ग्वालियर जिला कोर्ट ने साठ वर्षीय महिला से गैंगरेप के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान पीड़िता ने आरोपियों की पहचान करने से इनकार कर दिया था, लेकिन डीएनए रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई।
क्या था मामला?
थाने में दर्ज कराई एफआईआर के मुताबिक, 60 वर्षीय महिला एक हलवाई के साथ शादी की पार्टी में पूड़ी बेलने का काम करती थी। 23 मार्च 2021 को दोपहर के समय एक व्यक्ति ने उसे दिलीप ठेकेदार के पास पूड़ी बेलने के लिए बुलाया। महिला ने उसके साथ गोल पहाड़िया क्षेत्र पहुंची, जहां दिलीप ने उसे मिलने का दावा किया।
इसके बाद तीनों लोग टमटम से शीतला माता मंदिर की ओर पहुंचे और फिर एक सुनसान जगह पर महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। महिला ने विरोध किया, तो आरोपियों ने उसे चाकू से हमला किया और उसके पैरों में टमटम का पहिया चढ़ा दिया। अगले दिन 24 मार्च को महिला को होश आया और वह नग्न अवस्था में पड़ी हुई थी। कठिनाई से चलकर महिला सड़क पर पहुंची, जहां लोगों ने उसे देखा और कपड़े दिए, साथ ही पुलिस को सूचित किया।
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पुलिस ने खात्मा रिपोर्ट की थी पेश
महिला ने थाने में दिलीप और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, बाद में उस अज्ञात व्यक्ति की पहचान राजू के रूप में हुई। सुनवाई के दौरान पीड़िता ने आरोपियों को पहचानने से इनकार किया। पुलिस ने खात्मा रिपोर्ट (Closure report) पेश की, जिसमें यह दावा किया गया कि आरोपी घटनास्थल पर नहीं थे, लेकिन गवाह पेश नहीं कर पाई।
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डीएनए रिपोर्ट से सामने आई सच्चाई
राजू ने आरोप लगाया कि उसे दिलीप के बचाव में झूठे आरोपों में फंसाया गया है। हालांकि, कोर्ट ने पुलिस की खात्मा रिपोर्ट को नकारते हुए डीएनए रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। रिपोर्ट से गैंग रेप की पुष्टि हुई और दोनों आरोपियों को दोषी ठहराया गया। इसके बाद कोर्ट ने दोनों को उम्र कैद की सजा सुनवाई है।
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'दुष्कर्म का घाव जीवन भर नहीं भरता'- जज
सजा सुनाते वक्त स्पेशल जज ने कहा, "दुष्कर्म एक ऐसा घाव है, जो जीवन भर नहीं भरता। यह आत्मसम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा को नष्ट कर देता है। इसके खिलाफ समाज की सोच में बदलाव लाने की जरूरत है और एक संवेदनशील वातावरण बनाने की आवश्यकता है।"
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