MPPSC की राज्य सेवा प्री 23 पर सुनवाई लंच के बाद, आयोग के सचिव भी पहुंचे हाईकोर्ट

एक भी प्रश्न के गलत ठहराए जाने का मतलब है कि प्री के रिजल्ट में उलटफेर होगा। केवल हाईकोर्ट के आदेश से पात्र याचिकाकर्तांओं को बैठाया जाना पर्याप्त नहीं है। 

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Pratibha Rana
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संजय गुप्ता, INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग ( MPPSC ) की राज्य सेवा प्री 2023 पर सुनवाई आज (गुरूवार-7 मार्च) को लंच के बाद संभावित है। सुनवाई के लिए आयोग के सचिव प्रबल सिपाहा हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। इसकी सूचना सुबह हाईकोर्ट ( MP PSC ) में आयोग के अधिवक्ता ने दे दी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंशुल तिवारी भी सुबह कोर्ट में मौजूद रहे। मूल याचिका 3141 के साथ कुल 18 याचिकाएं एक साथ संलग्न है। इन पर सुनवाई होना है। 

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हाईकोर्ट को तय करना है प्री के सवाल सही या गलत

राज्य सेवा प्री 2023 ( PSC ) के सवालों के लेकर लगी पहली मूल याचिका में तीन सवालों को गलत बताया गया है। इसे प्रारंभिक तौर पर जबलपुर हाईकोर्ट ने सही माना और तीनों सवालों पर आयोग से जवाब मांगा। अगली सुनवाई में आई विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट में सही कमेंट, हस्ताक्षर आदि नहीं होने से हाईकोर्ट नाराज हुआ। याचिकाकर्ताओं को मेंस में बैठने की पात्रता मिली, सुनवाई 12 मार्च को लगाई गई। बाद में और याचिका लगी, जिसमें अधिवक्ताओं ने बताया कि 12 मार्च को सुनवाई की तारीख लगी है और मेंस 11 से हो रही है। इस पर हाईकोर्ट ने सात मार्च को सुनवाई रखी है। प्री के कुछ और सवालों पर भी अन्य याचिकाओं में सवाल उठाए गए हैं और इनकी फ्रेमिंग गलत होना बताया गया है। 

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इसलिए अहम है यह सुनवाई?

यह सुनवाई क्यों अहम है ( MPPSC ) ? इसका कारण है कि प्री के एक-एक नंबर पर सैंकड़ों उम्मीदवार अंदर या बाहर हो जाते हैं। प्री के तीन सवालों पर प्रश्नचिन्ह तो है ही, अन्य याचिकाओं में दो और प्रश्न पर सवाल उठे हैं। यदि इसमें से एक भी सवाल को हाईकोर्ट खारिज करता है, तो आयोग के ही नए नियम से डिलीट प्रश्न के अंक सभी उम्मीदवारों को मिलेंगे। यानि प्री में बैठे हुए करीब दो लाख उम्मीदवारों को यह अंक मिलेंगे। जितने प्रश्न हाईकोर्ट गलत मानकर डिलीट करता है, प्रति प्रश्न दो अंक सभी उम्मीदवारों को मिलेंगे। यानि हर प्रश्न प्री में बैठे पूरे दो लाख उम्मीदवारों को प्रभावित करता है, लेकिन इसमें सबसे अहम वह है जो दो-दो अंक से प्री पास कर मेंस के लिए क्वालीफाई हो गए या फिर प्री में फेल हो गए। कटऑफ अंक के आसपास वाले सभी उम्मीदवार इससे प्रभावित होंगे। 

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इसके मायने क्या होंगे?

एक भी प्रश्न के गलत ठहराए जाने का मतलब है कि प्री के रिजल्ट में उलटफेर होगा। केवल हाईकोर्ट के आदेश से पात्र याचिकाकर्तांओं को बैठाया जाना पर्याप्त नहीं है। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के हिसाब से जो याचिका में नहीं गए, लेकिन इस रिजल्ट से प्रभावित हो रहे, उन्हें भी मेंस में बैठने का अधिकार बनता है और फैसला सभी पर लागू होता है। यानि कि साफ है कि आयोग को मेंस के लिए फिर से पात्र उम्मीदवारों को लिस्ट बनानी होगी, यानि रिजल्ट रिवाइज्ड करना होगा। इसमें कुछ संभव है बाहर हो जाएं और कई उम्मीदवार बार्डर पर अटके हुए प्रवेश पा जाएं, जैसा खुद माननीय कोर्ट ने ही याचिकाकर्ताओं के लिए आदेश जारी किए हुए हैं। 

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आयोग क्या पक्ष रखती है यह अहम

आयोग इस पूरे मामले में क्या बात रखता है यह अहम साबित होगा। हालांकि गलत प्रश्नों को लेकर कोई खास कहने के लिए आयोग के पास भी नहीं है। विशेषज्ञ कमेटी के जरिए ही यह उत्तर तय हुए वह यही कह सकता है, लेकिन इसी कमेटी पर ही हाईकोर्ट ने सवाल खड़े कर दिए हैं और इसी कमेटी की योग्यता, बनाने के नियम आदि के साथ खुद सचिव को हाईकोर्ट ने बुलाया है। वहीं अहम यह भी है कि प्री के सवाल गलत होने के बाद भी क्या क्लियर डायरेक्शन हाईकोर्ट से प्री के रिजल्ट रिवाइज्ड करने और मेन्स कराने को लेकर आता है। आयोग के विपरीत फैसला आने पर वह निश्चित तौर पर डबल बैंच में जाना चाहेगा लेकिन समस्या यह है कि आठ से  दस मार्च शासकीय छुट्‌टी है और ऐसे में उसे 11 मार्च से होने वाली मेंस को लेकर पहले फैसला करना होगा।

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