रीवा में जन्मा एलियन बेबी, डाॅक्टर भी देख कर हैरान, हार्लेक्विन इक्थियोसिस बीमारी से पीड़ित है नवजात

रीवा के चाकघाट में एक महिला ने समय से पहले एक नवजात को जन्म दिया जिसकी शक्ल एलियन जैसी है। डॉक्टरों ने उसे हर्लीक्विन इचथियोसिस नामक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी से ग्रसित बताया।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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मध्यप्रदेश के रीवा जिले में चाकघाट में एक नवजात बच्चे का जन्म हुआ है, जो दिखने में एलियन जैसा नजर आता है। दरअसल यह बच्चा एक गंभीर जेनेटिक बीमारी से पीड़ित है। इस गंभीर बीमारी का नाम है हार्लेक्विन इक्थियोसिस (Harlequin Ichthyosis)।

इस बीमारी के कारण बच्चे की त्वचा फटी हुई है और उसकी आंखें बाहर निकल आई हैं। डॉक्टर भी इस स्थिति को देखकर हैरान रह गए हैं। इसे एक दुर्लभ और लाइलाज बीमारी माना जाता है। इस बीमारी की वजह से नवजात की स्थिति बहुत गंभीर बताई जा रही है। 

हार्लेक्विन इक्थियोसिस: एक दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी

हार्लेक्विन इक्थियोसिस एक आनुवंशिक बीमारी है, जो बहुत कम बच्चों में पाई जाती है। इस बीमारी में त्वचा मोटी होकर कठोर हो जाती है और फटने लगती है। इसके परिणामस्वरूप चेहरे की असामान्य रूप से विकृतियां होती हैं, और आंखों की पुतलियां बाहर आ जाती हैं। इस बीमारी में बच्चे के शरीर पर त्वचा के फिशर (दरारें) हो जाते हैं, जिससे जीवन के पहले कुछ दिन बहुत मुश्किल होते हैं।

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हार्लेक्विन इक्थियोसिस बीमारी इसके लक्षण और प्रभाव

👉 त्वचा के फटने की समस्या - बच्चा जन्म लेते ही त्वचा में दरारों का सामना करता है।

👉 आंखों का बाहर आना - इस बीमारी के कारण आंखों की पुतलियां बाहर निकल आती हैं।

👉 कठोर त्वचा - त्वचा बेहद मोटी और कठोर हो जाती है, जिससे बच्चे के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो सकता है।

👉 आंतरिक अंगों पर असर - त्वचा की बीमारी के अलावा, अन्य अंगों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जो जीवन को और जटिल बना सकता है।

हालत देखकर डॉक्टर भी चौंके

यह घटना चाकघाट के एक छोटे से गांव ढकरा सोंनौरी में घटित हुई। शांति देवी पटेल की बहू प्रियंका पटेल को प्रसव पीड़ा शुरू हुई थी, जिसके बाद उन्हें चाकघाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां 7 बजे सुबह सामान्य डिलीवरी हुई, लेकिन नवजात की हालत देखकर डॉक्टर भी चौंक गए। बच्चे की त्वचा में गंभीर विकृतियां थीं और उसका चेहरा एलियन जैसा दिख रहा था। 

इलाज की संभावना बहुत कम

रीवा गांधी मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक, यह एक दुर्लभ आनुवंशिक स्थिति है, जिसे हार्लेक्विन इक्थियोसिस कहते हैं। इसमें दोनों माता-पिता कैरियर होते हैं और बीमारी बच्चे को गर्भावस्था के दौरान हो जाती है। इस बीमारी के इलाज की संभावना बहुत कम होती है, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे की स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।

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समय से पहले हुआ प्रसव

बच्चे को जन्म देने वाली महिला प्रियंका पटेल को डॉक्टरों ने समय से पहले प्रसव के संकेत दिए थे, लेकिन अल्ट्रासाउंड में ऐसा कुछ भी दिखा नहीं था। अंततः, मंगलवार रात प्रसव के बाद नवजात की स्थिति गंभीर हो गई, और उसे तुरंत रीवा गांधी मेमोरियल अस्पताल के ICU वार्ड में भर्ती कराया गया। वहां इलाज जारी है, और चिकित्सक उसकी हालत पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। 

साल में केवल दो या तीन मामले 

मेडिकल कॉलेज के बाल्य और शिशु रोग विभाग के प्रोफोसर डॉ. करण जोशी ने बताया कि हार्लेक्विन इचथियोसिस दुर्लभ बीमारी के मामले साल में केवल दो या तीन बार ही सामने आते हैं। इस गंभीर बीमारी से ग्रस्त नवजातों को विशेष उपचार की आवश्यकता होती है। पीडियाट्रिक और डर्मेटोलॉजिस्ट विभाग के स्पेशलिस्ट मिलकर इन बच्चों का इलाज करते हैं।

बच्चों की त्वचा बहुत सेंसिटिव और नाजुक होती है, जिससे उनका उपचार बेहद सावधानी से किया जाता है। यदि समय पर सही उपचार न मिले, तो यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है। इसलिए, बच्चों को जल्दी इलाज मिलना बहुत जरूरी है, ताकि उनकी स्थिति में सुधार हो सके और जीवन बचाया जा सके।

डॉक्टर्स की निगरानी में नवजात का उपचार

रीवा गांधी मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टरों ने बच्चे की गंभीर स्थिति के बारे में बताया कि यह बीमारी आमतौर पर दो सप्ताह से तीन सप्ताह के भीतर बच्चों को जटिलताओं से घेर लेती है। उपचार में त्वचा के नुकसान को कम करने के लिए विशेष क्रीम और दवाइयां दी जा रही हैं। इसके अलावा,नवजात शिशु को सांस लेने में मदद देने के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट भी प्रदान किया जा रहा है।

चिकित्सा विशेषज्ञों की एक टीम इस नवजात के इलाज में जुटी हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की स्थिति में सुधार संभव है, लेकिन शुरुआती दिनों में जोखिम बना रहेगा। 

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