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विवादों में घिरे आईएएस अफसर और अजाक्स के अध्यक्ष संतोष वर्मा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सोशल मीडिया पर उनका एक और वीडियो वायरल हो रहा है।
वीडियो में वे सीधे हाईकोर्ट पर गंभीर आरोप लगाते दिख रहे हैं। ब्राह्मण बेटियों पर दिए बयान से मचे हंगामे के बाद अब उनका नया बयान पूरे प्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
एक सभा में बोलते हुए वर्मा ने कहा कि एसटी वर्ग (Scheduled Tribes) के बच्चों को सिविल जज बनने नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने इसके लिए हाईकोर्ट को जिम्मेदार ठहराया है।
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अब क्या कह दिया आईएएस वर्मा ने ?
एक कार्यक्रम के दौरान वर्मा ने कहा कि एसटी वर्ग के बच्चों को सिविल जज कोई और नहीं, बल्कि हाईकोर्ट नहीं बनने दे रहा है। वर्मा ने आगे कहा कि यह वही हाईकोर्ट है, जिससे हम बाबा साहब के संविधान के हिसाब से चलने की गारंटी मांगते हैं।
आग में और डल गया घी, सीएम हाउस घेराव की तैयारी
उनके इस बयान के बाद माहौल और गरमा गया है। यह वीडियो अजाक्स के सम्मेलन का था। पहले से ही ब्राह्मण समाज और सवर्ण संगठनों का विरोध झेल रहे वर्मा के खिलाफ अब दबाव और बढ़ गया है।
कई संगठनों का आरोप है कि वर्मा अफसर होने के बावजूद संवैधानिक मर्यादा तोड़ रहे हैं। सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही।
इसके चलते सवर्ण समाज ने 14 दिसंबर को मुख्यमंत्री निवास (सीएम हाउस) घेराव की तैयारी शुरू कर दी है। कहा जा रहा है कि इस रणनीति पर आज (गुरुवार) भोपाल में बैठक होगी, जिसमें आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।
यहीं नहीं रुके वर्मा
अजाक्स सम्मेलन में आईएएस वर्मा ने कहा था कि आपको पता है कि हाल ही में जो एग्जाम हुए हैं, उसमें एससी-एसटी के लोग सिलेक्ट नहीं हुए।
उन्हें योग्य उम्मीदवार नहीं मिले। हमारे समाज का व्यक्ति आईएएस, आईपीएस, राज्य प्रशासनिक सेवा से डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी बन सकता है, लेकिन सिविल जज नहीं बन सकता।
वह आगे कहते हैं कि क्यों नहीं बन सकता सिविल जज? आखिर ऐसी क्या पात्रता है, जो हमारे समाज का व्यक्ति सिविल जज नहीं बन सकता है?
हमारा बेटा, हमारा बच्चा, हमारे समाज का व्यक्ति क्लैट क्लियर करने के बाद एलएलबी, एलएलएम करता है, फिर एग्जाम देकर बड़ी सर्विसेस में सिलेक्ट हो जाता है।
उसके पासिंग मार्क्स 75 प्रतिशत से ऊपर होते हैं, तो फिर सिविल जज की कौन सी ऐसी परीक्षा होती है, जिसमें हमारा बच्चा 50 प्रतिशत भी नहीं ला सकता?
खड़े किए गंभीर सवाल
वर्मा (ias santosh verma ka vivadit bayan) यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि आपने कट-ऑफ मार्क्स 50 प्रतिशत रख दिया है। फिर आपने तय कर लिया कि किसी को 49.95 नंबर ही देना है, 50 नंबर नहीं देना है।
इंटरव्यू में भी 20 नंबर नहीं देना है, उसे 19.5 नंबर देना है। तो फिर कौन सिविल जज बना देगा हमारे बच्चों को? यह कौन सा आरक्षण है, कौन सा नियम है? यह कौन कर रहा है? यह हमारा हाईकोर्ट कर रहा है, जिससे हम न्याय की उम्मीद करते हैं, जिससे हम बाबा साहब के संविधान के हिसाब से चलने की गारंटी मांगते हैं। यह वही हो रहा है।
न्यायपालिका से हमारे बच्चों का बीज समाप्त किया जा रहा
वह आगे कहते हैं कि मेरा आपको सिर्फ यह कहना है कि जिस तरह से न्यायपालिका से हमारे बच्चों का बीज समाप्त किया जा रहा है... बीज समझते हो न आप? जब हमारा बेटा सिविल जज बनेगा, तभी तो हाईकोर्ट का जज बनेगा। अगर हमारा बीज ही खत्म कर दिया गया, तो फिर न्याय की उम्मीद किससे करेंगे? इसलिए मैं कह रहा था कि यह हमारी आखिरी पीढ़ी है। इससे लड़ने का दायित्व हमारा है, हम ही इससे लड़ सकते हैं।
ब्राह्मण बेटी वाले बयान से आए थे चर्चा में
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अजाक्स (Ajjaks Madhya Pradesh) संगठन के प्रांतीय अधिवेशन के दौरान IAS अफसर संतोष वर्मा (ias santosh verma bayan) को संगठन का नया प्रांताध्यक्ष चुना गया था।
इस दौरान अपने भाषण में संतोष वर्मा ( IAS संतोष वर्मा विवादित बयान) ने कहा था कि,जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं देता या उससे संबंध नहीं बनता, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।
अजाक्स अध्यक्ष संतोष वर्मा यह भी कहा कि समाज में आरक्षण (Reservation ) तब तक रहेगा, जब तक रोटी-बेटी का व्यवहार समान नहीं होता।
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