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इंदौर की कौन सी विधानसभा अयोध्या के नाम से जानी जाती है? इसका राजनीतिक जवाब सीधे तौर पर है इंदौर विधानसभा चार। वहीं अब अयोध्या का तमगा दूसरी विधानसभा की ओर जा रहा है। यह विधायक मालिनी गौड़ के लिए झटका है। यह तमगा किसी और ने नहीं बल्कि खुद सीएम डॉ. मोहन यादव ने दिया है।
सीएम ने विधायक मेंदोला की विधानसभा के लिए ये कहा
सीएम मोहन यादव ने 27 अक्टूबर को इंदौर में विविध विधानसभाओं में हुए सामाजिक समरसता कार्यक्रम में शिरकत की। इसी दौरान वह ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में विधानसभा दो के विधायक रमेश मेंदोला द्वारा हुए आयोजन में भी गए।
यहां उन्होंने कहा कि कहीं जीते ना जीतें लेकिन अयोध्या का रिकॉर्ड बढ़ता ही जाता है। जोरदार अभिनंदन करें, यह हमारे कार्यकर्ताओं की मेहनत है, हमारी विचारधारा की पुष्टि है। इंदौर जो करता है वह सबसे अच्छा करता है। सामाजिक समरसता कार्यक्रम के लिए विधायक रमेश मेंदोला और पूरे मंच को बधाई देता हूं।
इंदौर विधानसभा चार को क्यों मिला था अयोध्या का तमगा
इंदौर विधानसभा चार को अयोध्या का तमगा उस समय मिला जब अयोध्या में राम मंदिर को लेकर पूरा जोर था और बाबरी कांड हुआ था।
विधानसभा में बाम्बे बाजार व अन्य क्षेत्र के चलते तनाव का माहौल रहता था। इसी दौरान हिंदुत्व की राजनीति में लक्ष्मण सिंह गौड़ उभरे और साफ कहा कि बाम्बे बाजार व इनके क्षेत्र के वोट नहीं चाहिए।
उनकी राजनीति के चलते ही 1993 में उन्हें टिकट मिला और भारी वोट से इंदौर चार में बीजेपी जीती। इसी के बाद इंदौर चार को बीजेपी की अयोध्या कहा जाने लगा।
विधानसभा दो और चार के चौंकाने वाले रिकॉर्ड
इंदौर विधानसभा दो और चार अब बीजेपी (इंदौर बीजेपी) के गढ़ बन चुकी हैं। इन दोनों ही विधानसभा से बीजेपी को जीत दिलाने की नींव मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने रखी थी।
साल 1990 में उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव विधानसभा चार से लड़ा था और तब उन्होंने कांग्रेस के इकबाल खान को 25,602 के भारी वोट अंतर से हराया था।
इसके बाद यहां लक्ष्मण सिंह गौड़ को 1993 में टिकट मिला और वह 1993, 1998, 2003 में लगातार जीते। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी मालिनी गौड़ ने 2008, 2013, 2018 और 2023 में जीत हासिल की। गौड़ परिवार यहां पर 32 साल से विधायक है।
वहीं बीजेपी 35 साल से सत्ता में है। उधर इंदौर विधानसभा चार में पहली जीत हासिल करने वाले विजयवर्गीय को बीजेपी ने 1993 में विधानसभा दो से टिकट दिया था और वह वहां पर कांग्रेस के कृपाशंकर शुक्ला को 21 हजार वोट से हराकर विधायक बने थे।
इसके बाद वह 1998, 2003 में भी जीते और हैट्रिक बनाई। इसके बाद 2008, 2013, 2018, 2023 में लगातार जीते और उन्होंने सबसे ज्यादा वोट से जीत के पूरे प्रदेश में रिकॉर्ड बनाए।
इंदौर दो और चार की सबसे बड़ी जीत
इंदौर विधानसभा दो में सबसे बड़ी वोट जीत साल 2023 में ही रही जब विधायक रमेश मेंदोला ने कांग्रेस के चिंटू चौकसे को 1 लाख 7 हजार वोट से हराया।
वहीं इंदौर चार की सबसे बड़ी जीत भी 2023 में ही रही जब विधायक मालिनी गौड़ ने कांग्रेस के राजा मंधवानी को 69,837 वोट से हराया।
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विधानसभा चार में इस तरह बीजेपी सत्ता में
- 1990 में कैलाश विजयवर्गीय ने इकबाल खान को 25,602 वोट से हराया
- 1993 में लक्ष्मण सिंह गौड़ ने उजागर सिंह को 28,109 वोट से हराया
- 1998 में लक्ष्मण सिंह गौड़ ने गोविंद मंधानी को 15,977 वोट से हराया
- 2003 में लक्ष्मण सिंह गौड़ ने ललित जैन को 45,625 वोट से हराया
- 2008 में मालिनी गौड़ ने गोविंद मंधानी को 28 हजार वोट से हराया
- 2013 में मालिनी गौड़ ने सुरेश मिंडा को 33,823 वोट से हराया
- 2018 में मालिनी गौड़ ने सुरजीत सिंह को 43 हजार वोट से हराया
- 2023 में मालिनी गौड़ ने राजा मंधवानी को 69,837 वोट से हराया
इंदौर विधानसभा दो में बीजेपी के जीत के रिकॉर्ड
- 1993 में कैलाश विजयवर्गीय ने कृपाशंकर शुक्ला को 21 हजार वोट से हराया
- 1998 में कैलाश विजयवर्गीय ने डॉ. रेखा गांधी को 20,273 वोट से हराया
- 2003 में कैलाश विजयवर्गीय ने अजय राठौर को 35,911 वोट से हराया
- 2008 में रमेश मेंदोला ने सुरेश सेठ को 39,937 वोट से हराया
- 2013 में रमेश मेंदोला ने छोटू शुक्ला को 91 हजार वोट से हराया
- 2018 में रमेश मेंदोला ने मोहन सेंगर को 71 हजार वोट से हराया
- 2023 में मेंदोला ने चिंटू चौकसे को 1.07 लाख वोट से हराया
(साल 2008 में कैलाश विजयवर्गीय ने मेंदोला के लिए सीट छोड़ी और महू से चुनाव लड़ा। वह महू से 2008, 2013 में जीते, फिर 2018 में टिकट उनके पुत्र आकाश को मिला और वह इंदौर विधानसभा तीन से जीते। साल 2023 में आकाश का टिकट कटा और बीजेपी ने फिर कैलाश विजयवर्गीय को टिकट दिया, लेकिन इस बार विधानसभा इंदौर एक से वह चुनाव में उतरे और कांग्रेस से सीट छीनकर जीत हासिल की।)
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मेंदोला के आते ही विधानसभा में रिकॉर्ड जीत
इंदौर विधानसभा दो और चार में पहले जीत के आंकड़ों में कड़ी टक्कर रहती थी। साल 1993, 1998 और 2003 के तीन चुनाव में दो बार लक्ष्मण सिंह गौड़ की सर्वाधिक वोट से जीत रही तो एक बार कैलाश विजयवर्गीय की। लेकिन जैसे ही इंदौर दो से रमेश मेंदोला को टिकट मिला, इंदौर चार वोट से जीत के अंतर में काफी पीछे छूट गई। मेंदोला ने 91 हजार, 71 हजार के बाद 1 लाख का भी आंकड़ा छू लिया। वहीं मालिनी गौड़ ने पहली बार 50 हजार से अधिक जीत का आंकड़ा इसी विधानसभा 2023 के चुनाव में छुआ और 69,837 वोट से जीत हासिल की।
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