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राहुल दवे @ INDORE. इंदौर जिले के मूसाखेड़ी की 25 करोड़ की सरकारी जमीन पर दस महीने बाद फिर से अतिक्रमण हो गया है। जिला प्रशासन ने बीते वर्ष दिसंबर माह में बड़ी कार्रवाई कर कब्जा हटाया था। हैरानी की बात तो ये है कि पक्के निर्माण, बिना किसी अनुमति, बिना कोई नक्शा पास हुए फिर से खड़े हो गए हैं।
हालत ये है कि पहले कच्ची दुकानें थीं। अब बाकायदा शोरूम तान दिए गए हैं। इतना ही नहीं ग्रीन नेट की आड़ में चोरी छिपे, रात-दिन धड़ल्ले से अतिक्रमण हो रहा है और प्रशासन खामोश है। सवाल यह है कि जिस जमीन को खाली कराने के लिए तीन विभागों ने ताकत झोंक दी थी। वहां दोबारा कब्जा होने पर अब कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? क्या भूमाफियाओं के सामने प्रशासन ने आंखें मूंद ली हैं?
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45 हजार वर्गफीट जमीन हुई थी खाली
10 दिसंबर 2024 को नगर निगम और जिला प्रशासन ने संयुक्त कार्रवाई की थी। मूसाखेड़ी क्षेत्र के खसरा नंबर 132 की 45 हजार वर्गफीट शासकीय भूमि अतिक्रमण मुक्त की गई। कार्रवाई में 57 दुकानें, गुमटियां और ठेले हटाए गए। कलेक्टर और नगर निगम ने कार्रवाई की जानकारी ऑफिशियल साइड पर पोस्ट की थी।
मूसाखेड़ी मेन रोड की यह जमीन नगर निगम के जोन नंबर 18 में आती है। उस समय अफसरों का दावा था कि अतिक्रमण हटने से ट्रैफिक जाम की समस्या खत्म होगी और रास्ता सुचारू रहेगा।
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दस महीने में फिर जम गया कब्जा
अब अक्टूबर 2025 में, वही जमीन फिर से कब्जाधारियों के कब्जे में है। अवैध निर्माण दोबारा खड़े हो चुके हैं। ना कोई निरीक्षण, ना नोटिस, ना कार्रवाई, सब कुछ खामोशी में दफन है। सवाल उठता है कि इतनी बड़ी कार्रवाई के बाद क्या प्रशासन ने निगरानी नहीं की?
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अतिक्रमण के कारण ट्रैफिक जाम की समस्या
इस कार्रवाई के निर्देश तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह ने दिए थे। उस वक्त एसडीएम घनश्याम धनगर ने बताया था कि मूसाखेड़ी स्थित खसरा नंबर 132 पार्ट की 45 हजार वर्गफीट शासकीय भूमि पर दुकानों, मकानों और गुमटियों का अवैध कब्जा था। अतिक्रमण के कारण ट्रैफिक जाम की समस्या बनी रहती थी और रहवासी लगातार शिकायतें कर रहे थे। इस पर जिला प्रशासन, नगर निगम और पुलिस की संयुक्त टीम ने अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाया था। लेकिन फिर से अतिक्रमण होने से हर दिन मुख्य सड़क पर जाम लगता है। बड़ी बड़ी बिल्डिंग बन रही है और इन सबसे अनजान अफसर आंख मूंदकर बैठे हुए है।
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दस महीने बाद फिर कब्जा क्यों?
जिस जमीन को खाली कराने में तीन विभागों की ताकत लगी थी, वहां दोबारा निर्माण कैसे हो गया? क्या प्रशासन ने सिर्फ एक फोटो ऑपरेशन किया था? या फिर सरकारी जमीनों पर कब्जा हटाना अब सिर्फ पब्लिसिटी ड्राइव बनकर रह गया है?
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क्या बोले नगर निगम आयुक्त
इस मामले को लेकर द सूत्र ने इंदौर नगर निगम आयुक्त आईएएस दिलीप कुमार यादव से सवाल किया। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि पूर्व में भी शासकीय भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया था। अभी फिर इस मामले में शिकायत सामने आई है। जल्द ही अतिक्रमण हटाने करवाई की जाएगी।
वहीं स्थानीय पार्षद मलखान सिंह कटारिया ने कहा कि वे खुद इस अतिक्रमण के खिलाफ हैं। पूर्व में भी उन्होंने शिकायत की थी और उसपर कार्रवाई भी हुई थी। अभी भी वे अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई के पक्ष में हैं। उनका कहना है कि वे खुद इस पूरे मामले से कमिश्नर को अवगत करा चुके हैं।
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