सेना की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में एमपी अव्वल, हजारों एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा

मध्य प्रदेश में रक्षा मंत्रालय की जमीन पर अतिक्रमण का मामला सबसे ज्यादा है। हालांकि, सरकार ने इस जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटल तरीके से तैयार किया है। जियो-टैगिंग भी की है, लेकिन सुरक्षा कारणों की वजह से इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।

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Anjali Dwivedi
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मध्य प्रदेश में रक्षा मंत्रालय की जमीन पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण हो रहा है। मध्य प्रदेश में 1,733.21 एकड़ रक्षा भूमि पर अवैध कब्जा है। यह आंकड़ा देश के अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। उत्तर प्रदेश इस सूची में दूसरा स्थान पर है, जहां 1,639.33 एकड़ जमीन पर कब्जा किया गया है। यह जानकारी केंद्र सरकार ने लोकसभा में दी है।

इस प्वाइंट्स से समझें पूरा मामला

  • मध्य प्रदेश में रक्षा भूमि पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण है, 1,733.21 एकड़ पर अवैध कब्जा।

  • देशभर में 11,152 एकड़ रक्षा भूमि अतिक्रमण की चपेट में है।

  • एमपी में 566 एकड़ अतिरिक्त रक्षा भूमि सशस्त्र बलों की जरूरत से ज्यादा।

  • ग्वालियर में 21 एकड़ सेना की जमीन पर अवैध बसाहट।

  • पचमढ़ी में सीएम राइज स्कूल के निर्माण की मंजूरी रक्षा भूमि विवाद के कारण अटकी।

देशभर में कितने एकड़ रक्षा भूमि पर कब्जा?

केंद्र सरकार के मुताबिक, देशभर में कुल 11 हजार 152.15 एकड़ रक्षा भूमि अतिक्रमण की चपेट में है। यह भूमि सेना, वायुसेना, और अन्य सशस्त्र बलों के अधीन आती है। इसमें से 16% हिस्सा अकेले मध्य प्रदेश का है। दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है, जहां करीब 1,639 एकड़ रक्षा भूमि पर कब्जा किया गया है।

एमपी में अतिरिक्त रक्षा भूमि की स्थिति क्या है?

जहां एक तरफ अतिक्रमण के मामले में एमपी अव्वल है, वहीं अतिरिक्त रक्षा भूमि के मामले में मध्य प्रदेश पीछे है। राज्य में 566.44 एकड़ रक्षा भूमि को सशस्त्र बलों की मौजूदा जरूरत से अधिक बताया गया है। यह आंकड़ा सरप्लस भूमि (Surplus Land) के मामले में टॉप-10 में भी शामिल नहीं है।

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कानूनी विवादों में भी फंसी है रक्षा भूमि

मध्य प्रदेश की 112.95 एकड़ रक्षा भूमि कानूनी विवादों में फंसी हुई है। देशभर में कुल 8,113.04 एकड़ रक्षा भूमि अदालतों में चल रहे मुकदमों के कारण अटकी हुई है। इन जमीनों का इस्तेमाल न तो सैन्य उद्देश्यों के लिए हो रहा और न ही किसी सरकारी प्रोजेक्ट में।

अतिक्रमण बढ़ने के कारण क्या है?

सरकार ने रक्षा भूमि के रिकॉर्ड को डिजिटल और जियो-टैग कर लिया है। हालांकि, सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। विशेषज्ञ मानते हैं कि स्थानीय निगरानी कमजोर है। इसके अलावा, कई कब्जे पुराने हैं। यही कारण है कि अतिक्रमण हटाने में सबसे बड़ी मुश्किल आ रही है। 

पचमढ़ी में सीएम राइज स्कूल की जमीन विवाद

पचमढ़ी में प्रस्तावित सीएम राइज स्कूल का निर्माण पिछले दो साल से अटका हुआ है। कारण है कि जिस भूमि पर स्कूल बनाना था, लेकिन वहां सेना की जमीन पर कब्जा है, और उसकी लीज 1985 में समाप्त हो चुकी है।

इसके बावजूद, इस भूमि का उपयोग शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। हालांकि नए निर्माण को अभी भी मंजूरी नहीं मिल पा रही है।

ग्वालियर में सेना की जमीन पर अवैध बसाहट

ग्वालियर के मुरार कैंटोनमेंट में 21 एकड़ रक्षा भूमि पर अवैध बसाहट हो गई है। इस भूमि पर लंबे समय से विवाद चल रहा है। यहां करीब 55 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं। छावनी (Cantonment) क्षेत्र के इन वार्डों में सेना को बुनियादी सुविधाएं देने पर भारी खर्च आ रहा है।

एमपी की छावनी परिषदें

मध्य प्रदेश में कई प्रमुख छावनी परिषदें (Cantonment Boards) हैं, जैसे जबलपुर, महू, सागर, ग्वालियर, पचमढ़ी और मुरार। इन क्षेत्रों में सैन्य गतिविधियां होती हैं और इनका प्रशासन सेना द्वारा किया जाता है।

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