ग्वालियर नगर निगम में 54 लाख का विज्ञापन घोटाला! अधिकारियों और एजेंसी पर EOW की बड़ी कार्रवाई

ग्वालियर नगर निगम में हुए 54 लाख रुपए के विज्ञापन घोटाले में ईओडब्ल्यू ने कई अधिकारियों और एक विज्ञापन एजेंसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। यह घोटाला 2017 से 2021 के बीच हुआ, जब अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी करते हुए निजी एजेंसी को लाभ पहुंचाया।

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Ramanand Tiwari
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Photograph: (THESOOTR)

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GWALIOR. ग्वालियर में भ्रष्टाचार: ग्वालियर नगर निगम में हुए भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने बड़ी कार्रवाई की है। जांच एजेंसी ने नगर निगम के कई अधिकारियों, कर्मचारियों और एक विज्ञापन एजेंसी के संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि “दीपक एडवरटाइजर्स” नामक एजेंसी से मिलीभगत कर निगम को करीब 54 लाख रुपए का नुकसान पहुंचाया गया।

2017 से 2021 के बीच हुआ घोटाला

ईओडब्ल्यू के मुताबिक ग्वालियर नगर निगम घोटाला का यह मामला साल 2017 से 2021 के बीच का है। इस दौरान नगर निगम के अधिकारियों ने एजेंसी को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को दरकिनार किया। घोटाले में विज्ञापन शाखा के स्टाफ के साथ-साथ अपर आयुक्त स्तर के अधिकारी भी शामिल रहे। यह शिकायत एक व्यक्ति ने सीधे ईओडब्ल्यू में दर्ज कराई थी, जिसके बाद जांच शुरू हुई।

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48 सार्वजनिक शौचालयों पर विज्ञापन का टेंडर

ईओडब्ल्यू की कार्रवाई  में पता चला कि 10 नवंबर 2017 को नगर निगम ने शहर के 48 सार्वजनिक शौचालयों पर विज्ञापन लगाने के लिए टेंडर जारी किया था। यह टेंडर दीपक एडवरटाइजर्स को दिया गया। अनुबंध निगम की ओर से तत्कालीन सीसीओ प्रदीप चतुर्वेदी और एजेंसी की ओर से दीपक जेठवानी के बीच हुआ था।

अनुबंध में शर्तें बदलीं, नियमों की अनदेखी

ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया कि अनुबंध की शर्तों में कूट रचना (फर्जीवाड़ा) कर कुछ नई शर्तें जोड़ी गईं। इनमें टेंडर अवधि समाप्त होने पर एजेंसी को 5% राशि बढ़ाकर अगले साल नवीनीकरण का अधिकार दिया गया, जबकि मेयर-इन-काउंसिल के आधिकारिक संकल्प में ऐसी कोई शर्त मौजूद नहीं थी।

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समितियों के जरिए किया गया गोलमाल

विज्ञापन एजेंसी को आर्थिक फायदा देने के लिए नगर निगम ने कई बार अलग-अलग समितियां गठित कीं। इन समितियों ने नियमों की अनदेखी करते हुए केवल 38 शौचालयों पर लगे विज्ञापनों की राशि तय की, जबकि अनुबंध 48 स्थलों के लिए था। इससे एजेंसी को लाभ और नगर निगम को भारी नुकसान हुआ।

54 लाख रुपए से अधिक का नुकसान

ईओडब्ल्यू के मुताबिक, दिसंबर 2020 और दिसंबर 2021 में गठित दो समितियों ने मिलकर एजेंसी के पक्ष में कम राशि तय की। जबकि नियम के अनुसार 36 माह के लिए ₹72.57 लाख की राशि बनती थी, मगर हेरफेर कर ₹18.56 लाख ही तय की गई। इस तरह नगर निगम को करीब ₹54 लाख का आर्थिक नुकसान हुआ।

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नौ लोगों पर FIR, कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल

ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले में शामिल 9 आरोपियों पर विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है। इनमें अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव, अपर आयुक्त (वित्त) देवेन्द्र पालिया,अधीक्षण यंत्री जेपी पारा, उपायुक्त (विज्ञापन) सुनील सिंह चौहान, सहायक नोडल अधिकारी शशिकांत शुक्ला,सहायक लिपिक मदन पालिया, आउटसोर्स कर्मचारी धर्मेंद्र शर्मा और एजेंसी संचालक दीपक जेठवानी शामिल हैं।

गंभीर धाराओं में केस दर्ज

ईओडब्ल्यू ने इनके खिलाफ धारा 420, 409, 467, 468, 120-बी भारतीय दंड संहिता (IPC) सहित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धाराएं 7(ए), 13(1)(क) सहपठित 13(2) के तहत मामला दर्ज किया है। तत्कालीन सीसीओ प्रदीप चतुर्वेदी की मृत्यु हो जाने के कारण उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई है।  

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संगठित भ्रष्टाचार की तस्वीर पेश

यह मामला ग्वालियर नगर निगम में विज्ञापन टेंडरों के नाम पर हुए संगठित भ्रष्टाचार की तस्वीर पेश करता है। ईओडब्ल्यू की जांच से साफ है कि प्रशासनिक पदों पर बैठे अफसरों ने निजी एजेंसी को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों की मनमानी की और आखिरकार इसकी कीमत जनता के पैसों से चुकानी पड़ी।

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