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मप्र के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल इंदौर के एमवायएच में चूहों के कुतरने से हुई दो नवजातों की मौत के मामले में जिस बात की आशंका थी वही हुआ और राज्य सरकार ने पूर्व मंत्री के दामाद डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया के साथ ही अधीक्षक डॉ. अशोक यादव सभी बड़ों को बचा लिया। स्वास्थ्य आयुक्त तरूण राठी का इस पूरी कमेटी रिपोर्ट में भूमिका संदिग्ध है, क्योंकि वह जांच कमेटी के इंदौर में निरीक्षण के दौरान खुद मौजूद रहे और डीन, अधीक्षक के साथ ही लंच भी किया था। लेकिन अब इन सभी को एमपी हाईकोर्ट में जवाब देना होगा। असंवेदनशील रवैए से नाराज हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले में खुद संज्ञान लिया है और सभी पक्षकारों को नोटिस देकर स्टेटस रिपोर्ट तलब कर ली है। यह रिपोर्ट 15 सितंबर और इससे पहले पुटअप करना होगी।
ना गैर इरादतन हत्या माना, ना ही बड़ों पर कार्रवाई
जांच कमेटी ने पूरे मामले को गैर इरादतन हत्या से नहीं जोड़ा है। मामूली काम में लापरवाही मानते हुए तत्कालीन यूनिट इंचार्ज प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज जोशी को सस्पेंड किया है। अधीक्षक डॉ. यादव को छुट्टी लेने के मौखिक निर्देश हुए और वह मेडिकल लीव लेकर लंबी छुट्टी पर निकल लिए। उनकी जगह डॉ. बसंत निगवाल को अधीक्षक का प्रभार दिया है। उधर खानापूर्ति करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. ब्रजेश लाहोटी को पद से हटाकर उनकी जगह डॉ. अशोक लड़्डा को प्रभार दे दिया गया है।
पेस्ट कंट्रोल करने वाली और 1.65 करोड़ का मासिक ठेका पाई एजाइल कंपनी को पहले डीन ने एक लाख का जुर्माना लगाया था और अब कमेटी ने कमी बताते हुए टेंडर रद्द करने की अनुशंसा कर दी है। गौरतलब है कि वैसे भी यह पेटी कॉन्ट्रैक्ट की कंपनी है, मूल ठेका तो एचएलएल का है। वहीं एजाइल से भी केवल पेस्ट कंट्रोल का काम ही वापस लिया जाएगा, जो मासिक 1-2 लाख रुपए का है, बाकी साफ-सफाई व अन्य कामों का मासिक ठेका तो एक करोड़ से ज्यादा का है, उस पर कोई आंच नहीं आएगी।
ये लोग थे जांच कमेटी में, आयुक्त ने साथ में लंच किया
इस मामले की जांच के लिए राज्य स्तर पर जांच कमेटी बनाई गई थी। उसमें आयुष्मान भारत के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी डॉ. योगेश भरसत प्रमुख थे। गांधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. धीरज श्रीवास्तव, डॉ. राजेश टिक्कस और लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा निदेशालय के उप निदेशक डॉ. वैभव जैन शामिल हैं। लेकिन जब जांच कमेटी इंदौर में दौरे पर आई तो आयुक्त राठी भी पूरे समय मौजूद रहे। डीन, अधीक्षक से पूछताछ व अन्य स्टाफ से सवाल-जवाब भी कमेटी ने राठी के सामने ही किए। बाद में आयुक्त और कमेटी के सदस्यों ने डीन, अधीक्षक के साथ लंच किया।
कमेटी ने पूरी कोशिश की कोई बड़ा नहीं उलझे
इस पूरे मामले में आयुक्त राठी और जांच कमेटी ने भरपूर जोर लगाया है कि किसी भी बड़े पर कोई आंच नहीं आए और खासकर पूर्व मंत्री के दामाद डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया को लेकर कोई भी टिप्पणी कमेटी की रिपोर्ट में नहीं हो। वही हुआ और इसमें डीन को पूरी क्लीन चिट मिल गई। अधीक्षक को छुट्टी पर भेजा और लाहोटी से केवल विभाग प्रमुख का पद ले लिया गया। किसी भी तरह से इसे गैर इरादतन हत्या नहीं माना गया। हां रिपोर्ट से सही जांच की जरूर हत्या कर दी गई।
इंदौर के MYH में नवजातों को चूहों द्वारा कुतरने पर MGM डीन के बाद HOD का शर्मनाक बयान
यह कहा था राहुल गांधी ने
इसके पहले लोकसभा प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया था कि- इंदौर में मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में दो नवजात शिशुओं की चूहों के काटने से मौत - यह कोई दुर्घटना नहीं, यह सीधी-सीधी हत्या है। यह घटना इतनी भयावह, अमानवीय और असंवेदनशील है कि इसे सुनकर भी रूह कांप जाए। एक मां की गोद से उसका बच्चा छिन गया, सिर्फ इसलिए क्योंकि सरकार ने अपनी सबसे बुनियादी जिम्मेदारी नहीं निभाई। हेल्थ सेक्टर को जानबूझकर प्राइवेट हाथों में सौंपा गया - जहां इलाज अब सिर्फ अमीरों के लिए रह गया है, और गरीबों के लिए सरकारी अस्पताल अब जीवनदायी नहीं, मौत के अड्डे बन चुके हैं।
प्रशासन हर बार की तरह कहता है - “जांच होगी” - लेकिन सवाल यह है - जब आप नवजात बच्चों की सुरक्षा तक नहीं कर सकते, तो सरकार चलाने का क्या हक़ है? पीएम मोदी और एमपी के मुख्यमंत्री को शर्म से सिर झुका लेना चाहिए। आपकी सरकार ने देश के करोड़ों गरीबों से स्वास्थ्य का अधिकार छीन लिया है - और अब मां की गोद से बच्चे तक छिनने लगा है। मोदी जी, यह आवाज़ उन लाखों मां-बाप की तरफ से उठ रही है जो आज सरकारी लापरवाही का शिकार हो रहे हैं। क्या जवाब देंगे? हम चुप नहीं रहेंगे। ये लड़ाई हर गरीब, हर परिवार, हर बच्चे के हक की है।
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अस्पताल अधीक्षक इस तरह गए लंबी छुट्टी पर
एमवायएच अस्पताल अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने 10 सितंबर को मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया को चिट्ठी लेकर लंबी मेडिकल लीव ले ली है। उन्होंने आवेदन में लिखा है कि मेरा स्वास्थ्य अत्यंत खराब होने के चलते मैं कार्य कर पाने में असमर्थ हूं। डॉक्टर द्वारा मुझे 15 दिन का आराम करने की सलाह दी गई है। इसलिए मैं 11 सितंबर से करीब 15 दिन तक विभागीय कार्य करने में असमर्थ हूं। मेरी अनुपस्थिति में संयुक्त संचालक व अधीक्षक के कामों का निर्वहन डॉ. बसंत निगवाल प्राध्यापक निश्चेतना विभाग, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का विभागीय काम डॉ. सुमित सिंह व ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग का काम डॉ. रामू ठाकुर संपादित करेंगे।
खुद को बचाने में डीन ने यह की थी पहले कार्रवाई
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एमवायएच प्रबंधन | चूहों ने दो नवजातों के हाथ कुतर दिए