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Photograph: (thesootr)
निलेश कुमार@सागर
BHOPAL. बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं के बीच का मनमुटाव अब सार्वजनिक मंच पर दिखने लगा है। मामलासागर जिले के सुरखी विधानसभा क्षेत्र में आयोजित दशहरा उत्सव के दौरान का है। आयोजन के दौरान प्रदेश सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह पर बिना उनका नाम लिए निशाना साधा। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जो 10 साल तक विधायक रहे, जिनके कार्यकाल में एक पुलिया तक नहीं बनी, वही दूसरों पर उंगली उठा रहे हैं।
राजपूत ने यह बयान भूपेंद्र सिंह के कार्यकाल पर सवाल उठाने के रूप में दिया, क्योंकि भूपेंद्र सिंह इसी क्षेत्र के विधायक रह चुके हैं। मंत्री राजपूत ने कहा कि हमारे राजा का अपमान किया गया, लेकिन अब तुम्हारे राजा है के हमारे राजा हैं, राजा जयसिंह की मूर्ति अब गोविंद सिंह ही बनवाएंगे।
इस बयान ने एक नई सियासी बहस को जन्म दिया। राजपूत के बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस पर समर्थकों और विरोधियों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। बता दें कि दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से सियासी खींचतान चल रही है, जो अब सार्वजनिक मंचों तक पहुंच चुकी है।
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जैसीनगर का नाम बदलने पर विवाद
यह विवाद तब और बढ़ गया जब मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने हाल ही में सीएम मोहन यादव के सामने जैसीनगर का नाम बदलकर 'जय शिव नगर' रखने की मांग की थी। इस प्रस्ताव को कांग्रेस और दांगी समाज ने विरोध किया। दांगी समाज का कहना था कि जैसीनगर का नाम राजा जयसिंह के नाम पर रखा गया था, जो दांगी राजा थे।
यह नामकरण विवाद राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भाजपा और कांग्रेस के बीच मतभेद को और गहरा कर रहा है। मंत्री राजपूत का मानना है कि नाम बदलने से क्षेत्र का विकास होगा, लेकिन भूपेंद्र सिंह और उनके समर्थकों का कहना है कि इस नामकरण से दांगी समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।
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पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह का विरोध
भूपेंद्र सिंह, जो दांगी जाति से आते हैं, ने जैसीनगर का नाम बदलने का विरोध किया था और इसे सांप्रदायिक दृष्टिकोण से देखा था। मंत्री गोविंद सिंह ने इसे एक राजनीतिक कदम बताते हुए कहा कि भूपेंद्र सिंह को अपनी विधानसभा के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भूपेंद्र सिंह को अपनी ही विधानसभा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि सुरखी में दखल देना चाहिए। यह बयानबाजी दोनों नेताओं के बीच तनाव को और बढ़ा सकती है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों में, जब भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रतिस्पर्धा अपने चरम पर पहुंच सकती है।
सियासी बयानबाजी का असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बयानबाजी का आगामी चुनावों पर बड़ा असर पड़ सकता है। यदि यह विवाद और बढ़ता है, तो इसका प्रभाव भाजपा की एकजुटता पर पड़ सकता है। भाजपा नेतृत्व इस विवाद को जल्द सुलझाने की कोशिश कर सकता है, ताकि पार्टी के भीतर कोई और घमासान न हो। हालांकि, यह भी देखा जाएगा कि भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह के बीच इस विवाद का असर मतदाताओं पर क्या पड़ता है।
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पहले से है दोनों नेताओं के बीच विवाद
इससे पहले सागर की राजनीति में भूचाल आ चुका है। अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाली बीजेपी की अंदरूनी लड़ाई सड़क पर आ गई थी। शिवराज सरकार में मंत्री रहे भूपेंद्र सिंह के बयान के बाद अब उनके खिलाफ मंत्री गोविंद सिंह राजपूत हमलावर हो गए थे। खुलकर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति हुई थी।