हरदा ब्लास्ट के पीड़ित परिवारों को मिलेगा 18 करोड़ का मुआवजा
हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए भयावह धमाकों के 10 महीने बाद भी पीड़ित परिवार मुआवजे के लिए भटक रहे हैं। हालांकि, HC ने हाल ही में इस मामले में महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए मुआवजा वितरण पर लगी रोक हटा दी है।
हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए भयावह धमाकों के 10 महीने बाद भी पीड़ित परिवार मुआवजे के लिए भटक रहे हैं। अब तक न तो मृतकों के परिवारों को राहत राशि मिली है और न ही विस्थापित लोगों को स्थायी आवास। हालांकि, हाईकोर्ट ने हाल ही में इस मामले में महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए मुआवजा वितरण पर लगी रोक हटा दी है।
मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) को याचिकाकर्ता की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए मुआवजा राशि तय करने का निर्देश दिया है। इसके बाद एनजीटी ने हरदा जिला प्रशासन से घटना में हुए नुकसान का आकलन कराया। प्रशासन की ओर से गठित समिति ने विस्फोट में मारे गए 13 लोगों और 301 घायलों के लिए कुल 18.23 करोड़ रुपए मुआवजे की सिफारिश की है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मुआवजे की राशि में से लगभग 3 करोड़ रुपए फैक्ट्री मालिक की संपत्तियों की नीलामी से जुटाए जाएंगे, जबकि बाकी राशि राज्य सरकार देगी। इस मामले में फैक्ट्री मालिक की 19 अचल संपत्तियां सीज की गई थीं, जिनकी नीलामी से 2.65 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है। हाईकोर्ट की रोक के कारण संपत्तियों की बिक्री और ट्रांसफर रुका हुआ था, जिसे अब एनजीटी से अनुमति लेकर फिर से शुरू किया जाएगा। फैक्ट्री मालिक ने कुर्क संपत्तियां मुक्त कराने के लिए 3 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भी रखा है।
घटना में प्रभावित 38 परिवारों के लगभग 200 लोग अब भी अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं। इन शिविरों में रह रहे लोगों के लिए मूलभूत सुविधाओं की कमी बनी हुई है, जिससे उनकी परेशानियां दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। समिति की रिपोर्ट के अनुसार, विस्थापितों को अभी तक स्थायी पुनर्वास नहीं मिला है।
यह हादसा हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुआ था, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई थी और 301 लोग घायल हुए थे। विस्फोट इतना भीषण था कि आसपास के घर और संपत्तियां भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं।