INDORE. स्टेट GST विभाग की एंटी एवेजन विंग एक महीने से भारी सक्रिय है। 20 दिन में कई बिल्डर्स के यहां टीम पहुंच गई है और 12 करोड़ रुपए से ज्यादा राशि जमा करा चुकी है। बिल्डर्स पर गाज गिरने वजह क्या है? दरअसल यह बिल्डर्स ने खुद अपनी मुसीबत बढ़ाई है। जून महीने में इन्होंने जमकर मीडिया ग्रुप के साथ एक्सपो किए और अपने स्तर पर भी प्लाट बिक्री मेले लगाए। साथ ही लगातार अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन भी दिए जा रहे हैं। इन सभी से यह बिल्डर्स विभाग की नजरों में आ गए।
इस तरह विभाग ने जुटाई जानकारी
विभाग अपने डेटा बेस रिकार्ड से सभी के रिटर्न की जांच करता रहता है। इसमें पता चलता है कि कौन से करदाता कब-कब रिटर्न फाइल कर रहा है और कितना टैक्स भर रहा है। विभाग ने जब इनके एक्सपो और लगातार आ रहे बड़े विज्ञापन पर नजर डालने के बाद लिस्ट बनाई और इन बिल्डर्स के जीएसटी को देखा तो पाया कि जिस हिसाब से यह काम कर रहे हैं, वैसा टैक्स नहीं भरा जा रहा है। इसके बाद जीएसटी विभाग ने लिस्ट बनाकर इन सभी के यहां दबिश देना शुरू किया और इसमें भारी मात्रा में कच्ची चिट्ठी पर सौदे होना पाया।
इन बिल्डर्स यहां हो चुकी कार्रवाई
स्टेट जीएसटी विभाग ( State GST Department ) ने गुरूवार को इंदौर, भोपाल, होशंगाबाद और ग्वालियर में रियल एस्टेट कारोबारियों के ठिकानों पर छापे मारे। इनमें से सात कारोबारी इंदौर के हैं। इन सभी कारोबारियों से अब तक 7 करोड़ रुपए जमा कराए जा चुके हैं। अभी यह राशि और बढ़ सकती है। इंदौर में श्री इन्फ्रास्ट्रक्चर ( स्कीम 140 ), वाइब्रेंट देवकॉन ( गीता भवन ), सार्थक एस्टेट डेवपलर्स ( राऊ ), बीसीएम हाईट्स की तीन कंपनियों, एम चुघ ग्रुप, सुनील अग्रवाल एण्ड एसोसिएट्स और मोनार्क डेवपलर्स के ठिकानों पर टीमों ने छानबीन की गई। इसके पहले विभाग ने लाभम ग्रुप, साहिल, एमआर इंडिया, नरीमन पाइंट, ओएस्टर, झंवेरी पर भी कार्रवाई कर पांच करोड़ रुपए भरवाए थे।
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