इंदौर के 71 करोड़ के आबकारी घोटाले में ED ने कोर्ट में पेश किया चालान

इंदौर के 71 करोड़ के आबकारी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट में चालान पेश किया। इस मामले में 70 करोड़ की संपत्तियों को अटैच किया गया है। ईडी की जांच में आरोपी ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई है।

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Sanjay Gupta
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ED Action in indore lequare scame

Photograph: (the sootr)

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INDORE. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), इंदौर की सक्रियता ने अपराधियों की नींदें उड़ा दी है। अब ईडी ने इंदौर में हुए 71 करोड़ के आबकारी घोटाले में स्पेशल कोर्ट इंदौर में मनी लाण्ड्रिंग के तहत चालान पेश कर दिया है। ईडी इस केस में 70 करोड़ के बाजार मूल्य की संपत्तियां अटैच कर चुकी है। 

रावजी बाजार में दर्ज केस पर हो रही जांच

इंदौर के रावजी पुलिस स्टेशन ने शराब ठेकेदारों के खिलाफ सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने के आरोप में दर्ज एफआईआर के आधार पर ईडी ने जांच शुरू की थी। आरोपी ठेकेदारों पर सरकारी चालानों में जालसाजी और हेरफेर करने का आरोप है।

इस केस में शराब ठेकेदारों के साथ ही अधिकारियों की भी मिलीभगत सामने आई थी। इसमें अधिकारियों की जांच भी विभाग स्तर पर जारी है। हालांकि ईडी ने अभी किसी भी अधिकारी को आरोपी नहीं बनाया है। 

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इंदौर आबकारी घोटाला में ED की कार्रवाई को ऐसे समझें 

  • प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 71 करोड़ रुपए के इंदौर में मनी लाण्ड्रिंग मामला में चालान कोर्ट में पेश किया।
  • जांच में शराब ठेकेदारों ने सरकारी चालानों में जालसाजी कर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुँचाया।
  • मुख्य आरोपी राजू दशवंत और अंश त्रिवेदी को गिरफ्तार कर लिया गया है, दोनों न्यायिक हिरासत में हैं।
  • ईडी ने 70 करोड़ रुपये के बाजार मूल्य वाली 28 अचल संपत्तियों को कुर्क किया है।
  • ठेकेदारों ने कम शुल्क पर अधिक शराब का स्टॉक जमा करने के लिए धोखाधड़ी की थी।

इस तरह किया गया पूरा घोटाला

आरोपी छोटी रकम के चालान तैयार करके बैंक में जमा करते थे। चालान के निर्धारित प्रारूप में "अंकों में रुपए" और "शब्दों में रुपए" लिखा होता था। रकम अंकों में भरी जाती थी, जबकि "शब्दों में रुपए" के लिए खाली जगह छोड़ी जाती थी।

रकम जमा करने के बाद, जमाकर्ता "अंकों में रुपए" की रकम में हेरफेर करके "शब्दों में रुपए" की खाली जगह में बढ़ी हुई रकम भर देते थे। इस तरह बढ़ाई गई रकम वाले चालानों की प्रतियां संबंधित देशी शराब गोदाम या विदेशी शराब के मामले में जिला उत्पाद शुल्क कार्यालय में जमा कर दी जाती थीं। 

देशी शराब गोदाम या इंदौर स्थित जिला उत्पाद शुल्क कार्यालय में अधिकारी को चालान प्रस्तुत कर दिया जाता था। रकम को शराब शुल्क/मूल लाइसेंस शुल्क/न्यूनतम गारंटी के रूप में जमा करके, एनओसी प्राप्त कर ली जाती थी। इस प्रकार, कम शुल्क चुकाने के बावजूद अधिक शराब का स्टॉक जमा कर लिया जाता था। इससे सरकारी खजाने को नुकसान होता था।

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ईडी की जांच में यह आया

पीएमएलए जांच में यह साबित हुआ कि राजू दशवंत, अंश त्रिवेदी और अन्य शराब ठेकेदारों ने जालसाजी, धोखाधड़ी से प्राप्त 49 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की। इससे पहले, ईडी ने इस मामले में मुख्य आरोपी राजू दशवंत और अंश त्रिवेदी को गिरफ्तार किया था।

दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। जांच के दौरान, ईडी इंदौर ने अस्थायी कुर्की आदेश जारी किया था। 21.18 करोड़ रुपए मूल्य की 28 अचल संपत्तियों (पीओसी) को कुर्क किया गया था। इन संपत्तियों का वर्तमान बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपए से अधिक है। आगे की जांच जारी है।

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