नर्सिंग काउंसिल में रजिस्टर पद पर रहते हुए फर्जी मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने के मामले में अनीता चांद को हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। हालांकि, कोर्ट ने अनीता चांद को अपना रिप्रेजेंटेशन अपीलेंट अथॉरिटी को देने के लिए कहा है।
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फर्जी मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने का आरोप
हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग में नर्सिंग मामले में घोटाले की जांच CBI द्वारा की जा रही है। जांच में पता चला है कि नर्सिंग काउंसिल में रजिस्ट्रार के पद पर पदस्थ अनीता चांद ने ही कई तरह की अनियमितताएं की है। उन्होंने अपने पद दुरपयोग करते हुए साल 2022-23 में उन नर्सिंग कॉलेजों के छात्रों के नामांकन के लिए पोर्टल खोला जिन कॉलेजों में CBI जांच में छात्रों का होना नहीं पाया गया है। साल 2021-22 में जिन कॉलेजों की मान्यता समाप्त की जा चुकी थी। कॉलेजों के छात्रों के तीन वर्ष बाद नामांकन कराए गए। इसके अलावा चांद पर यह भी आरोप है कि उन्होंने नर्सिंग घोटाले में भोपाल के आरकेएस नर्सिंग कॉलेज के अनसूटेबल होने के बावजूद उसे निरीक्षण में सूटेबल बताते हुए फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट काउंसिल को सौंपी गई थी। उसके बावजूद उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के स्थान पर उन्हें रजिस्ट्रार बनाया गया था।
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नर्सिंग फर्जीवाड़े में अधिवक्ता विशाल बघेल ने हाईकोर्ट में PIL लगाई थी। एडवोकेट ने चांद द्वारा की गई अनियमितताओं को हाईकोर्ट में लाया गया था। जिसके बाद कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल की तत्कालीन और चेयरमैन को तत्काल पद से हटाने के आदेश भी दिए थे। इसके बाद में नर्सिंग काउंसिल के सीसीटीवी फुटेज और फाइल गायब करने के मामले में जांच, पुलिस कमिश्नर भोपाल और साइबर सेल को भी सौंपी गई थी। जिनकी रिपोर्ट अभी आना बाकी है।
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अपना पक्ष रखेंगी अनीता चांद
जबलपुर में जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस ए के पालीवाल की डिवीजन बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट के सामने अपना पक्ष साबित करने में सफल होने के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका को वापस ले लिया है। हालांकि, कोर्ट ने उन्हें इतनी राहत जरूर दी है कि वह इस मामले में अपना पक्ष अपीलीय अथॉरिटी के पास रखेंगे। जिस पर 60 दिनों के भीतर फैसला लिया जाएगा। लेकिन फर्जी कॉलेज को मान्यता देने के साथ-साथ सीसीटीवी फुटेज के गायब होने के मामलों के चलते अभी ऐसे आसार नहीं है कि अनीता चांद को राहत मिल सके।
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