देश के जाने-माने संस्थान IIM इंदौर की भर्ती प्रक्रिया कटघरे में आ गई है। इस भर्ती के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हो गई है। आईआईएम की जनरल ड्यूटी असिस्टेंट पद की परीक्षा है, जो विवादों में आई है। इसमें 6 पद निकले थे और यह केंद्र की नियुक्ति होने के साथ ही 50 हजार रुपए प्रति माह के वेतन की भी है। विवाद इसी को लेकर हुआ है।
यह है विवाद
इंदौर के हेमंत चौहान ने भी इसके लिए भर्ती परीक्षा पास की, फिर इंटरव्यू दिया लेकिन अंतिम चयन में उनका नाम नहीं था। चौहान ने बताया कि जब रिजल्ट आया तो वो चौंक गए थे। इस परीक्षा में कुल 400 लोग बैठे थे, लिखित परीक्षा के बाद 123 लोग शॉर्टलिस्ट हुए और आखिरी इंटरव्यू 19 ने दिया था लेकिन जब 6 चुने गए लोगों की लिस्ट बाहर आई तो इसमें वही लोग थे जो पहले से ही आईआईएम में अस्थाई नौकरी में काम कर रहे थे। इस भर्ती परीक्षा को गलत बताते हुए चौहान ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।
क्या 400 में बाहर का कोई योग्य नहीं था
चौहान के अधिवक्ता अमन मालवीय ने याचिका में सवाल उठाया है कि क्या 400 लोग जो परीक्षा देने बैठे थे इसमे से 6 पदों के लिए एक भी योग्य व्यक्ति नहीं था जो आईआईएम के बाहर का हो। सभी 6 के 6 आईआईएम में ही नौकरी करने वाले ही क्यों सिलेक्ट किए गए। वहीं चौहान कहते हैं कि इससे यह दिखता है कि आईआईएम इंदौर मैनेजमेंट ने केवल दिखावे के लिए यह भर्ती प्रक्रिया की, क्योंकि उन्हें अपने लोगों को नियुक्ति देना थी।
इंटरव्यू के कारण भी शंका
चौहान ने बताया- जब 19 के आखिरी राउंड के इंटरव्यू थे, तब बताया गया था कि तीन विशेषज्ञों का पैनल होगा। इसमें 20 दिसंबर 2024 को इंटरव्यू हुआ। इंटरव्यू पैनल में 3 लोग थे, दो आईआईएम से और एक आईआईटी से। लेकिन जब मैंने इंटरव्यू दिया तो केवल एक ही व्यक्ति वहां मौजूद था और वह प्रशासनिक अधिकारी था। उन्होंने इंटरव्यू जैसा कुछ नहीं किया बस मेरे बारे में व्यक्तिगत जानकारी पूछी और खत्म कर दिया।
सही हुई है पूरी प्रक्रिया
वहीं आईआईएम डायरेक्टर डॉ. हिमांशु राय ने कहा कि पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष तरीके से हुई है और बेस्ट को ही चुना गया है। इसमें कोई गलती नहीं है।
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