संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर हाईकोर्ट ने इंदौर लोकसभा चुनाव (Indore Lok Sabha elections) में दखल देने से साफ इंकार कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद दखल नहीं दे सकते हैं ना रोक सकते हैं। बेहतर होगा कि चुनाव खत्म होने के बाद वह चुनाव याचिका दायर करें। मामला निर्दलीय प्रत्याशी (independent candidate) धर्मेंद्र झाला का है जो फर्जी हस्ताक्षर (fake signature) से नाम वापसी की आरोप लगाते हुए कोर्ट गए थे। इसी तरह एक अन्य प्रत्याशी दिलीप ठक्कर ने भी याचिका लगाई थी, जिस पर सुनवाई पूरी हो गई है, आदेश अभी नहीं आया।
झाला की ओर से अधिवक्ताओं ने यह रखे थे तर्क
इंदौर हाईकोर्ट (Indore High Court) में निर्दलीय प्रत्याशी झाला की ओर से अधिवक्ता पीसी नायर और कपिल शुक्ला ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि फर्जी हस्ताक्षर के जरिए नाम वापस लिया गया है। जब वह 29 अप्रैल को चुनाव चिन्ह लेने पहुंचे तो वहां पता चला कि नाम वापस हो गया है, किसी ने मेरे फर्जी हस्ताक्षर के जरिए यह काम किया। इस पर जस्टिस विवेक रूसिया (Justice Vivek Rusia) की कोर्ट ने कहा कि यह जांच का विषय है और यह इस याचिका के क्षेत्राधिकार से बाहर है। आपको चुनाव खत्म होने के बाद चुनाव याचिका लगाना होगी, इसमें फिर जो भी होगा सामने आएगा। इसके साथ याचिका वापस ले ली गई।
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ठक्कर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने रखी बात
उधर, ठक्कर का भी यही मामला है, उन्होंने कहा कि फर्जी हस्ताक्षर से फार्म वापस कराया गया है जबकि वह मौजूद ही नहीं थे। जस्टिस पी. वर्मा की कोर्ट में सुनवाई हुई। वेबकैम के जरिए तन्खा ने पक्ष रखते हुए कहा कि चुनाव लड़ना हमारा अधिकार है, हार-जीत अलग बात है लोकतंत्र में अधिकार है और इस कदम से अधिकार खत्म हुए हैं। वहीं चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि यह जांच का विषय है और मामला चुनाव याचिका में ही निराकृत हो सकता है। नियम साफ कहते हैं कि चुनाव अधिकारी जांच नहीं करता है बल्कि वह यदि संतुष्ट है कि नाम वापसी सही हुई है तो इस पर फैसला करता है। आयोग के नियमों में जांच का प्रावधान है ही नहीं। सुनवाई पूरी हो गई है और इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।
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पुलिस में भी की है ठक्कर ने शिकायत
ठक्कर की ओर से अधिवक्ता अंशुमन श्रीवास्तव ने भी पक्ष रखा। अंशुमन ने बताया कि गलत फार्म वापसी की जानकारी मिलने पर ठक्कर द्वारा तत्काल निर्वाचन कार्यालय के सीसीटीवी फुटेज संभाल के रखे जाने के लिए और कूटरचित हस्ताक्षर के संबंध में एफआईआर पंजीबद्ध करने के लिए निर्वाचन अधिकारी और पुलिस कमिश्नर को शिकायत प्रस्तुत की गई।