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मध्यप्रदेश के सबसे बड़े सरकारी एमवाय अस्पताल में चूहों के कुतरने (सही मायने में खाने) से हुई दो नवजातों की मौत के मामले में हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। इस मामले में जहां सरकार को संवेदनशील होना था और सख्त कार्रवाई करना थी, वहां अब यह मामला हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान में लिया है।
इस मामले में अब इंदौर हाईकोर्ट का लिखित आदेश आ गया है। अगली तारीख 15 सितंबर लगाई गई है। उधर जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दे ने कहा कि जयस जनआक्रोस आंदोलन करेगा क्योंकि सरकार ने किसी बड़े पर कोई कार्रवाई नहीं की।
हाईकोर्ट बेंच ने लिखा चूहों ने खा लिया
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस जयकुमार पिल्लई ने आदेश में लिखा है कि- चौंकाने वाली घटना हमारे संज्ञान में आई है, जिस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर करना आवश्यक है। इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंत राव चिकित्सालय में चूहे के काटने से दो नवजात शिशुओं की मृत्यु हो गई। 31.8.2025 और 01.09.2025 की मध्य रात्रि को, इंदौर के एम.वाय. चिकित्सालय के आईसीयू में भर्ती दो शिशुओं को चूहों ने खा लिया और बाद में उनकी मृत्यु हो गई।
यह अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही
आदेश में आगे लिखा गया है कि- प्रथम दृष्टया, यह इंदौर के महाराजा यशवंत राव अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही प्रतीत होती है। इसमें किसी भी अधिकारी, डॉक्टर या कर्मचारी आदि के विरुद्ध कोई कार्रवाई किए जाने की कोई सूचना नहीं है। शिशुओं में से एक के माता-पिता धार के आदिवासी परिवार से हैं।
इन सभी को नोटिस, मांगी पीएम रिपोर्ट
हाईकोर्ट ने आदेश में लिखा है कि निम्नलिखित सरकारी अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करें:-
- प्रमुख सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, मध्य प्रदेश
- इंदौर संभाग के आयुक्त।
- इंदौर कलेक्टर।
- पुलिस आयुक्त, इंदौर।
- एम.वाय. अस्पताल, इंदौर के डीन।
पीएम रिपोर्ट के साथ दें जवाब
हाईकोर्ट ने आदेश में लिखा कि अतिरिक्त महाधिवक्ता सोनल गुप्ता को निर्देश दिया जाता है कि वे नोटिस स्वीकार करें और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति के साथ इस न्यायालय के समक्ष जवाब प्रस्तुत करें। वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष माथुर इस मामले में न्यायालय की सहायता करने की अनुमति चाहते हैं, जो एतद्द्वारा प्रदान की जाती है। हम इस मामले में माथुर को न्यायमित्र नियुक्त करते हैं। कीर्ति पटवर्धन एडवोकेट को वरिष्ठ अधिवक्ता पीयूष माथुर की सहायता के लिए नियुक्त किया गया है। इसे 15 सितंबर को सूचीबद्ध किया जाता है।
अब कैसे दामाद डीन को बचाओगे सरकार
राज्य सरकार ने इस गंभीर घटना में भी पूर्व मंत्री के दामाद डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया के साथ ही अधीक्षक डॉ. अशोक यादव सभी बड़ों को बचा लिया। स्वास्थ्य आयुक्त तरूण राठी का इस पूरी कमेटी रिपोर्ट में भूमिका संदिग्ध है, क्योंकि वह जांच कमेटी के इंदौर में निरीक्षण के दौरान खुद मौजूद रहे और डीन, अधीक्षक के साथ ही लंच भी किया था।
ना गैर इरातदन हत्या माना, ना ही बड़ों पर कार्रवाई
जांच कमेटी ने पूरे मामले को गैर इरादतन हत्या से नहीं जोड़ा है। मामूली काम में लापरवाही मानते हुए तत्कालीन यूनिट इंचार्ज प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज जोशी को सस्पेंड किया है। अधीक्षक डॉ. यादव को छुट्टी लेने के मौखिक निर्देश हुए और वह मेडिकल लीव लेकर लंबी छुट्टी पर निकल लिए। उनकी जगह डॉ. बसंत निगवाल को अधीक्षक का प्रभार दिया है। उधर खानापूर्ति करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. ब्रजेश लाहोटी को पद से हटाकर उनकी जगह डॉ. अशोक लड़्डा को प्रभार दे दिया गया है।
पेस्ट कंट्रोल करने वाली और 1.65 करोड़ का मासिक ठेका पाई एजाइल कंपनी को पहले डीन ने एक लाख का जुर्माना लगाया था और अब कमेटी ने कमी बाते हुए टेंडर रद्द करने की अनुशंसा कर दी है। गौरतलब है कि वैसे भी यह पेटी कांट्रेक्ट की कंपनी है मूल ठेका तो एचएलएल का है। वहीं एजाइल से भी केवल पेस्ट कंट्रोल का काम ही वापस लिया जाएगा, जो मासिक 1-2 लाख रुपए का है, बाकी साफ-सफाई व अन्य कामों का मासिक ठेका तो एक करोड़ से ज्यादा का है, उस पर कोई आंच नहीं आएगी।
डीन के साथ आय़ुक्त ने लंच किया
