स्मार्ट सिटी ग्वालियर के 274 करोड़ रुपए गलत प्रोजेक्ट्स में खर्च कर डाले

ग्वालियर स्मार्ट सिटी मिशन में 9 वर्षों के दौरान 1000 करोड़ में से 941 करोड़ खर्च हुए। इसमें से 274 करोड़ रुपए अमृत प्रोजेक्ट, स्ट्रीट लाइट और स्वच्छता योजनाओं जैसे कार्यों में लगाए गए, जो स्मार्ट सिटी मिशन का हिस्सा नहीं थे।

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स्मार्ट सिटी मिशन (Smart City Mission) का उद्देश्य था ग्वालियर में स्मार्ट सुविधाएं और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना। पिछले 9 सालों में 1000 करोड़ रुपए मिले, जिनमें से 941 करोड़ खर्च कर दिए गए। इसके बावजूद शहर में कई प्रमुख योजनाएं अधूरी हैं। स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (Smart City Development Corporation) ने नगर निगम (Municipal Corporation) और लोक निर्माण विभाग (Public Works Department) के प्रोजेक्ट्स में पैसा खर्च कर दिया।

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274 करोड़ रुपए का गलत उपयोग 

274 करोड़ रुपए स्मार्ट सिटी से जुड़े कार्यों के बजाय अन्य योजनाओं जैसे अमृत प्रोजेक्ट (AMRUT Project), स्ट्रीट लाइट (Street Light), और स्वच्छता (Cleanliness) पर खर्च कर दिए गए। ये काम नगर निगम के अधीन आते हैं, लेकिन स्मार्ट सिटी ने इन पर भी खर्च किया।

अमृत प्रोजेक्ट

750 करोड़ रुपए इस प्रोजेक्ट के तहत खर्च हुए।
शहर में सीवर लाइन (Sewer Line) और पानी आपूर्ति की स्थिति खराब है।
दक्षिण विधानसभा में स्मार्ट सिटी ने सीवर लाइन डालने पर 25.15 करोड़ खर्च किए। 

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स्ट्रीट लाइट

स्मार्ट सिटी ने स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट पर 43.07 करोड़ रुपए खर्च किए।
इसके बावजूद कई इलाकों में लाइट की स्थिति खराब है। 

स्मार्ट प्रोजेक्ट्स पर काम की धीमी रफ्तार

स्मार्ट सिटी के दो प्रमुख प्लान थे 
एरिया बेस्ट डेवलपमेंट (Area Best Development):
महाराज बाड़ा (Maharaj Bada) क्षेत्र के 803 एकड़ एरिया में 245 करोड़ रुपए खर्च हुए।
यहां हेरिटेज विकास, सड़क निर्माण और अन्य प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं।
पैन सिटी प्रोजेक्ट (Pan City Project):
इसमें आईटीएमएस (ITMS), स्मार्ट पार्किंग (Smart Parking), और पब्लिक बाइक शेयरिंग (Public Bike Sharing) शामिल थे।
ये सुविधाएं अफसरों की अनदेखी के कारण बंद हो गईं।

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प्रमुख अधूरे प्रोजेक्ट्स

इंटरसिटी और इंट्रा सिटी बस सेवा (Intercity and Intracity Bus Service)
पब्लिक बाइक शेयरिंग (Public Bike Sharing)
स्मार्ट वाशरूम (Smart Washrooms)
सेल्फी प्वाइंट्स (Selfie Points)
स्मार्ट स्कूल इमारत (Smart School Building)
116.54 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स पर काम अभी भी जारी है, लेकिन पूरा होने की स्थिति स्पष्ट नहीं है।

31 मार्च तक कार्यकाल समाप्त

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का बढ़ा हुआ कार्यकाल 31 मार्च 2025 तक है। इस अवधि में मल्टी लेवल पार्किंग (Multi-Level Parking) को छोड़कर अधिकतर कार्य पूरे होने की संभावना नहीं है। आयुक्त संघप्रिय (Sangh Priya) के अनुसार, इस हफ्ते कार्यों की समीक्षा बैठक आयोजित की जाएगी।

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स्मार्ट सिटी में जनता के सवाल

शहरवासी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि करोड़ों खर्च होने के बावजूद सुविधाएं क्यों अधूरी हैं।

 

FAQ

1. ग्वालियर स्मार्ट सिटी मिशन में कितना पैसा खर्च हुआ है?
941 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, जिनमें से 274 करोड़ गलत प्रोजेक्ट्स में लगाए गए।
2. स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य क्या था?
शहर में स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और आधुनिक सुविधाएं विकसित करना इसका उद्देश्य था।
3. कौन-कौन से प्रोजेक्ट्स अधूरे हैं?
स्मार्ट पार्किंग, पब्लिक बाइक शेयरिंग, आईटीएमएस और हेरिटेज गेट जैसे प्रोजेक्ट अधूरे हैं।
4. अमृत प्रोजेक्ट में क्या समस्याएं हैं?
अमृत प्रोजेक्ट पर 750 करोड़ रुपए खर्च हुए, लेकिन सीवर लाइन और पानी आपूर्ति की स्थिति अब भी खराब है।
5. स्मार्ट सिटी का कार्यकाल कब तक है?
स्मार्ट सिटी मिशन का कार्यकाल 31 मार्च 2025 तक बढ़ाया गया है।

 

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