कोरोना से बचाव का दावा फेल : जरूरी किट ही नहीं, स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से हुआ खुलासा

प्रदेश में कोरोना के मामलों में अचानक बढ़ोतरी के बाद, सरकार ने तैयारियों का दावा किया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट ने असल स्थिति को उजागर किया है। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला के अनुसार, सरकार ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है।

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Reena Sharma Vijayvargiya
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कोरोना वायरस के मामलों में अचानक बढ़ोतरी के बाद, मध्य प्रदेश सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए तैयारियों का दावा किया था। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला का कहना है कि सरकार की तैयारी पूरी है और जरूरी संसाधन उपलब्ध हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट इसके विपरीत नजर आती है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए आवश्यक बुनियादी सामग्री की भारी कमी सामने आ रही है।

कोरोना जांच के लिए सामग्री की कमी

प्रदेश में कोरोना टेस्टिंग के लिए आरटी-पीसीआर किट की भारी कमी देखी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, भोपाल में केवल 5000 आरटी-पीसीआर किट मौजूद हैं, लेकिन ये अस्पतालों तक नहीं पहुंच पाई हैं। 3 जून को प्रदेश के सभी जिलों में 50,100 आरटी-पीसीआर किट भेजी गईं, लेकिन यह आपूर्ति जरूरत के मुकाबले बहुत कम है।

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सामान्य दवाइयों की कमी भी गंभीर

इसके अलावा, कई जिलों में पैरासिटामॉल, एजिथ्रोमाइसिन और अन्य सामान्य दवाइयां भी खत्म हो चुकी हैं। आगर से लेकर विदिशा तक 43 जिलों में फेस शील्ड और एन-95 मास्क नहीं हैं। पीपीई किट, सैनिटाइजर, और आरटी-पीसीआर किट जैसी बुनियादी चीजों का स्टॉक भी 30 जिलों में शून्य हो चुका है।

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जरूरी चीजों की कमी और स्थिति का गंभीर होना

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स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 40 जिलों में वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम खत्म हो चुका है, और सिर्फ एक जिले में आरटी-पीसीआर किट मौजूद हैं। रैपिड एंटीजन टेस्ट किट किसी भी जिले में उपलब्ध नहीं हैं। इस स्थिति को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक परीक्षण और उपचार सामग्री का प्रबंधन नहीं किया गया है।

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चिंताजनक स्थिति वाले जिलों की सूची

कुछ जिलों में स्थिति और भी चिंताजनक है। जैसे कि धार और भिंड में सिर्फ 10-10 टैबलेट एजिथ्रोमाइसिन बची हैं और उज्जैन में केवल 100 टैबलेट ही उपलब्ध हैं। कई जिलों में डिस्पोजेबल ग्लव्स, सर्जिकल मास्क, सिरिंज और सैनिटाइजर तक उपलब्ध नहीं हैं। इस सबका मतलब है कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जरूरी बुनियादी चिकित्सा सामग्री की भारी कमी है, जो कि महामारी से निपटने के लिए खतरनाक हो सकता है।

कमी की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव

स्वास्थ्य विभाग ने इन सभी जरूरी चीजों के लिए न्यूनतम स्टॉक तय किया है, लेकिन कई जिलों में यह स्टॉक शून्य हो चुका है। इस कमी से न केवल स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर दबाव बढ़ेगा, बल्कि आम जनता के लिए भी संक्रमण से बचाव की संभावना घटेगी। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच, यह स्थिति सरकार और स्वास्थ्य विभाग की तत्परता पर सवाल उठाती है। अगर जल्दी ही इन जरूरी चीजों की आपूर्ति नहीं की जाती, तो कोरोना से निपटना और भी कठिन हो सकता है।

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यहां एन-95 मास्क ही नहीं 

आगर, अलीराजपुर, अनूपपुर, अशोकनगर, बालाघाट, भिंड, भोपाल, छतरपुर, छिंदवाड़ा, दमोह, देवास, धार, डिंडोरी, ग्वालियर, हरदा, इंदौर, झाबुआ, कटनी, खंडवा, खरगोन, मंडला, मंदसौर, मुरैना, सागर, सतना, सिवनी, शहडोल, शाजापुर, श्योपुर, शिवपुरी, सिंगरौली, टीकमगढ़, उज्जैन, उमरिया और विदिशा में फेस शील्ड नरसिंहपुर, नीमच, पन्ना, रायसेन, राजगढ़, रतलाम, रीवा में मास्क भी नहीं है।

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