इस मामले की जांच के लिए राज्य स्तर पर जांच कमेटी बनाई गई थी। उसमें आयुष्मान भारत के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी डॉ. योगेश भरसत प्रमुख थे। गांधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. धीरज श्रीवास्तव, डॉ. राजेश टिक्कस और लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा निदेशालय के उप निदेशक डॉ. वैभव जैन शामिल हैं। लेकिन जब जांच कमेटी इंदौर में दौरे पर आई तो आयुक्त राठी भी पूरे समय मौजूद रहे। डीन, अधीक्षक से पूछताछ व अन्य स्टाफ से सवाल-जवाब भी कमेटी ने राठी के सामने ही किए। बाद में आयुक्त और कमेटी के सदस्यों ने डीन, अधीक्षक के साथ लंच किया।
कमेटी ने पूरी कोशिश की कोई बड़ा नहीं उलझे
इस पूरे मामले में आयुक्त राठी और जांच कमेटी ने भरपूर जोर लगाया है कि किसी भी बड़े पर कोई आंच नहीं आए और खासकर पूर्व मंत्री के दामाद डीन डॉ, अरविंद घनघोरिया को लेकर कोई भी टिप्पणी कमेटी की रिपोर्ट में नहीं हो। वही हुआ और इसमें डीन को पूरी क्लीन चिट मिल गई। अधीक्षक को छुट्टी पर भेजा और लाहोटी से केवल विभाग प्रमुख का पद ले लिया गया। किसी भी तरह से इसे गैर इरादतन हत्या नहीं माना गया। हां रिपोर्ट से सही जांच की जरूर हत्या कर दी गई।
यह कहा था राहुल गांधी ने
इसके पहले लोकसभा प्रतिपक्ष नेता राहुल गांधी ने टिव्ट किया था कि- इंदौर में मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में दो नवजात शिशुओं की चूहों के काटने से मौत - यह कोई दुर्घटना नहीं, यह सीधी-सीधी हत्या है। यह घटना इतनी भयावह, अमानवीय और असंवेदनशील है कि इसे सुनकर भी रूह कांप जाए।
अस्पताल अधीक्षक इस तरह गए लंबी छुट्टी पर
एमवाय अस्पताल अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने 10 सितंबर को मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया को चिट्ठी लेकर लंबी मेडिकल लीव ले ली है। उन्होंने आवेदन में लिखा है कि मेरा स्वास्थ्य अत्यंत खराब होने के चलते मैं कार्य कर पाने में असमर्थ हूं।
डॉक्टर द्वारा मुझे 15 दिन का आराम करने की सलाह दी गई है। इशलिए मैं 11 सितंबर से करीब 15 दिन तक विभागीय कार्य करने में असमर्थ हूं। मेरी अनुपस्थिति में संयुक्त संचालक व अधीक्षक के कामों का निर्वहन डॉ. बसंत निगवाल प्राध्यापक निश्चेतना विभाग, सुपर स्पेशलिएटी अस्पताल का विभागीय काम डॉ. सुमित सिंह व ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग का काम डॉ. रामू ठाकुर संपादित करेंगे।
खुदको बचाने में डीन ने यह की थी पहले कार्रवाई
- डॉ. ब्रजेश लाहोटी विभागाध्यक्ष, पीडीयाट्रिक सर्जरी विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
- डॉ. मुकेश जायसवाल, सहायक अधीक्षक एवं भवन प्रभारी को निलंबित किया गया।
- मारग्रेट जोजफ, नर्सिंग सुपरिटेंडेंट को हटाया।
- आकांक्षी बेंजामिन, नर्सिंग ऑफिसर को सस्पेंड किया।
- श्वेता चौहान नर्सिंग ऑफिसर को सस्पेंड किया।
- कलावती बलावी सहायक प्रभारी नर्सिंग ऑफिसर (NICU) को शोकाज नोटिस दिया।
- प्रवीणा सिंह प्रभारी नर्सिंग ऑफिसर (PICU) को निलंबित किया गया।
- डॉ. मनोज जोशी प्रभारी व प्राध्यापक (पीडियाट्रिक सर्जिकल) को शोकाज नोटिस दिया।
- एजाइल कंपनी पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
जयस करेगा जनआक्रोश आंदोलन
इस मामले में जयस ने मोर्चा खोल दिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दे ने कहा कि - एम.वाय. अस्पताल, इंदौर में चूहा कांड जैसी गंभीर व दर्दनाक घटना ने पूरे समाज को झकझोर दिया है। मासूम बच्चियों की मौत के जिम्मेदार अधिकारियों पर अब तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं की गई है।
यह अन्याय केवल एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे समाज का घाव है। इसी संबंध में जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) द्वारा मासूम बच्चियों को न्याय दिलाने और सरकार व प्रशासन की लापरवाही को उजागर करने हेतु प्रेस वार्ता आयोजित की जा रही है। इस प्रेस वार्ता में जयस “ जनआक्रोश आंदोलन” की तारीख की घोषणा करेगा।
डॉ. जोशी के सस्पेंड का एमटीए ने किया विरोध
उधर मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (एमटीए) इंदौर ब्रांच ने इस मामले में पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. मनोज जोशी को सस्पेंड किए जाने का विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने इस संबंध में डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला को पत्र लिखा है और कहा है कि एमवाय का चूहकांड दुखद घटना है।
इसे गंभीर प्रशासकीय लापरवाही मानते हुए अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हैं।ल लेकिन यह प्रशासकीय, तकनीकी और प्रबंधन की विफलता है और इसके लिए डॉ. जोशी को निलंबित किए जाने का कड़े शब्दों में विरोध करते हैं।
एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राहुल रोकड़े व सचिव डॉ. अशोक ठाकुर ने आगे कहा कि अस्पताल के रिनोवेशन, मेंटनेंस, चूहों के नियंत्रण में हमारे डॉक्टर की कोई भूमिका नहीं होती है। इसलिए डॉ. जोशी के निलंबन का कड़ा विरोध करते हैं।