सरकार का नया आदेश : कानूनी मामलों में होगी सख्ती, महाधिवक्ता की अनुमति अनिवार्य

मध्य प्रदेश सरकार ने कानूनी मामलों में सख्ती दिखाते हुए नया आदेश जारी किया है। अब कोई भी विभाग बिना महाधिवक्ता (Advocate General) की पूर्व अनुमति और विधि विभाग की राय के अदालत में अपील, याचिका या आवेदन दाखिल नहीं कर सकेगा।

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Ramanand Tiwari
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Photograph: (THESOOTR)

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मध्य प्रदेश सरकार ने अब सरकारी विभागों की मर्जी से अदालत में अपील या याचिका दायर करने पर रोक लगा दी है। सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने सभी विभाग प्रमुखों को निर्देश दिया है। इसमें किसी भी परिस्थिति में निजी अधिवक्ता (Private Lawyer) की मदद से सरकार की ओर से या सरकार के खिलाफ कोई भी अपील, याचिका या आवेदन दायर नहीं किया जाएगा।

पहले लेनी होगी महाधिवक्ता की मंजूरी

नए नियमों के अनुसार, राज्य शासन या किसी भी विभाग द्वारा दायर की जाने वाली सिविल या आपराधिक याचिका, अपील, पुनर्विलोकन या पुनरीक्षण आवेदन तभी दाखिल किया जाएगा, जब उसे महाधिवक्ता कार्यालय की पूर्व अनुमति और शासकीय अधिवक्ता की विधिक राय मिल जाएगी। इसके अलावा, विधि विभाग की सहमति भी अनिवार्य होगी।

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मामला अदालत ले जाने से पहले राय जरूरी

फरमान में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर महाधिवक्ता कार्यालय या संबंधित शासकीय अधिवक्ता यह राय देता है कि मामला अदालत में ले जाने योग्य नहीं है, तो संबंधित विभाग को यह राय नोटशीट में दर्ज कर प्रशासनिक विभाग को भेजनी होगी।

विभाग का निर्णय अंतिम होगा

अगर संबंधित प्रशासनिक विभाग यह तय करता है कि मामला न्यायालय में ले जाना जरूरी है और इसके लिए प्रभारी अधिकारी नियुक्त करता है, तो महाधिवक्ता कार्यालय याचिका या अपील दायर करने से इनकार नहीं कर सकेगा। यानी, अंतिम निर्णय विभागीय स्तर पर होगा, लेकिन प्रक्रिया पूरी तरह संविधानिक और अनुमोदित चैनल से ही गुजरनी होगी।

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क्यों जरूरी हुआ यह कदम

सरकार का मानना है कि कई विभाग बिना विधि विभाग की सलाह लिए निजी वकीलों के माध्यम से याचिकाएं दायर कर देते थे, जिससे कानूनी जटिलताएं और वित्तीय अनियमितताएं बढ़ रही थीं। इस नए आदेश के बाद अब कानूनी कार्यवाही पारदर्शी और नियंत्रित तरीके से की जाएगी।

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