आकृति एक्वासिटी के होम बायर्स को 4 माह में मिलेंगे रुपए, जानें कैसे

आकृति एक्वासिटी कंज्यूमर एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी के सदस्य भानू यादव ने बताया सुप्रीम कोर्ट ने एक्वासिटी डेवलपर्स को होम बायर्स को चार महीने में ब्याज सहित राशि लौटाने का आदेश दिया है। आदेश का पालन न करने पर कार्रवाई की हिदायत दी है। मध्यप्रदेश

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Jitendra Shrivastava
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होम बायर्स को चार महीने में ब्याज सहित राशि लौटाने के आदेश।

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संजय शर्मा, BHOPAL. अपना आशियाना सजाने का सपना देखने वालों को ठगने वाले आकृति एक्वासिटी (Aakriti Aquacity) एजी-8 वेंचर्स के तीन डायरेक्टर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। घर खरीदने के लिए लाखों रुपए जमा करने के सालों बाद भी उन्हें पजेशन नहीं देने के मामले में चल रहे केस की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक्वासिटी डेवलपर्स को पूर्व में दिए आदेश यानी होम बायर्स को चार महीने में ब्याज सहित राशि लौटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने लोगों को तय समय पर घर बनाकर पजेशन नहीं देने वाले कॉलोनी डेवलपर्स को चार महीने में आदेश का पालन न करने पर कार्रवाई की हिदायत दी है। 

आकृति एक्वासिटी का ये था मामला

होम बायर्स ने अपने स्वयं के घर के सपने को पूरा करने के लिए आकृति एक्वासिटी के डेवलपर्स एजी-8 वेंचर्स को लाखों रुपए जमा कराए थे। प्रोजेक्ट के डायरेक्टर हेमंत सोनी और राजीव सोनी रुपए जमा करने के बाद समय बढ़ाते रहे, लेकिन जब तय समय बीतने पर भी घर नहीं मिला तो होम बायर्स ने शिकायत करना शुरू कर दिया। बार-बार शिकायत करने के बाद भी लोगों को घर नहीं मिला और कॉलोनी डेवलपर्स ने प्रोजेक्ट पर काम रोक दिया तो अपनी जमा पूंजी डूबने की आशंका से परेशान लोगों ने कोर्ट और रेरा (भू सम्पदा विनियामक प्राधिकरण) में शिकायत कर दी। 

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आकृति एक्वासिटी के डेवलपर्स ने ये चाल चली

कॉलोनी डेवलपर्स ने लोगों को रुपए लौटाने से बचने के लिए डीबी कॉर्प से मिलकर एनसीएलटी इंदौर में अपील की और किसी तरह खुद को दिवालिया घोषित करा लिया। एजी-8 वेंचर्स की इस अपील के खिलाफ रेरा और आकृति एक्वा सिटी कंजूमर एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी के सदस्यों ने अपील की जिले एनसीएलटी ने नहीं सुना। इसके विरोध में सोसाइटी और रेरा ने एनसीएलटी अपीलेट दिल्ली के समक्ष अपील की थी जहां सुनवाई के बाद अपीलेट ने हेमंत सोनी को डिफॉल्टर घोषित करने के आदेश को खारिज कर दिया। अपीलेट ने डीबी कॉर्प के उस दावे को भी सही नहीं पाया था जिसमें उसने विज्ञापन राशि के बदले में एजी-8 वेंचर्स द्वारा मकान बनाकर नहीं देने पर भरपाई मांगी थी। दोनों फर्म के बीच इस व्यावसायिक करार को भी अपीलेट ने राशि का लेनदेन नहीं माना था। 

सख्त रुख देख सुप्रीम कोर्ट पहुंचे डेवलपर

9 जनवरी को सुनवाई के दौरान आकृति एक्वासिटी का डायरेक्टर हेमंत सोनी और राजीव सोनी सुप्रीम कोर्ट नहीं पहुंचे थे। उनकी गैरहाजरी में उनके वकीलों ने पेश होकर पक्ष रखा तो कोर्ट ने दलील सुनने से मना कर दिया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 16 फरवरी की तारीख तय कर हेमंत सोनी को हाजिर रहना पाबंद किया था। सुप्रीम कोर्ट की इसी सख्ती का असर था की शुक्रवार को एजी-8 का कर्ताधर्ता हेमंत सोनी, राजीव सोनी के अलावा शौनक सुधीर पहले कोर्ट पहुंच गए थे। सुनवाई के दौरान तीनों ही वकीलों से इस मामले पर चर्चा करते रहे और कोर्ट के सामने पेश हुए। आकृति एक्वासिटी कंज्यूमर एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी के सदस्य भानू यादव ने बताया सुप्रीम कोर्ट ने एक्वासिटी डेवलपर्स को पूर्व में दिए आदेश यानी होम बायर्स को चार महीने में ब्याज सहित राशि लौटाने का आदेश दिया है। उन्हें रुपए वापस करने के बाद में इसके संबंध में कोर्ट को भी अवगत कराना होगा। यादव के अनुसार कई सालों तक कॉलोनी डेवलपर्स की मनमानी झेलने और लाखों रुपए डूबने की चिंता में परेशान रहे होम बायर्स इस आदेश के बाद अब राहत महसूस कर रहे हैं।

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