि निगम को मिल जाती है तो वह आर्थिक संकट से उबर जाएगा। वहीं नियमित टैक्स जमा होने पर उसे ऐसी परिस्थितियों का भी सामना नहीं करना पड़ेगा।
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वसूली के नोटिस की हो रही अनदेखी
भोपाल नगर निगम का सबसे बड़ा बकायादार केंद्र सरकार का रेलवे विभाग है। रेलवे पर 26 करोड़ रुपए का जलकर- संपत्तिकर बकाया है। निगम रेलवे के विभिन्न कार्यालयों को बकाया राशि के नोटिस भेज रहा है लेकिन अधिकारी इसमें टालमटोल कर रहे हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के सेंट्रल स्कूल पर भी 2 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया है। इसके अलावा मध्य प्रदेश सरकार के विभाग भी नगर निगम को बकाया टैक्स जमा करने में देरी कर रहे हैं। नोटिस पहुंचने के बाद भी इसे अनदेखा किया जा रहा है।
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रेलवे, बीडीए, पीडब्ल्यूडी बड़े बकायादार
मध्य प्रदेश का लोक निर्माण विभाग हर साल अरबों रुपए के टेंडर जारी करता है। बेहिसाब निर्माण कार्य कराने वाले इस विभाग पर 6.44 करोड़ रुपए से ज्यादा का संपत्तिकर और जलकर बकाया है। पीएचई विभाग पर 3 करोड़, भोपाल विकास प्राधिकरण पर 10 करोड़, हाउसिंग बोर्ड पर 1.4 करोड़, जनसंपर्क विभाग पर 1 करोड़, पर्यटन विभाग पर 1.64 करोड़ रुपए बकाया है।
इसके अलावा गृह विभाग, जेल विभाग और कई अन्य संस्थाएं भी बकायादारों की फेहरिस्त में शामिल हैं। नगर निगम संपत्तिकर और जल कर भी राशि की वसूली के लिए इन विभागों पर दबाव भी नहीं बना पा रहा है। वहीं टैक्स जमा न करने वाले विभाग महत्वपूर्ण होने से उनकी सेवाएं रोकने का निर्णय भी अधिकारियों को असमंजस में डाल रहा है।
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नियमित जमा हो टैक्स को टले संकट
आर्थिक तंगी की वजह से नगर निगम के कई काम अटकने की स्थिति बन रही है। बीते कई माह से इस समस्या के कारण अस्थायी कर्मचारियों को नियमित वेतन भुगतान की व्यवस्था भी चरमरा गई है। वहीं दूसरी मदों से वेतन-पेंशन का भुगतान करने से अब वे काम अटक रहे हैं।
निगम के सामने वाहनों के डीजल का भुगतान करने का संकट भी बार- बार खड़ा हो रहा है। इसी तरह निगम के अमले में शामिल वाहनों के मेंटेनेंस, अधिकारियों के वाहनों पर होने वाले खर्च का भी नियमित भुगतान नहीं हो पा रहा है। यदि नगर निगम को इन विभागों से बकाया टैक्स का नियमित भुगतान हो जाए तो आर्थिक तंगी को दूर किया जा सकता है।