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MP News: ग्वालियर (gwalior) में साइबर ठगों ने प्रदेश की अब तक की सबसे बड़ी साइबर ठगी को अंजाम दिया है। दरअसल रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी सुप्रदिप्तानंद के पास 17 मार्च को एक अनजान कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को नासिक पुलिस का अफसर बताया और मनी लॉन्ड्रिंग केस में नाम आने की बात कही। इसी को लेकर ठगों ने उन्हें 26 दिन डिजिटल अरेस्ट करके रखा।
नकली FIR दिखाकर विश्वास दिलाया
ठग ने बताया कि नरेश गोयल नाम के आरोपी के पास से एक बैंक अकाउंट मिला है, जो रामकृष्ण आश्रम के सचिव सुप्रदिप्तानंद के नाम पर है। कैनरा बैंक के खाते में 20 करोड़ के लेन-देन की जानकारी, पीडीएफ और स्टेटमेंट व्हाट्सएप पर भेज दी गई है। ठग ने धमकी दी कि अगर उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया, तो कुछ ही घंटों में गिरफ्तार कर लिए जाएंगे। परिवार और किसी को जानकारी देने से भी मना किया गया। हर घंटे अपनी लोकेशन और सेल्फी भेजने के निर्देश दिए गए।
आश्रम के खाते से ट्रांजैक्शन कराए
ठगों ने सचिव को झांसे में लेकर जांच के नाम पर आश्रम फंड से 2 करोड़ 52 लाख 99 हजार रुपए अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कराए गए। ठगों ने आश्वासन दिया कि जांच के बाद यदि कोई गड़बड़ी नहीं मिली तो रकम वापस कर दी जाएगी। इसके बाद ठगों ने संपर्क बंद कर दिया।
पैसा वापस नहीं मिला, तो समझ आई ठगी हुई
तीन दिन बीत जाने के बाद भी जब पैसा नहीं लौटा तब सुप्रदिप्तानंद ने कॉल पर संपर्क करना चाहा तो ठग का नंबर बंद मिला। इसके बाद उन्हें ठगी का अंदेशा हुआ। जब मामले की सच्चाई पता चली तो उन्होंने सीधे एसपी धर्मवीर सिंह यादव से मिलकर शिकायत की।ठगी की शिकायत के बाद साइबर सेल ने मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस टीम ने नंबर ट्रेस कर जांच प्रारंभ कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही ठगों की पहचान कर गिरफ्तारी की जाएगी।
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ठगी के लिए ये तरीके आजमा रहे ठग
1. फिशिंग: यह एक प्रकार का साइबर हमला है जिसमें अपराधी आपको एक नकली ईमेल या संदेश भेजते हैं जो वास्तविक लगता है, लेकिन इसका उद्देश्य आपकी व्यक्तिगत जानकारी चोरी करना होता है।
2. विशिंग: यह फिशिंग का एक प्रकार है जिसमें अपराधी आपको फोन कॉल के माध्यम से आपकी व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
3. स्मिशिंग: यह फिशिंग का एक प्रकार है जिसमें अपराधी आपको एसएमएस या मैसेजिंग ऐप के माध्यम से आपकी व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
4. मैलवेयर: यह एक प्रकार का सॉफ़्टवेयर है जो आपके डिवाइस में घुसपैठ करता है और आपकी व्यक्तिगत जानकारी चोरी कर सकता है। इसका उपयोग ठगी के लिए किया जाता है।
5. पासवर्ड क्रैकिंग: अपराधी आपके पासवर्ड को क्रैक करने का प्रयास करते हैं ताकि वे आपके अकाउंट से पैसे उड़ा सकें।
6. ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॉड: अपराधी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स पर नकली उत्पाद बेचते हैं या आपकी व्यक्तिगत जानकारी चोरी करते हैं।
7. सोशल मीडिया फ्रॉड: अपराधी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर आपके प्रोफाइल को हैक करने का प्रयास करते हैं या आपको नकली प्रोफाइल बनाकर ठगते हैं।
8. एटीएम फ्रॉड: अपराधी एटीएम मशीनों पर स्किमर डिवाइस लगाकर आपकी कार्ड जानकारी चोरी करते हैं। इसके बाद आपके खातों से फैसे उड़ा लेते हैं।
9. बैंकिंग फ्रॉड: अपराधी आपके बैंक अकाउंट में घुसपैठ करने का प्रयास करते हैं और आपकी मेहनत की कमाई चोरी करते हैं।
सरकार साइबर फ्रॉड रोकने के लिए क्या कर रही
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राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल
पीड़ितों को ऑनलाइन साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करने का प्लेटफॉर्म प्रदान करता है। -
साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930
टोल-फ्री नंबर के जरिए साइबर अपराध की तुरंत सूचना दी जा सकती है। -
संचार साथी पोर्टल
मोबाइल यूजर्स की सुरक्षा और अधिकारों को सशक्त करने के लिए शुरू किया गया सरकारी पोर्टल है। जहां इस तरह के केस में शिकायत की जा सकती है। -
जागरूकता अभियान
सरकार विभिन्न माध्यमों से साइबर अपराधों के प्रति लोगों को जागरूक करने के अभियान चला रही है। -
डिजिटल भुगतान सुरक्षा नियंत्रण
सरकार और आरबीआई द्वारा डिजिटल ट्रांजैक्शन को सुरक्षित बनाने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। -
साइबर सुरक्षा कानून
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 साइबर अपराधों को परिभाषित करता है और उनके लिए सजा निर्धारित करता है।
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MP में लगातार बढ़े साइबर ठगी के मामले
मध्य प्रदेश में ऑनलाइन ठगी के मामलों में वृद्धि देखी गई है। 2023 में पूरे प्रदेश में 444 मामले सामने आए, जिनमें 19 करोड़ रुपये की ठगी हुई। वहीं, 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 521 मामले हो गया, जिसमें ठगी की राशि 94 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यह राशि 2023 की तुलना में पांच गुना अधिक है। वहीं 2025 के शुरुआती महिनों में ही लगभग 150 केस सामने आ चुके हैं।
मुख्य शहरों में ऑनलाइन ठगी के मामले
- भोपाल: 2023 में 53 मामले, 2024 में 77 मामले
- इंदौर: 2023 में 184 मामले, 2024 में 141 मामले
- जबलपुर: 2024 में 94 मामले
- उज्जैन: 2024 में 44 मामले