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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी पद को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत, अब केवल उन व्यक्तियों को ही इस पद के लिए नियुक्त किया जा सकता है, जिनके पास एमबीबीएस की डिग्री हो। इसका सीधा असर ग्वालियर और इंदौर नगर निगमों पर पड़ने की संभावना है। बताया जा रहा है कि इंदौर नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर अभी एक वेटनरी डॉक्टर नियुक्त हैं, जो हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार इस पद के लिए योग्य नहीं माने जाते हैं।
डॉ. अनुज शर्मा की नियुक्ति पर सवाल
ग्वालियर नगर निगम में हाल ही में डॉ. अनुज शर्मा को स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर नियुक्त किया गया था। हालांकि, डॉ. शर्मा एक वेटनरी डॉक्टर हैं और उनके पास MBBS की डिग्री नहीं है। याचिका दायर होने के बाद, कोर्ट ने यह आदेश दिया कि MBBS डिग्री अनिवार्य है, जिससे डॉ. शर्मा की नियुक्ति पर सवाल खड़ा हो गया है।
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इंदौर निगम पर प्रभाव
इंदौर नगर निगम की स्थिति भी इसी तरह की है। यहां के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अखिलेश उपाध्याय वेटनरी डॉक्टर हैं, और इसके अलावा सात अन्य अधिकारी भी स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, जिनके पास MBBS डिग्री नहीं है। इसके बाद इंदौर नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका में कोई भी व्यक्ति योग्य नहीं है, क्योंकि एमबीबीएस डिग्री का अभाव है।
क्या कहा ग्वालियर हाईकोर्ट ने
ग्वालियर नगर निगम में डॉ. अनुज शर्मा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर ग्वालियर हाईकोर्ट ने सुनवाई की। इस दौरान, कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य अधिकारी के पद के लिए एमबीबीएस डिग्री की आवश्यकता है। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांगा है।
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MBBS डॉक्टर की कोई भर्ती नहीं
इंदौर नगर निगम में 1983 के बाद से एमबीबीएस डॉक्टर की कोई भर्ती नहीं हुई थी। उस समय दो डॉक्टरों को नियुक्त किया गया था, लेकिन अब तक किसी भी एमबीबीएस डॉक्टर को निगम में स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर नियुक्त नहीं किया गया। इस कारण से, इंदौर नगर निगम में स्वास्थ्य अधिकारी का पद वेटनरी डॉक्टरों के पास चला गया है।
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प्रशासन की प्रतिक्रिया
ग्वालियर नगर निगम के आयुक्त, शिवम वर्मा ने इस आदेश के बारे में प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा और इसके लिए जो भी उचित कदम होंगे, वे उठाए जाएंगे।