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MP News : इंदौर के कृषि महाविद्यालय में कॉलेज के स्टूडेंट्स और डीन के विवाद के बीच ही महिला प्रोफेसरों और छात्राओं को भी डीन द्वारा प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है। महिला प्रोफेसरों से जब द सूत्र से चर्चा की गई तो एक के बाद एक कई पहलू सामने आए और इसी दौरान महिला प्रोफेसरों व छात्राओं द्वारा महीनों पहले डीन के खिलाफ की गई कार्रवाई के लिखित प्रमाण भी सामने आए।
महिला प्रोफेसरों ने बताया, "डॉ. भरत सिंह से हमने कई बार किसी मामले को लेकर शिकायत की, लेकिन उन्होंने उस विषय को कभी गंभीरता से नहीं लिया। बल्कि उल्टा हमसे ही गलत तरीके से बात की और मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया।" डीन के खिलाफ जब कुलपति से शिकायत की तो वहां भी सुनवाई नहीं हुई। कुछ महिला प्रोफेसरों ने यह भी आरोप लगाए कि डीन डॉ. भरत सिंह ने बहुत बदतमीजी की और कुछ छात्राओं ने इसी वजह से परेशान होकर कॉलेज ही छोड़ दिया। इसी तरह कई शिकायत पत्र महीनों से फाइलों में कैद होकर पड़े हैं।
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अश्लील टिप्पणी जैसे मामले पर भी लापरवाही
कॉलेज की एक प्रोफेसर ने डीन पर आरोप लगाते हुए बताया: "फर्स्ट ईयर के कुछ छात्रों ने अश्लील टिप्पणियां लिखकर व्हाट्सएप पर मेरी फोटो वायरल कर दी थी। यह बात मुझे खुद डीन डॉ. भरत सिंह ने ही बताई थी। जब मैंने कार्रवाई कर उन स्टूडेंट्स का पता लगाने की अपील की, तो डीन ने लगातार लापरवाही बरती और आज तक इस पूरे मामले में बहुत से सवाल महज सवाल बनकर ही रह गए हैं।"
महिला प्रोफेसर ने बताया, "जब मेरे सामने यह मामला आया तब मैंने वह फोटो और टिप्पणी नहीं देखी थी, लेकिन तीन-चार दिन बाद जब मेरे सामने वे फोटो और टिप्पणी आईं, तो मैंने डीन से सख्त कार्रवाई करने को कहा। डीन बोले, 'आप परेशान मत होइए, हमने कमेटी को पूरा मामला जांच के लिए दे दिया है।' लेकिन कई दिनों तक कुछ नहीं हुआ। कुछ ही दिन बाद कभी डिसिप्लिनरी तो कभी आईसीसी कमेटी बदल दी गई।
"जब मैंने वीसी को पूरा मामला लिखित में दिया, तो डीन ने बैठक की और मनमानी तरीके से निर्णय ले लिया। दो ऐसे छात्रों पर कार्रवाई कर दी, जिनकी गलती थी ही नहीं। जब मैंने इस पर सवाल उठाया तो बोले - 'तुम इन सब चीजों में मत पड़ो।' मैंने कहा कि रातों-रात कमेटी बदल दी गई, डिसिप्लिनरी कमेटी चेंज कर दी गई, जबकि न तो मेरे बयान हुए, तो फिर कार्रवाई कैसे कर दी?"
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डीन बोले - मंत्रिमंडल की तरह कमेटी भी बदल गई
महिला प्रोफेसर ने कहा, "जब डीसी से मैंने कमेटी बदलने को लेकर सवाल किए, तो मुझे कहा गया - 'जैसे सरकार बदलते ही मंत्रिमंडल बदल जाता है, वैसे ही कमेटी बदल दी गई। मैंने कहा कि एकेडमिक रूल्स और यूजीसी की गाइडलाइन को फॉलो क्यों नहीं किया जा रहा है? यह कोई राजनीतिक अखाड़ा थोड़ी न है। नियमों के तहत कार्रवाई क्यों नहीं की गई? कमेटी के सदस्य कौन हैं और कैसे नियुक्त किए गए, यह भी नहीं देखा गया। प्रोफेसर ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच सीनियर को करनी चाहिए थी, लेकिन जांच जूनियर ने की, जो कि नियमों के विरुद्ध है। आज भी इस मामले में यह सवाल बना हुआ है कि आखिर डीन के पास वह फोटो कहां से आईं और आखिर अश्लील टिप्पणी किसने लिखी?
