स्वास्थ्य जांच में हुई मनमानी, निजी कंपनियों ने वसूले 300 करोड़, 25 प्रतिशत अधिक लिए दाम, जानें क्या है मामला

पांच सालों से स्वास्थ्य विभाग में एक घोटाला चल रहा है, जिसमें सरकारी अस्पतालों की लैबों द्वारा किए जाने वाले टेस्ट्स पर ज्यादा राशि वसूल की जा रही है। इन लैबों की एनएबीएल मान्यता नहीं होने के बावजूद, निजी कंपनियों ने एनएबीएल रेट पर बिलिंग की गई है।

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Sanjay Dhiman
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पिछले पांच सालों से मध्यप्रदेश स्वास्थ्य विभाग में एक गंभीर घोटाला चल रहा है, जिसमें सरकारी अस्पतालों की लैबों द्वारा किए जाने वाले टेस्ट्स पर ज्यादा राशि वसूल की जा रही है। इन लैबों की एनएबीएल (नेशनल एक्रेडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैब्स) मान्यता नहीं होने के बावजूद, निजी कंपनियों ने एनएबीएल के रेट पर बिलिंग करना जारी रखा है, जिससे सरकारी खजाने में करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है।

इस घोटाले के बारे में विस्तृत जानकारी सामने आई है, जिसमें 85 सरकारी लैबों में लगभग 40,000 स्वास्थ्य जांचें रोज़ होती हैं, और प्रत्येक पर 25% ज्यादा शुल्क लिया जाता है। यह घोटाला कुल 300 करोड़ रुपए के आसपास माना जा रहा है। 

टेंडर की शर्तों में गड़बड़ी का आरोप

2019 के अंत में, सरकारी अस्पतालों की 85 लैबों के संचालन का ठेका साइंस हाउस और पीओसीटी सर्विसेज (कंसोर्टियम) को दिया गया था। इस ठेके में सरकार ने सीजीएचएस-एनएबीएल रेट पर 31% डिस्काउंट देने की बात की थी, लेकिन इस डिस्काउंट के बावजूद निजी कंपनियों ने एनएबीएल रेट पर भुगतान लिया गया, जो कि नियम विरुद्ध है। 

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कैसे की गई ओवरबिलिंग

कंपनियों का दावा है कि उसने टेंडर में दिए गए रेट्स के हिसाब से ही जांचों की बिलिंग की है, लेकिन इन रेट्स में एनएबीएल मान्यता का कोई ध्यान नहीं रखा गया। इसके कारण, यह घोटाला हुआ, जिसमें करीब 300 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। सरकारी लैब्स ने बिना मान्यता के एनएबीएल रेट्स पर बिलिंग की, जिससे नागरिकों को अतिरिक्त पैसे चुकाने पड़े। 

जांच (Test)सामान्य दाम (Normal Price)वसूले गए दाम (Charged Price)वृद्धि (Increase)
फाइब्रिनोजन (Fibrinogen)57.86317.45.49 गुना (5.49 times)
डी-डाइमर (D-Dimer)37.61189.755.05 गुना (5.05 times)
प्रोजेस्टेरोन (Progesterone)43.40178.714.12 गुना (4.12 times)
सीरम विटामिन B12 (Serum Vitamin B12)52.07198.723.82 गुना (3.82 times)
सीरम कॉर्टिसोल (Serum Cortisol)57.86198.723.43 गुना (3.43 times)

कंपनियों का दावा, किया नियमों का पालन

कंपनियों का कहना है कि उसने टेंडर में निर्धारित शर्तों के हिसाब से ही काम किया है। इसके बावजूद, विशेषज्ञों और अन्य सूत्रों का मानना है कि यह पहला मामला है जब किसी कंपनी को वेट लीज रिएजेंट मॉडल के तहत भुगतान किया गया। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि मध्य प्रदेश सरकार का इस पर ध्यान क्यों नहीं गया, और क्यों उन्होंने ऐसे कंपनियों को ठेका दिया जिनके खिलाफ पहले से घोटालों की रिपोर्ट थी। 

टेंडर देने में की गई लापरवाही, दागी कंपनियों को दिए काम

इस मामले में चाैकाने वाला तथ्य यह है कि टेंडर देने में भी अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती गई है। जिन दो कंपनियों को सरकारी अस्पतालों में लैब संचालन का काम दिया गया, वे पहले से विवादित हैं। इनमें सांइस हाउस कपंनी के प्रमोटर जहां भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जा चुके है तो वहीं दूसरी कंपनी पीओसीटी को घटिया कार्यो के चलते कई अन्य राज्यों में ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है। इसके बाद भी इन कंपनियों को यह ठेका दिया गया। 

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अधिकारियों का दावा, 30 को मिली NABL,सौ जांचें हैं मुफ्त

इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक साल में निजी कंपनियों की 30 से अधिक लैबों को एनएबीएल प्रमाण पत्र मिल चुका है। वहीं सरकारी अस्पतालों में सौ से ज्यादा प्रकार की जांचें निशुल्क व आभा आईडी से की जा रही है। 

कंपनियों ने रखा अपना-अपना पक्ष 

इन घोटालों के आरोप पर साइंस हाउस कंपनी के सीईओ पुनीत दुबे का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग ने जो लैबों में जांच के टेंडर निकाले थे, उनमें कंपनी को एल-1 आने पर टेंडर मिला था। जो शर्ते रखी गई थी, उसी हिसाब से बिलिंग हो रही है। 30 से 40 लैबें एनएबीएल सर्टिफाइड हो चुकी है। रोज 40 हजार से ज्यादा जांचें इन लैबों में हो रही हैं। 

अब नई शर्तो के साथ हो रही है बिलिंग

नेशनल हेल्थ मिशन की एमडी डाॅ सलोनी सिडाना का कहना है कि टेंडर में नई कंडीशन डाली गई है, साथ ही 60 से 80 प्रतिशत तक टेस्ट आभा आईडी के साथ करना अनिवार्य कर दिया गया है। प्रत्येक टेस्ट के जो रेट टेंडर में तय किए गए थे उन्हीं रेटस पर जांचें हो रही है। 

FAQ

एनएबीएल मान्यता क्या है? (What is NABL Accreditation?)
एनएबीएल (नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैब्स) भारत सरकार का एक मान्यता बोर्ड है, जो लैब्स को उनकी जांचों की सटीकता और विश्वसनीयता के आधार पर प्रमाणित करता है। एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब्स से किए गए टेस्ट्स को अधिक भरोसेमंद माना जाता है।
क्या स्वास्थ्य जांच घोटाले में कोई कार्रवाई हुई है?
इस मामले में जांच शुरू हो चुकी है, और अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में और लैबों को एनएबीएल सर्टिफिकेशन मिलेगा। हालांकि, इस घोटाले में अभी तक किसी ठोस कार्रवाई की पुष्टि नहीं हुई है।
क्या सरकार की टेंडर प्रक्रिया में कोई समस्या थी?
जी हां, टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी सामने आई है। साइंस हाउस के प्रमोटर पहले भ्रष्टाचार मामले में जेल जा चुके थे, और पीओसीटी सर्विसेज को कई राज्यों में ब्लैकलिस्ट किया जा चुका था। फिर भी उन्हें ठेका दिया गया।

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