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जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ चल रही चुनावी हलफनामे के मामले की सुनवाई हुई। राजपूत पर संपत्ति छुपाने के आरोपों वाली याचिका में नया मोड़ आ गया। मंत्री की ओर से पेश अधिवक्ता ने कोर्ट में आवेदन पेश कर मीडिया में हो रही रिपोर्टिंग पर आपत्ति जताई।
अधिवक्ता ने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म, वीडियो और शॉर्ट्स सहित अखबारों में ऐसी खबरें प्रसारित हो रही हैं, इनका इस्तेमाल कर कुछ लोग कैंपेन चला रहे हैं। जिनका असर उनके मुवक्किल की छवि पर पड़ रहा है। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि चूंकि आने वाले 2–3 दिनों में राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल होने वाला है, इसलिए इस प्रकार की खबरें उनके क्लाइंट की राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
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मीडिया में चली खबरों पर आपत्ति
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच ने इस पर मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि जो रिपोर्टिंग पहले ही हो चुकी है, उसे मिटाया तो नहीं जा सकता। कोर्ट ने अधिवक्ता से पूछा कि वह इस स्थिति में वास्तव में चाहते क्या हैं।
इस पर अधिवक्ता ने कहा कि उनके क्लाइंट के खिलाफ मीडिया रिपोर्ट्स का इस्तेमाल कर संगठित तरीके से कैंपेन चलाया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने मौखिक प्रतिप्रश्न करते हुए कहा कि क्या आप मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं?
बेंच ने यह सुझाव भी दिया कि यदि रोक लगाने बहस होती है, तो इससे उन लोगों का भी ध्यान इस ओर जाएगा जिन्होंने अभी तक यह खबर नहीं देखी है।
सुनवाई के दौरान रुकी लाइव स्ट्रीमिंग
अधिवक्ता ने सुनवाई के दौरान कोर्ट का ध्यान इस ओर भी आकर्षित किया कि उस समय भी कार्यवाही का लाइव प्रसारण भी हो रहा है। इसके बाद कोर्ट ने कुछ समय के लिए लाइव स्ट्रीमिंग रुकवा दी। हालांकि, हाईकोर्ट रजिस्ट्री के सूत्रों के अनुसार, याचिका क्रमांक WP 36367/2025 (राजकुमार सिंह विरुद्ध इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया एवं अन्य) में आज पेश किए गए इस आवेदन पर कोई मेंशन मेमो अलाऊ नहीं किया गया।
कोर्ट ने प्रारंभिक तौर पर ही यह स्पष्ट कर दिया कि इस पर विचार अब अगली तारीख को याचिका की मुख्य सुनवाई के साथ ही किया जाएगा और बाद में सामने आई जानकारी के अनुसार भी अब 9 अक्टूबर को ही इस आवेदन पर विचार किया जाएगा।
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फिलहाल नहीं मिली अंतरिम राहत
हाईकोर्ट ने फिलहाल मंत्री की ओर से उठाई गई आपत्ति पर कोई अंतरिम राहत नहीं दी है और न ही मीडिया रिपोर्टिंग पर कोई रोक लगाई है। अब यह साफ हो गया है कि अगली सुनवाई में ही इस मुद्दे पर विचार किया जाएगा। अब देखना होगा कि 9 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई में सरकार और प्रतिवादी की ओर से क्या जवाब पेश किया जाता है और कोर्ट मीडिया कवरेज को लेकर क्या दिशा-निर्देश जारी करती है।
4 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी👉मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के चुनावी हलफनामे से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हो रही है। याचिका में आरोप है कि मंत्री ने अपनी संपत्ति छुपाई थी। 👉सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कार्यवाही का लाइव प्रसारण भी रोक दिया, क्योंकि अधिवक्ता ने इस पर भी आपत्ति जताई थी कि मामले की लाइव स्ट्रीमिंग हो रही है। 👉मंत्री के अधिवक्ता ने कोर्ट में आवेदन दाखिल करते हुए कहा कि मीडिया में जारी खबरों और वीडियो क्लिप्स के कारण मंत्री की राजनीतिक छवि को नुकसान हो रहा है। 👉फिलहाल मंत्री को किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत नहीं मिली है और मीडिया रिपोर्टिंग पर भी कोई रोक नहीं लगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले पर अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी, जहां सरकार और प्रतिवादी की ओर से जवाब पेश किया जाएगा। |
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मंत्री गोविंद सिंह के खिलाफ चुनाव से जुड़ी याचिका पर सुनवाई
यह मामला मध्यप्रदेश सरकार ने कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के चुनावी हलफनामे से जुड़ा है। राहतगढ़ विधानसभा निवासी राजकुमार सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि मंत्री ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान अपनी वास्तविक संपत्तियों की जानकारी छुपाई।
याचिका में कहा गया है कि सुरखी विधानसभा से विधायक और कैबिनेट मंत्री और उनके बेटे द्वारा संचालित संस्था ज्ञानदीप सेवा समिति के नाम पर करीब 64 जमीनें खरीदी गईं, जिनका उल्लेख हलफनामे में नहीं किया गया। इस मामले की पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि सरकार मंत्री की मदद कर रही है और निर्वाचन आयोग को जांच से जुड़ी आवश्यक जानकारी उपलब्ध नहीं करा रही।
अदालत ने अब सरकार और जिला निर्वाचन अधिकारी सागर को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने तथा भारत निर्वाचन आयोग को अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को
सुबह किए गए मेंशन के बाद इस मामले को दोपहर 2:30 बजे लिस्ट किया गया। हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार महाधिवक्ता प्रशांत सिंह भी उपस्थित हुए। कोर्ट ने बताया कि याचिकाकर्ता की मांग थी कि प्रेस और मीडिया कोर्ट की प्रोसिडिंग का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और वे इसके खिलाफ डायरेक्शन चाहते थे। हालांकि, कोर्ट ने एप्लीकेशन लिस्ट न होने का हवाला देते हुए सुनवाई अब 9 अक्टूबर को तय की और कोई अंतरिम राहत नहीं दी।