/sootr/media/media_files/2025/09/11/hukumchand-mill-2025-09-11-22-16-53.jpg)
Photograph: (THESOOTR)
INDORE. इंदौर की हुकमचंद मिल की हरियाली को संरक्षित रखने और इसे शहरी वन घोषित करने की मांग के साथ लगी जनहित याचिका खारिज हो गई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रख लिया था जिसे गुरुवार को जारी कर दिया गया। याचिका ओमप्रकाश जोशी व अन्य द्वारा लगाई गई थी।
हाईकोर्ट ने आदेश में यह लिखा
हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि इंदौर हुकमचंद मिल की भूमि वर्ष 1992 से बंद मिल की है और मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड द्वारा 421 करोड़ रुपए की राशि अदा कर इस भूमि का अधिग्रहण किया गया। इससे मिल मजदूरों तथा अन्य सभी बकाया का भुगतान किया जा चुका है। उस समय किसी भी याचिकाकर्ता ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं की थी और अब इतनी भारी राशि चुकाने के बाद हाउसिंग बोर्ड का विकास का अधिकार छीना नहीं जा सकता।
“सिटी फॉरेस्ट” जैसा कोई प्रावधान वन अधिनियम में नहीं है और राज्य शासन द्वारा पहले से ही इंदौर के कनाडिया क्षेत्र में एक लाख पौधे लगाकर सिटी फॉरेस्ट विकसित किया जा रहा है। साथ ही यह भी कहा गया कि हाउसिंग बोर्ड द्वारा जारी की गई ई-निविदा केवल झाड़ियों और झाड़-झंखाड़ हटाने हेतु है तथा उसमें कहीं भी पेड़ काटने जैसा कोई उल्लेख नहीं है।
ये खबर भी पढ़ें...
अब हुकमचंद मिल विकास में कोई रुकावट नहीं
इस पूरे प्रकरण में शासन का पक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी द्वारा रखा गया। इस आदेश से हुकुमचंद मिल प्रांगण के विकास का मार्ग पूरी तरह साफ हो गया है और अब इस संबंध में किसी भी प्रकार की बाधा शेष नहीं है।
याचिका में यह कहा गया था
यह याचिका अधविक्ता अभिनव धनोतकर के माध्यम से पर्यावरणविद् डॉ. ओमप्रकाश जोशी और सामाजिक कार्यकर्ता अजय लागू द्वारा लगाई गई है। इसमें मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन, प्रमुख सचिव आवास, हाउसिंग बोर्ड, संभागायुक्त इंदौर, कलेक्टर, नगर निगम मप्र प्रदूषण बोर्ड को पार्टी बनाया गया।
ये खबर भी पढ़ें...
इंदौर के गैंगस्टर सलमान लाला के लिए रील बनाने वाले एक्टर एजाज खान ने FIR के बाद मांगी माफी
याचिका में यह कहा गया था कि
हुकुमचंद मिल की 42 एकड़ भूमि पर पनपे प्राकृतिक जंगल को बचाने के लिए दो वरिष्ठ नागरिकों ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा है कि इस क्षेत्र में लगभग 25,000 से 30,000 पेड़ पिछले तीन दशकों में प्राकृतिक रूप से विकसित हुए हैं, जिन्हें अब काटकर व्यावसायिक और आवासीय टावर बनाने की योजना बनाई गई है।
हुकुमचंद मिल 1992 में बंद होने के बाद से परित्यक्त पड़ी थी। 30 वर्षों में यह भूमि एक घने वन में बदल गई, जहां विभिन्न प्रकार के पेड़, पक्षी और जीव-जंतु आज निवास कर रहे हैं। इसे इंदौर का "लंग्स" यानी फेफड़ा कहा जा सकता है, जो प्रदूषण और बढ़ते तापमान के बीच शहर को ऑक्सीजन और ठंडक प्रदान करता है।
ये खबर भी पढ़ें...
यहां पर पेड़ काटकर होटल, मॉल बनेंगे
याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि मध्यप्रदेश हाउसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड ने इस भूमि को व्यावसायिक इस्तेमाल हेतु नीलाम करने और यहां मॉल, होटल और आवासीय टावर बनाने के लिए कई टेंडर और विज्ञापन जारी किए। इतना ही नहीं, 25 फरवरी 2025 को भोपाल में निवेशकों की बैठक भी आयोजित की गई।
याचिका में यह भी उल्लेख है कि नगर निगम के उद्यान विभाग ने स्पष्ट किया है कि पेड़ काटने के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई है। इसके बावजूद, बिना अनुमति के जंगल उजाड़ने की कार्रवाई शुरू की गई।
ये खबर भी पढ़ें...
MP Top News : मध्य प्रदेश की बड़ी खबरें
याचिका में थी वन संरक्षित करने की मांग
याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि–इस क्षेत्र को संरक्षित शहरी वन घोषित किया जाए। पेड़ों की कटाई और जंगल की तबाही पर तुरंत रोक लगाई जाए और विकास कार्य केवल पर्यावरणीय मंजूरी और वृक्ष संरक्षण उपायों के बाद ही किए जाएं।
याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि इंदौर पहले से ही गंभीर वायु प्रदूषण और हीटवेव जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। यदि शहर के बीचोंबीच का यह एकमात्र बड़ा हरित क्षेत्र नष्ट हो गया, तो आने वाली पीढ़ियों को अपूरणीय क्षति होगी