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Photograph: (The Sootr)
JABALPUR. मध्य प्रदेश की राजनीति एक बार फिर विवादों में है। सरकार में कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर विधानसभा चुनाव के दौरान संपत्ति छुपाने का गंभीर आरोप लगा है। राहतगढ़ विधानसभा क्षेत्र के राजकुमार सिंह ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि मंत्री ने नामांकन भरते समय अपने हलफनामे में वास्तविक संपत्तियों का ब्योरा नहीं दिया। याचिकाकर्ता का दावा है कि मंत्री और उनके बेटे द्वारा संचालित संस्था ज्ञानदीप सेवा समिति के नाम पर करीब 64 जमीनें खरीदी गई हैं, जिन्हें चुनावी हलफनामे में छुपा लिया गया।
चुनाव आयोग की जांच क्यों ठप हो गई?
इस मामले की सुनवाई 25 सितंबर को चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच में हुई। अदालत के सामने यह तथ्य आया कि निर्वाचन आयोग ने इस मामले को जांच योग्य माना था। लेकिन जब आयोग ने राज्य सरकार से जमीनों और रजिस्ट्री से जुड़ी जानकारी मांगी, तो सरकार ने गोलमोल जवाब देकर पल्ला झाड़ लिया। सरकार की ओर से कहा गया कि जांच का अधिकार सिर्फ इलेक्शन कमीशन का है और राज्य सरकार इस पर कार्रवाई नहीं कर सकती।
कोर्ट ने सरकार को आड़े हाथों लिया
अदालत ने सरकार के रवैये पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने साफ कहा- “यदि प्रतिवादी यह तर्क देता कि सरकार के पास जांच का अधिकार नहीं है, तो यह समझ में आता। लेकिन सरकार खुद प्रतिवादी की मदद करते हुए आयोग को जानकारी ही नहीं दे रही। जब इलेक्शन कमीशन को रिपोर्ट और जानकारी ही नहीं दी जाएगी तो वॉइस पर कार्यवाही कर अंतिम निर्णय कैसे लेगा? यह स्पष्ट है कि सरकार जांच को आगे बढ़ने से रोक रही है।”
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि जांच वर्षों से लंबित रहने का कारण यही है कि प्रतिवादी सत्ता पक्ष का सदस्य है।
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याचिकाकर्ता ने रखे दस्तावेज, सरकार ने टलवा दी जांच
राजकुमार सिंह की ओर से अदालत में जमीनों से जुड़ी रजिस्ट्री और खसरे भी प्रस्तुत किए गए। इन्हीं दस्तावेजों की जानकारी चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश सरकार से मांगी थी। लेकिन सरकार ने आयोग को ऐसा गोलमोल जवाब दिया कि चुनाव आयोग की जांच ही अधर में लटक गई। सरकार की ओर से इलेक्शन कमीशन को या हवाला दे दिया गया कि इस मामले में इलेक्शन कमीशन ही अंतिम निर्णय ले सकती है। तो जब इलेक्शन कमीशन को जमीनों की जानकारी ही नहीं मिलेगी तो यह जांच आगे कैसे बढ़ेगी।
MP इलेक्शन कमीशन ने झाड़ा पल्लामध्य प्रदेश स्टेट इलेक्शन कमीशन की ओर से कोर्ट को यह बताया कि वह केवल लोकल चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार हैं और विधानसभा चुनाव में उनका कोई रोल नहीं है। कोर्ट ने इस बात को मानते हुए स्टेट इलेक्शन कमीशन को नोटिस जारी नहीं किया है। वहीं, भारत निर्वाचन आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि यह याचिका राजनीतिक दुश्मनी की उपज है और सुनवाई योग्य नहीं है। हालांकि उन्होंने अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने के लिए समय भी मांगा। |
कोर्ट ने नहीं लिया मीडिया ट्रायल की बात का संज्ञान
इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया की ओर से दिल्ली से आईं अधिवक्ता ने कोर्ट से यह भी निवेदन किया कि सर इसमें हमारी कोई गलती नहीं है। उसके बाद भी हम ही पिसेंगे। कल यह खबर सुर्खियों में चलेगी और हमारा मीडिया ट्रायल किया जाएगा। हालांकि कोर्ट ने ना तो इस बात का संज्ञान लिया और ना ही इस रिपोर्टिंग को प्रतिबंधित किया है।
अब अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को
कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और जिला निर्वाचन अधिकारी, सागर को निर्देश दिया है कि वे इस पूरे मामले की स्टेटस रिपोर्ट पेश करें। साथ ही चुनाव आयोग को भी अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने का आदेश दिया गया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी।
सुरखी विधानसभा से जीते थे गोविंद सिंह राजपूत
भाजपा के नेता गोविंद सिंह राजपूत वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, जिन्हें 25 दिसंबर 2023 को मंत्री पद की शपथ ली थी। वे सुरखी (सागर) विधानसभा क्षेत्र से पांचवीं बार विधायक चुने गए है, राजपूत शुरू में कांग्रेस में थे, जहां वे राजस्व एवं परिवहन मंत्री रहे, लेकिन 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। साल 2023 के विधानसभा चुनाव में सुरखी विधानसभा सीट से उन्होंने कांग्रेस के नीरज शर्मा को 2,178 मतों के अंतर से पराजित किया और कुल 83,551 वोट हासिल किए थे।
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