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इधर एक प्रोफेसर ने कहा - आज भी कार्रवाई का इंतजार
कॉलेज की ही एक अन्य प्रोफेसर के साथ साल 2023 में कॉलेज डीन डॉ. भरत सिंह ने अच्छा व्यवहार नहीं किया और उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। इस मामले की भी पूरी जांच हुई, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की और पूरा मामला जहां का तहां है।
"इसका इंतजार मैं आज तक कर रही हूं और कुछ दिन और देखने के बाद भी अगर कार्रवाई नहीं होती, तो मैं बड़े पैमाने पर शिकायत दर्ज कराऊंगी।"
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डीन पर छेड़छाड़ के भी लगे आरोप
जानकारी के मुताबिक, साल 2022 में एक छात्रा ने भी डीन डॉ. भरत सिंह के खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत की थी। उस वक्त भरत सिंह कॉलेज के प्रोफेसर थे और कुलपति एस.के. राव थे। इसके बाद राव का ट्रांसफर हो गया और अरविंद शुक्ला वाइस चांसलर बन गए। डीन डॉ. भरत सिंह को डीन की पोस्ट मिल गई, जबकि कॉलेज में करीब 42 सीनियर साइंटिस्ट और प्रोफेसर थे। नियमानुसार, इनमें से किसी को डीन का पद मिलना चाहिए था, लेकिन डॉ. भरत सिंह ने सांठगांठ से डीन का पद हासिल कर लिया।
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फिर एक प्रोफेसर के साथ दुर्व्यवहार
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एक अन्य महिला प्रोफेसर के साथ भी डीन डॉ. भरत सिंह ने दुर्व्यवहार किया और अभद्र भाषा का प्रयोग किया। नाम न बताने की शर्त पर जानकारी देते हुए महिला प्रोफेसर ने बताया, "जब मैंने डीन डॉ. के.एन. पाठक से इस मामले की शिकायत की, तो उन्होंने अन्य सीनियर महिला प्रोफेसर को जांच की जिम्मेदारी दी। जांच में डॉ. भरत दोषी पाए गए।"
इस पूरी जांच की रिपोर्ट कुलपति के समक्ष प्रस्तुत की गई, लेकिन इस मामले में भी जांच को दरकिनार कर दिया गया और कमेटी के मेंबर्स बदल दिए गए। ऐसे लोगों को कमेटी का सदस्य बना लिया गया जो प्रोविजन पीरियड में थे, जबकि नियमानुसार प्रोविजन पीरियड में रहने वालों को कमेटी में नहीं रखा जा सकता। यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया।
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शिकायतों के बावजूद साल 2022 में बन गए डीन
डॉ. भरत सिंह का जनवरी 2022 में इंदौर से मुरैना ट्रांसफर किया गया था। उस वक्त वे प्रोफेसर थे और छात्र-छात्राओं की तरफ से तत्कालीन कुलपति डॉ. एस.के. राव से शिकायत भी की गई थी कि वे गलत तरीके से छात्राओं से बात करते हैं। लेकिन उसी साल 2022 में ही डॉ. पंजाब सिंह की रिश्तेदारी का फायदा उठाकर वे पुनः इंदौर आ गए।
(महिला प्रोफेसरों की शिकायत को लेकर जब डीन डॉ. भरत सिंह से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने न तो फोन उठाया और न ही मैसेज का जवाब दिया।)