साध्वी बनने का नाटक कर करोड़ों की ठगी करने वाली रीना रघुवंशी की अग्रिम जमानत हाईकोर्ट से खारिज

रीना रघुवंशी ने एमबीए की पढ़ाई की है और कुछ समय एक्सिस बैंक में नौकरी भी की थी। लेकिन इसके बाद उसने जीवन का रास्ता बदला और खुद को साध्वी घोषित कर दिया।

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Neel Tiwari
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Reena Raghuvanshi
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MP News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने साध्वी लक्ष्मी दास उर्फ रीना रघुवंशी और उसके भाई हर्ष रघुवंशी की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने इस मामले में कहा कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अग्रिम जमानत पाने के लिए जो शर्तें मानी थीं, उन्हें पूरा नहीं किया। रीना रघुवंशी ने दावा किया था कि वह मृत महंत कनक बिहारी दास के खाते से निकाले गए 90 लाख रुपए वापस जमा कर देगी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अब कोर्ट ने इसे गंभीर अपराध मानते हुए उसकी और उसके भाई की अग्रिम जमानत निरस्त कर दी है।

धोखे से खुद को घोषित किया उत्तराधिकारी

छिंदवाड़ा जिले की लोनीकला ग्राम स्थित श्रीराम जानकी मंदिर के संस्थापक और रघुवंशी समाज के पूजनीय गुरु स्वर्गीय कनक बिहारी दास महाराज की मृत्यु अप्रैल 2023 में एक सड़क हादसे में हो गई थी। महाराज की मौत के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चा चल रही थी, तभी रीना रघुवंशी नाम की एक महिला खुद को साध्वी लक्ष्मी दास बताकर सामने आई। उसने दावा किया कि वह महाराज की उत्तराधिकारी है, और धोखे से उनके बैंक खाते से अपना मोबाइल नंबर लिंक करवा लिया।

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नेट बैंकिंग के जरिए उड़ा दिए चंदे के पैसे

रीना रघुवंशी ने अपने भाई हर्ष रघुवंशी के साथ मिलकर नेट बैंकिंग के माध्यम से कनक बिहारी दास के खाते से 90 लाख रुपए निकाल लिए। यह राशि राम मंदिर निर्माण के लिए रघुवंशी समाज द्वारा दी गई थी। इस धनराशि का दोनों ने अपने निजी शौक और विलासिता में उपयोग किया। जब यह बात आश्रम के पुजारी श्याम सिंह को पता चली, तो उन्होंने चौरई थाने में एफआईआर दर्ज कराई।

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पुलिस और समाज दोनों ने घोषित किया इनाम

एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही दोनों आरोपी फरार हैं। चौरई पुलिस ने दोनों पर 10 हजार रुपए का इनाम घोषित किया, लेकिन महीनों बीत जाने के बावजूद उन्हें पकड़ा नहीं जा सका। रघुवंशी समाज में इस ठगी को लेकर जबरदस्त आक्रोश है। समाज ने खुद रीना रघुवंशी पर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया है।

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बैंक में नौकरी कर चुकी है फर्जी साध्वी

रीना रघुवंशी ने एमबीए की पढ़ाई की है और कुछ समय एक्सिस बैंक में नौकरी भी की थी। लेकिन इसके बाद उसने जीवन का रास्ता बदला और खुद को साध्वी घोषित कर दिया। 2022 में उसने अपने गांव में कनक बिहारी दास के साथ एक यज्ञ करवाया था, यहीं से वह महाराज के संपर्क में आई और उनकी संपत्ति पर निगाह टिकाई।

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हाईकोर्ट में दी झूठी दलीलें

हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर करते हुए रीना ने कहा था कि वह 90 लाख रुपए ट्रायल कोर्ट के समक्ष जमा कर देगी, जिसे कोर्ट ने एक अवसर के रूप में स्वीकार किया और उसे और उसके भाई को जमानत दी गई। लेकिन जमानत की शर्तें पूरी नहीं होने पर रघुवंशी समाज की ओर से विरोध याचिका दायर की गई। एडवोकेट दीपक रघुवंशी ने बताया कि कोर्ट ने अब इस मामले को गंभीर माना है और अग्रिम जमानत को खारिज कर दिया है।

कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है, लेकिन गिरफ्तारी बाकी

रीना और हर्ष रघुवंशी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (विश्वासघात), 403 (संपत्ति के गबन) समेत कई धाराओं में मामले दर्ज हैं। दोनों को अब गिरफ्तारी का सामना करना होगा, लेकिन सवाल यह है कि इतने इनाम और कानूनी दबाव के बाद भी आरोपी अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर कैसे हैं?

समाज की आस्था से खिलवाड़ का मामला

यह मामला केवल आर्थिक ठगी नहीं, बल्कि एक समाज की आस्था और श्रद्धा से जुड़ा है। जिस मंदिर को गुरु कनक बिहारी दास ने खड़ा किया, उसी मंदिर के नाम पर लोगों से जुटाई गई राशि को धोखे से ठगना न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि धार्मिक भावनाओं के साथ विश्वासघात भी है। अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन कब तक इस फर्जी साध्वी को गिरफ्तार कर अदालत के कटघरे में खड़ा कर पाता है।

 

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