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डीपीआई आयुक्त शिल्पा गुप्ता की मनमानी अब सरकार पर भारी पड़ रही है। उनके कारनामों के चलते हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार, ट्राईबल वेलफेयर के प्रिंसिपल सेक्रेटरी, शिल्पा गुप्ता, ट्राईबल वेलफेयर डिपार्टमेंट के कमिश्नर और कई जिलों के शिक्षा अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।
मध्य प्रदेश में लोक शिक्षण संचनालय (DPI) की कमिश्नर शिल्पा गुप्ता एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद, आरक्षित वर्ग के मेरिट में आने वाले और 3 साल का अनुभव रखने वाले शिक्षकों को 90% वेतन के बजाय 70% वेतन पर नई नियुक्ति देकर उन्होंने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।
इस कदम को लेकर हाईकोर्ट में फिर से मामला पहुंच गया है, जहां प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा, प्रमुख सचिव ट्रायबल वेलफेयर, और कई जिला शिक्षा अधिकारियों से जवाब-तलब किया गया है।
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हाईकोर्ट का पुराना आदेश
हाईकोर्ट ने 23 अक्टूबर 2024 को आदेश दिया था कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभाशाली अभ्यर्थियों को उनकी प्रथम वरीयता के अनुसार DPI के अधीन स्कूलों में 20 दिनों के भीतर पदस्थापना दी जाए। यह आदेश याचिका क्रमांक 27949/2023, 28139/2023, 34360/2024 और WA/1333/2023 में दिया गया था।
निर्धारित समय सीमा में DPI कमिश्नर ने आदेश का पालन नहीं किया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने शिल्पा गुप्ता के खिलाफ अवमानना याचिकाएं दायर कर दीं। हाईकोर्ट के नोटिस मिलने के बाद भी न तो उन्होंने कोर्ट में वकील नियुक्त किया, न ही कंप्लायंस रिपोर्ट दाखिल की।
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शिल्पा गुप्ता ने खटखटाया SC का दरवाजा
आदेशों की अनदेखी पर हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने CONC No. 5375/2024, 5374/2024, 496/2025, 716/2025 में उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने आनन-फानन में मध्यप्रदेश सरकार के ही खर्च पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और SLP(C) Diary No. 13542/2025 दाखिल की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल 2025 को प्रारंभिक सुनवाई में ही यह याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट के आदेशों की पुष्टि कर दी। इसके बावजूद भी शिल्पा गुप्ता ने आदेशों का पालन नहीं किया।
हाईकोर्ट का अल्टीमेटम और नया विवाद
18 मई 2025 को हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में अल्टीमेटम दिया कि अगर 18 जून 2025 तक आदेशों का पालन नहीं किया गया तो उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाएगा और गैर-जमानती गिरफ्तारी का आदेश लागू होगा।
इसके बाद 12 जून 2025 को शिल्पा गुप्ता ने खुद कंप्लायंस दाखिल करने के बजाय जिला शिक्षा अधिकारियों (सागर, सीधी, कटनी, गुना आदि) को निर्देश देकर याचिकाकर्ताओं के नए सिरे से नियुक्ति आदेश जारी करा दिए।
समस्या यह थी कि इन आदेशों में ट्रायबल विभाग में उनकी 2 साल से ज्यादा की सेवाओं को मान्यता नहीं दी गई और 90% वेतन पाने वाले इन शिक्षकों को 70% वेतन पर DPI के स्कूलों में नियुक्त किया गया।
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'आप लोगों के कारण मेरी बदनामी हुई'
याचिकाकर्ताओं ने इस आदेश पर लिखित आपत्ति दी तो, आरोप है कि शिल्पा गुप्ता ने साफ कह दिया कि "आप लोगों के कारण मेरी बहुत बदनामी हुई है, इसलिए यह आदेश जारी किया है। चाहें तो फिर हाईकोर्ट चले जाएं।" इस बयान की जानकारी याचिकाकर्ताओं के द्वारा हाईकोर्ट में भी दी गई।
फिर से हाईकोर्ट की चौखट पर मामला
अब सीधी निवासी संध्या शुक्ला, कटनी निवासी शुभम उरमलिया, मंडला निवासी आरती सेन, सागर निवासी उमाकांत साहू, राहुल सिंह चाडार, सरस्वती कोरी, आकांक्षा बाजपेयी और विदिशा निवासी शिवानी शर्मा ने Writ Petition No. 24466/2025 दाखिल की है। इसके बाद शिल्पा गुप्ता की मनमानी के चलते सरकार सहित कई अधिकारियों को हाइकोर्ट से नोटिस जारी हुए हैं।
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इनको जारी हुआ नोटिस
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर और अधिवक्ता अभिलाषा सिंह लोधी ने पैरवी की। जस्टिस एम.एस. भट्टी ने इस पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा, प्रमुख सचिव ट्रायबल वेलफेयर, DPI कमिश्नर, ट्रायबल कमिश्नर, जिला शिक्षा अधिकारी (सागर, कटनी, सीधी, गुना) और कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
अब देखना होगा कि इस मामले में हाईकोर्ट आगे क्या रुख अपनाता है, क्योंकि यह मामला सिर्फ नियुक्ति और वेतन का नहीं, बल्कि कोर्ट की अवमानना और प्रशासनिक जिम्मेदारी का भी है।
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