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मध्य प्रदेश में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम नामक एक बीमारी गंभीर रूप से फैल रही है। एक सप्ताह में 5 नए मरीज पाए गए हैं। ये मरीज सभी एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। मरीजों में 10 साल का बच्चा और 65 साल का बुजुर्ग भी शामिल हैं। सबसे पहले इस बीमारी से महाराष्ट्र में 6 लोगों की मौत हो चुकी है। अब मध्यप्रदेश में भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है। न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologists) इस पर नजर बनाए हुए हैं। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré syndrome) एक दुर्लभ और खतरनाक बीमारी है।
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सिंड्रोम से नसों में आती है कमजोरी
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) तंत्रिकाओं पर हमला करती है। इसका कारण ज्ञात नहीं है। लेकिन यह वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण के बाद हो सकता है। इस सिंड्रोम में शरीर की नसों में कमजोरी आ जाती है। मरीज को पहले पैरों में कमजोरी महसूस होती है, जो बाद में ऊपर के हिस्सों तक फैल सकती है।
ऑटोइम्यून बीमारी भी कहते है सिंड्रोम को
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम मुख्य रूप से नसों को प्रभावित करता है। इस स्थिति में शरीर के विभिन्न हिस्सों में कमजोरी महसूस होती है। इसे ऑटोइम्यून बीमारी भी माना जाता है। इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी नसों पर हमला करती है। इसके लक्षण धीरे-धीरे बढ़ सकते हैं।
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समय पर इलाज जरुरी
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré syndrome) का इलाज समय पर होना जरूरी है। इसके लिए मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती करना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि इलाज में देरी से मरीज की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट
विशेषज्ञों का कहना है कि इस सिंड्रोम के लक्षण 4 सप्ताह के अंदर गंभीर हो सकते हैं। कई मरीजों को इलाज में देर हो जाती है, जिससे उनकी स्थिति गंभीर हो जाती है। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के गंभीर मामलों में मरीज को पक्षाघात हो सकता है।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण
1. पैरों में कमजोरी या झुनझुनी
2. बाहों में कमजोरी या झुनझुनी
3.चेहरे की कमजोरी
4. चलने-सीढ़ियां चढ़ने में कठिनाई
5. सांस लेने में परेशानी
6. पीठ दर्द
7. बाहों या पैरों में दर्द
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से बचाव के तरीके
1. डॉक्टर्स से सलाह
2. साफ-सफाई
3. स्वस्थ आहार
4. प्लाज्मा एक्सचेंज
5. स्टेरॉयड दवाएं